Saturday 18 March 2017

श्रम न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय में दौड़ लगाने को बाध्य

 मिशनरियों के कोपभाजन के शिकार एण्ड्रू आंजिलों

पटना। श्रम न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय में दौड़ लगाने को बाध्य हैं एण्ड्रू आंजिलों। संत जेवियर हाई स्कूल में कार्यरत थे। यहां के प्रबंधकों ने शारीरिक अक्षमता का आरोप लगाकर एण्ड्रू उर्फ मुन्ना को नौकरी से बाहर कर दिया। इस अन्याय के खिलाफ न्याय प्राप्त करने के प्रयास में महत्वपूर्ण 18 साल गुजर गया। अगर नौकरी में रहते तो 2018 में अवकाश ग्रहण करते। अभी दीघा क्षेत्र के बालूपर मोहल्ला में रहते हैं।
गौरतलब है कि मिशनरी फादरों द्वारा नौकरी से बाहर करने के बाद भीधर्म को टा-टा-बाई-बाई नहीं किये। कितने लोग हैं जो पादरियों के कुकृत्य के कारण धर्म को छोड़ देते हैं। मिस्सा-पूजा से नफरत करने लगते हैं। परन्तु ऐसा एण्ड्रू ने नहीं किया। आजकल ईसाई समुदाय का दुखभोग चल रहा है। ईसा मसीह को 40 दिन-रात तकलीफ दी गयी थी। आखिरकार क्रूस पर चढ़ाकर मार दिया गया। उक्त यातना को 14 खंडों में दर्शाया गया है। इसे 14 मुकाम कहा जाता है। इसी 14 मुकाम में श्रद्धापूर्वक एण्ड्रू भाग लिये।
मौके पर उन्होंने कहा कि ईसा मसीह 40 दिन-रात कष्ट सहें। हम तो 18 साल से परेशान हैं। परेशान करने वाले ईसा मसीह के ही प्रतिनिधित्व करने वाले पादरी हैं। जो दुख के समन्दर में डाल दिया है। 18 साल से परेशानी के दलदल में हूं। कोई भी राहत देने के मूड में नहीं हैं। समझा जाता है कि अवकाश ग्रहण करने के साल 2018 में समझौता करेंगे। श्रम न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय ने नौकरी में रखने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। एक दिन बहाल करने के बाद कहा गया कि अंतिम प्रस्ताव आने के बाद नौकरी में रखेंगे। फिलवक्त मामले को अधर में मिशनरियों ने लटका दिया है।
बिहार में 18 वर्षों से मुन्ना संघर्षरत है मिशनरियों सेः आप केवल नाम पर नहीं जाये। अबमुन्ना मुन्ना नहीं रहा वरण मिशनरियों को नाक में दम करने वाले हस्ति बन गये हैं। यह तो निश्चित है कि अकेले मुन्ना बहुत कुछ नहीं कर सकता है। ईसाई समुदाय से सहयोग नहीं मिलता है। कोई संस्था/संगठन नहीं है जो सहायता कर सके। केवल मुन्ना की धर्मपत्नी ही सहायक है। उनकी धर्मपत्नी सोनिया जैकब हैं। सरकारी टीचर हैं। जो आर्थिक सहायता प्रदान करती है। दोनों के बीच संबंध प्रगाढ़ है। घर के अंदर तनाव नहीं है। दोनों मिलकर मुकाबला कर रहे हैं। वहीं मिशनरियों को भी किसी को सलीब पर लटकाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मिशनरियों के आंतक के शिकार कोई नहीं हो। इस पर महाधर्माध्यक्ष को कदम उठाने की जरूरत है।

आलोक कुमार


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