अंग्रेज के बाद भारतीय शासकों के शासनकाल में बदलाव नहीं
दो सौ सालों में दो ही वंदा मैट्रिक उर्त्तीण
कटोरिया। नक्सल प्रभावित क्षेत्र बांका जिले की खबर है। अंग्रेज और भारतीय शासकों के शासनकाल के दो सौ सालों से महादलित ‘दास’ चांदन प्रखंड के धनुवसार पंचायत और लोहटनियां गांव में विकास नहीं हो सका है। इस समय धनुवसार ग्राम पंचायत की मुखिया विनीता देवी हैं।अब तो जनप्रतिनिधि और नौकरशाहों के द्वारा विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। इसी के कारण 200
साल में केवल दो ही वंदा मैट्रिक उर्त्तीण है।
यह सुनकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि 200
साल में केवल 2 अशोक दास और महादेव दास ही मैट्रिक उर्त्तीण हो सके हैं। अभी 45 लड़के-लड़कियां विघालय जाते हैं। अभी तक किसी को मुख्यमंत्री साइकिल योजना से लाभ नहीं मिल पायी है। इसका मतलब कोई भी नौवीं कक्षा उर्त्तीण नहीं कर पाये हैं। छात्रवृति में पक्षपात की जाती है। सभी बच्चों को लाभान्वित नहीं कराया जाता है।
यहां के लोग 60 घरों में रहते हैं। कोई घर खप्परेल है तो कोई प्लास्टिक को तानकर ही आशियाना बनाया गया है। यह सब देखकर भी गांवघर में सर्वे करने आये सर्वेयरों का दिल नहीं पसीजा। 50 को बीपीएल में 10 परिवारों को एपीएल में डाल दिया। 50 बीपीएल परिवारों में से केवल 3 लोगों को अंत्योदय में डालकर पीला कार्ड निर्गत किया और 47 परिवारों को बीपीएल लाल कार्ड निर्गत कर दिया। जन वितरण प्रणाली की दुकान से राशन में कटौती करके राशन दिया जाता है। इसका असर इंडिया आवास योजना पर भी पड़ रहा है। कम स्कोर वाले 10 लोगों को इंदिरा आवास योजना से राशि मिली थी। इसमें 4 लोगों ने सरकारी राशि के साथ व्यक्तिगत राशि मिलाकर किसी तरह से मकान को पूर्ण करने में सफल हो गये। शेष 6 लोगों का मकान अधूरा ही रह गया।
महात्मा गांधी नरेगा में आसानी से काम नहीं मिलने और तो और डेलीवेज से क्रीम नहीं मिल पाने के कारण नौजवान मोहभंग करके अन्य प्रदेशों में जाकर कार्य करने को बाध्य हैं। यहां पर बुजुर्ग और बच्चे ही मिलते हैं। 50 नौजवान पलायन कर गये हैं। कोलकता,मुम्बई, गुजराज,दिल्ली आदि जगहों में जाकर कार्य करते हैं। घर से दूर जाकर काम करने जाने वाले नौजवान दो मोबाइल खरीदते हैं। एक मोबाइल को अपने परिजनों को घर से ट्रिन... ट्रिन...करके बाते करने के लिए एक मोबाइल अपने पास भी रखते हैं। यहीं गांवघर में मोबाइल जी का जंजाल बन गया है। मोबाइल रखने वाले परिवारों को आंख बंदकर बीपीएल से निकालकर एपीएल में शामिल कर देते हैं। सर्वेयर कहते हैं कि इनके घरों में शौचालय नहीं है परन्तु अधिकांश लोगों के पास मोबाइल रहता है। 2 सरकारी और 1 निजी चापाकल है। निजी चापाकल को ताले से बंद करके रखा जाता है ताकि पड़ोसी पानी नहीं भर सके।
रमेश दास नामक ग्रामीण बताते हैं कि धनुवसार ग्राम पंचायत की मुखिया विनीता देवी के द्वारा गांव उपेक्षित है। इसके नतीजा यह है कि मनरेगा में ठीक तरह से काम नहीं मिलता है। वहीं सामाजिक सुरक्षा पेंशन से महादलितों को महरूम कर दिया जाता है। राजेन्द्र दास, पविया देवी, बिल्सी देवी, बिल्खी देवी आदि पेंशन से महरूम हैं। कई बार प्रयास किया गया। तब भी पेंशन नहीं मिल पा रहा है। इसमें एक महिला को आंख से दिखायी भी नहीं देती है।
अब से अपने गांवघर की समस्याओं को निपटारा खुद से ग्रामीण करेंगे। अव्वल जनता पर आधारित कार्यक्रम करेंगे। गांवघर में कार्यक्रम आयोजित करने में संस्था से सहयोग लेंगे। जनता और संस्था पर आधारित कार्यक्रम के साथ-साथ सरकारी कार्यक्रमों को गांवघर के दलान में लाने का प्रयास होगा। इसके लिए ग्रामीणों ने विधिवत ग्राम ईकाई भी गठित कर ली है। इस ग्राम ईकाई में बाजाप्ता तेज तर्रार लोगों का चयन कर लिया गया है। इसमें सभी लोगों का प्रतिनिधित्व दिया गया है। इस ईकाई में बीस से अधिक महिला-पुरूषों का चयन किया गया है। बाद में ईकाई के पदाधिकारियों का चयन किया जाएगा। पदाधिकारीगण जिला प्रशासकों से मिलकर गांवघर की और अपनी समस्याओं को लिखित आवेदन पत्र के रूप में पेश करेंगे। पहले हमारा अधिकार. हमारी आवाज की तर्ज पर कार्य करेंगे। जो संवैधानिक और शासकीय अधिकार है उसे सहजता से लेने का प्रयास करेंगे। अगर सरकार के नौकरशाह से संवाद पर तवज्जों नहीं देंगे तो संघर्ष की राह और नीति अपनाने पर विचार किया जा सकता है। जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में गांधी,विनोबा,जयप्रकाश ,अम्बेडकर के बताये गये अहिंसात्मक आंदोलन के रूप में होगा। जो प्रभावशाही होगा।
Alok Kumar