Tuesday 10 September 2013

सवाल दो जून की रोटी जुगाड़ करने की है



बाल मजदूर के खिलाफ अभियान तेज

पटना। दलबल के साथ साहब गाड़ी में आये थे। दीघा थाना क्षेत्र के मखदुमपुर मोहल्ला के सामने मंदिर के बगल में संचालित होटल में कार्यरत बाल मजदूर को पकड़ कर ले गये। साहब को दलबल के साथ आते देख होटल मालिक यकायक नौ दो ग्यारह हो गया। होटल में कार्यशील बाल मजदूर पकड़ा गया। कुछ कागजी रस्म अदायगी करके संगीन के साये में साहब की गाड़ी में बाल मजदूर को बैठाकर चले गये। सवाल बाल मजदूर के घर के परिजनों का है। अगर कल्याणकारी सरकार के द्वारा वयस्क व्यक्ति को समुचित रोजगार दिये जाते तो वयस्क के परिवार से किसी को बाल मजदूर बनना ही नहीं पड़ता।

बाल मजदूर को साहब के द्वारा गाड़ी में बैठाने ले जाते समय क्षणिक विरोध हुआः
जब साहब के द्वारा कागजी रस्म अदायगी कर ली गयी तब बाल मजदूर को गाड़ी में बैठाकर अन्यत्र ले जाने के दरम्या गांव वाले क्षणिक विरोध किया। गिरफ्त में आये बाल मजदूर को किधर ले जा रहे है? जानकारी देने की मांग की जा रही थी। साहब का कहना था कि उसको वास्तविक घर में लिया जा रहा है। उसके मां-बाप के अधीन कर दिया जाएगा। गांव के लोगों ने कहा कि बाल मजदूर के अभिभावक रहे हैं। कुछ समय तक रूक जाइए ताकि अभिभावक सके। यह बाल मजदूर मखदुमपुर मोहल्ला का ही है।

बाल मजदूर क्यों बनते हैं?
घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बाल मजदूर कम आयु में ही बाहर जाकर कार्य करने लगते हैं। बाल मजदूरी की भी राशि को मिलाकर गृहस्थी चलायी जाती है। यह बाल मजदूर पढ़ने नहीं जाता है। सरकारी कानून है कि कोई भी नागरिक 18 साल के बाद ही काम कर सकता है। तब तो फिल्मी दुनिया में बाल कलाकार भी तो बाल मजदूर ही हैं? परन्तु सरकार के द्वारा इन बाल कलाकारों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है।

सरकार को क्या करना चाहिए?
जो भी बाल मजदूर गिरफ्तार होते हैं। उनके अभिभावकों को सरकार रोजगार उपलब्ध करा दें। ऐसा करने से पुनः उक्त घर में कोई बाल मजदूर नहीं बनेगा। इसके अलावे सभी लोगों को रोजगार की सुविधा उपलब्ध करा दें। कोई भी परिवार के परिजन खुद अपने बच्चों को बाल मजदूर बनते देखना नहीं चाहते हैं। किसी तरह की मजबूरी के कारण ही बच्चे बाल मजदूर बन जाते हैं।

आलोक कुमार