सावन में इंजोर और भादो में अंधेर हो जाता

बोलबम का नारा लगाने वालों का हौसल्ला भादो माह में पस्त:
वहीं सावन महीने के समापन के बाद भादो माह आते ही जिला प्रशासन के द्वारा सावन माह के दरम्यान बढ़ाए गए हाथों को खिंच लिया जाता है। इसके कारण बोलबम का नारा लगाने वालों का हौसल्ला भादो माह में पस्त हो जाता है। शाम ढलते ही अंधेरा का राज कायम हो जाता है। टॉच की रोशनी में शंकर के भक्त चलने को मजबूर हो जाते है। इस तरह के परेशानी के संदर्भ में बोलबम का नारा लगाने वाले कहते हैं कि सावन में इंजोर और भादो में अंधेर हो जाता है। यह भक्तों के साथ नाइंसाफी किया जाता है। इस परेशानी के कारण कुछ ही दूरी तय करने के बाद बाबा के भक्त थक जाते हैं और आराम करने लगते हैं।
बोल बम
का नारा
लगाने वाले
भक्तों को
बढ़ाई गयी
कीमत पर
समान खरीदना
पड़ता हैः
सावन महीने के बाद भादो में भी दुकान सजायी जाती है। मगर दुकान सजाने वाले दुकान बढ़ी हुई कीमतों पर समान बेचते हैं। उनका कहना है कि जमीन और बिजली बिल भुगतान करना पड़ता है। उसके अलावे उसपर मजदूरी भी है। शोचक्रिया के लिए पांच रूपए लिया जाता है। बोलबम बोलने वालों को स्नान से लेकर खाने तक भारी कीमत अदा की जाती है। एक सौ रूपए खुदरा लेने पर 80 रूपए दिये जाते हैं।
बाबा
के भक्तों
के द्वारा
आराम करने
पर कान
पकड़कर करना
पड़ता है
उठ और
बैठकीः
आलोक कुमार