Sunday 6 October 2013

येसु मेरे दिल में आया, मेरे ईश्वर तेरा पूर्ण सम्मान है



देवदूतों की तरह दिखे सफेद पोशाक में बच्चे

पटना। आज का दिन 67 बच्चों के लिए बड़ा महान है। कई महीनों की इंतजारी के बाद 6 अक्तूबर का दिन आया। बच्चे प्रथम परमप्रसाद के रूप में पहली बार येसु मसीह के रक्त और शरीर को ग्रहण किये।  बच्चों के साथ अभिभावक भी काफी खुश दिखे। बच्चे और अभिभावक कतारबद्ध होकर धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने बलि बेदी तक गये। पल्ली पुरोहित फादर जोनसन के नेतृत्व में धार्मिक अनुष्ठान चढ़ाया गया।

क्या है परमप्रसाद:
फादर के पात्र में येसु मसीह के शरीर के रूप में परमप्रसाद और उनका रक्त के रूप में दाखरस रहता है। फादर परमप्रसाद को लेकर दाखरस में डालकर प्रथम परमप्रसाद ग्रहण करने वालों को नन्हें हाथ में थमाते हुए कहते हैं कि ख्रीस्त का शरीर और रक्त। परम प्रसाद ग्रहण करने वाले ने हाथ में परमप्रसाद ग्रहण करके ‘आमेनकह कर जीभ में परमप्रसाद को रखकर ग्रहण कर लेता है। इसके साथ प्रथम परमप्रसाद ग्रहण करने की अभिलाशा बच्चे पूर्ण कर लेते हैं।

प्रथम परमप्रसाद ग्रहण समारोहः
आज प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर में 67 बच्चों ने प्रथम परमप्रसाद के रूप में पहली बार येसु के रक्त और शरीर को ग्रहण किये। लोक आस्था है कि परमप्रसाद के रूप में येसु मसीह का शरीर और उनका रक्त रहता है। ईसाई धर्मावलम्बी बड़ी शिद्दत से परमप्रसाद ग्रहण करते हैं। इसे ग्रहण करते ही येसु मसीह के साथ सीधे संवाद होने लगा है। येसु मसीह से अपनी समस्याओं को लेकर संवाद करते हैं और उसे दूर करने का आग्रह करते हैं। सभी बच्चे सफेद पोशाक में थे। स्वर्ग के देवदूत की तरह लग रहे थे।

सिस्टर शीतल,एसएनडी ने बच्चों को तैयार कियाः
पाटलिपुत्र कॉलोनी में नोट्रडेम एकेडमी है। कुछ सिस्टर मखदुमपुर में भी रहती हैं। यहीं से हार्टमन बालिका उच्च विघालय चलाती हैं। यहीं की सिस्टर शीतल ने 67 बच्चों को परमप्रसाद ग्रहण करने लायक शिक्षा दी हैं। उनको प्रार्थना सीखायी हैं। आज उनको काफी गर्व है कि उनके मार्गदर्शन में बच्चे परमप्रसाद ग्रहण किये।
ईसायत ग्रहण करने वालों के सात संस्कार में परमप्रसाद शामिलः
कोई ईसाई धर्म कबूल करते हैं। तो सबसे पहले स्नान ग्रहण संस्कार दिया जाता है। इसके बाद किये गये पापों को फादर के सामने पाप को स्वीकार किया जाता है। आज की तरह परमप्रसाद ग्रहण किया जाता है। परमप्रसाद ग्रहण करने के बाद दृढ़करण संस्कार आता है। विवाह संस्कार, पुरोहिताभिशेक और अंत में अंतमलन संस्कार है। अभी ये बच्चे स्नान ग्रहण और पापस्वीकार करने के बाद तीसरे चरण में परमप्रसाद कर चुके हैं।
परमप्रसाद ग्रहण करने वाले परिवारों में उत्साहः
जिन बच्चों को प्रथम परमप्रसाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इनके घर में काफी चहलकदमी देखने को मिला। अपने चहेते को बुलाकर भोज दिये। आमंत्रित लोगों ने बच्चों को उपहार दिये। कुल मिलाकर कुर्जी पल्ली में उत्साह का माहौल देखने को मिला।

बच्चों को राजाओं के राजा को आगवानी करने का अवसर प्राप्त हो गयाः
इस जहां के राजाओं के राजा ईसा मसीह को वार्षिक यूख्रीस्तीय यात्रा के दौरान राह में पुष्प की बरसात करके आगवानी करने का अवसर प्रथम परमप्रसाद ग्रहण करने वाले 67 बच्चों को प्राप्त हो गया है। यह ईसा मसीह के जन्म दिन के आने की इंतजारी में होता है। उसे श्रद्धालु आगमन काल कहते हैं। इसके पहले यूख्रीस्तीय यात्रा आयोजित की जाती है।

मीडियाकर्मी को चर्च के अंदर तस्वीर लेने का अधिकार नहीं:
प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर के प्रधान पल्ली पुरोहित फादर जोनसन ने स्पष्ट तोड़ पर कहा कि चर्च के अंदर मीडियाकर्मी को तस्वीर लेने की मनाही है। चर्च के प्रारंभ में तस्वीर ले सकते हैं। किसी प्रोफेशनल को रखा गया है। जो तस्वीर लेगा। यह पूर्णतः मनी मैटर का सवाल है। इसके कारण फादर के द्वारा व्यवधान उत्पन्न किया गया है।
               
                                                                   आलोक कुमार