Friday, 29 November 2013

महिला किसानों को अधिकार दिलवाने की दिशा में सक्रियता




पटना। राजनीतिक पार्टी में पक्ष और विपक्ष है। उसी तरह सरकारी ढांचे में गैर सरकारी संस्था और सरकारी विभाग है। दोनों के बीच में द्वंद है।लोक कल्याणकारी राज्य के मुखिया के नाते सरकार के द्वारा विकास और कल्याण वाली योजना बनायी जाती है। इन योजनाओं को गांवघर में बेहतर ढंग से लागू करवाने की दिशा में गैर सरकारी संस्थाएं प्रयासरत हैं। अभी इनके द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह को व्यापक बनाया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह के की महिला सदस्यों के द्वारा खेती योग्य जमीन पट्टा पर ली जा रही है। उसमें महिलाएं सामूहिक खेती करती हैं। सामूहिक अथवा एकल खेती करने वाली महिलाओं को महिला किसान की श्रेणी में लाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी तक सिर्फ पुरूशों को ही किसान का दर्जा प्राप्त है। जब हरेक स्तर पर महिलाएं जगह बनाने में कामयाब हो जा रही हैं तो केवल खेत में महिलाएं उपेक्षित क्यों रह जाएंगी?

 अभी ऑक्सफैम इंडिया के द्वारा महिलाओं को महिला किसान का दर्जा दिलवाने के लिए काफी प्रयास किया जा रहा है। इसी सिलसिले में जिला स्तरीय महिला किसान सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में महिला किसानों से संबंधित समस्याओं को लेकर जिले के जिलाधिकारियों से मिलकर मांग पत्र पेश किया गया। बटाईदारों की समस्या को प्रमुखता से उछाला गया। महिला किसानों को किसानी का दर्जा देने, आपदा के समय मुआवजा को बटाईदारों और महिला किसानों के बीच में भी वितरण करने की मांग की गयी। एकता परिषद के प्रदेश संचालन समिति के सदस्य बशिष्ठ कुमार सिंह ने कहा कि मुजफ्फरपुर जिले के जिलाधिकारी ने कहा कि संपूर्ण मसले को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष अग्रसारित कर देंगे। जो मेरे हिस्से की बात है, उसे गंभीरता से पूरा कर देंगे। आत्मा को भी लिखेंगे ताकि महिला किसानों को भी पंजीकृत करें।

आलोक कुमार