बल्कि जानते पहले से,
कि बोतलें तक चुराईं हैं,
मेरे इत्र कि उन्होने,
क्या तुम कल्पना नहीं कर सकते,
कि कितना खुशबूदार होगा,
मेरी बाहों का तुम्हारे चारो ओर लिपटना,
मेरे चिबुक का यों तुम्हारे ऊपर झुक जाना,
मेरा यों फूल की तरह खिल जाना,
कि कभी नहीं मुरझायेगा प्यार हमारा,
मेरा और तुम्हारा ?
हाँ, केवल मेरा और तुम्हारा,
मुमकिन है, ये भी जानते,
कि मेरी इत्र की बोतल चुराने वालों में,
तुम्हारे भी लोग हैं,
जबकि जानते कि कितनी भयानक है,
युद्ध की विभीषिका,
चारो ओर मेरे,
यही गुज़ारिश की दुहरायूँ मैं,
लगातार उनकी हत्या के कारनामे,
घुमाऊँ तुम्हे उन गलियों में,
जहां ताज़ी है रक्तपात की गंध,
और जहां अब भी लड़ी जा रही है,
जाने किसके नाम की लड़ाई?
जादू के फूल
फिर ये भी मंज़र आया,
ये भी मकाम,
कि कहने लगा वो मुझसे,
कि जान बूझ कर बिछाये ये जाल उसने,
कि निकलना नहीं था मुझे बाहर,
कि पर्दा करना था मुझे केवल,
जाना नहीं था उसके फूलों में,
बगीचों में उसके,
औरत थी मैं,
जान बूझ कर भरमाया उसने,
जान बूझकर बहकाया उसने,
और कहा उसने कि तोडे क्यूं जादू के फूल?
फूल तोडे कि जाल गिरा?
किया क्यूं सवाल तुमने,
कि तोड़ लूँ ये फूल?
------------पंखुरी सिन्हा
21.12.2013