बगहा।
नौरंगिया पुलिस फायरिंग की
न्यायिक जांच जारी
है। बगहा पुलिस
फायरिंग न्यायिक जांच आयोग
को गठित करने
के बाद केवल
30 नवंबर को साक्ष्य
से साक्षी ली
गयी। इसके बाद
द्वितीय तिथि 14 दिसंबर तय
किया गया। इसको
स्थगित कर 21 दिसंबर निर्धारित
किया गया है।
24 जून के गोलीकांड
होने के 6 माह
के बाद भी
साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया
गया है।
नौरंगिया पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांचः

पूर्व सूचनानुसार साक्ष्य हेतु निर्धारित तिथि स्थगितः
बगहा
पुलिस फायरिंग न्यायिक
जांच आयोग,7 साउथ
बेली रोड,पटना
से जांच आयोग
के सचिव बैघनाथ
प्रसाद,भा.प्र.से. ने
जानकारी दी है
कि पूर्व सूचनानुसार
साक्ष्य हेतु निर्धारित
तिथि दिनांक 14.12.2013 को
स्थगित कर दिया
गया है। माननीय
अध्यक्ष, बगहा पुलिस
फायरिंग न्यायिक जांच आयोग
द्वारा साक्ष्य हेतु अगली
तिथियों का निर्धारण
दिनांक 21.12.2013 एवं 04.01.2014 को किया
गया है। तिथियों
को सूची अनुसार
3-3 साक्ष्यों को साक्ष्य
हेतु जिला अतिथि
गृह, बेतिया में
पूर्वाह्न 10:00 बजे
उपस्थापित करने की
व्यवस्था की जाय।
इसकी सूचना प्रधान
सचिव,गृह विभाग,जिला पदाधिकारी,पश्चिमी चम्पारण, जिला
पदाधिकारी, पूर्वी चम्पारण, आयोग
के वरीय अधिवक्ता
राजेन्द्र कुमार गिरि, आशुतोष
कुमार, वरीय अधिवक्ता
(राज्य सरकार की ओर
से )पटना उच्च
न्यायालय के ए.हई.अख्तर,
विशेष लोक अभियोजक,बेतिया राज बल्लभ
राव, सुशील प्रसाद
एवं श्री शिव
कुमार अधिवक्तागण, स्वतंत्र
साक्ष्यों की ओर
से,को सूचित
की गयी है।
झारखंड ह्ममेन राइट मूवमेंट ने भेजा भारत के राष्ट्रपति को पत्र भेजाः
बगहा
पुलिस गोलीकांड के
5 दिनों के बाद
झारखंड ह्ममेन राइट मूवमेंट
ने भारत के
राष्ट्रपति को पत्र
लिखकर वस्तुस्थिति की
जानकारी दी। इसमें
तीन नाबालिग सहित
8 निर्दाेष आदिवासियों (अनुसूचित जनजाति)
की नृशंस हत्या
कर दी गयी।
इस मामले की
जांच और आवश्यक
कानूनी कार्रवाई करने का
आग्रह किया गया।
पश्चिम चम्पारण जिले के
जिला पुलिस बगहा 24 जून
2013 में पुलिस फायरिंग से
तीन नाबालिग सहित
8 मासूम श्आदिवासियोंश् (अनुसूचित जनजाति) को
मौत के घाट
उतार दिया। एक
व्यक्ति चन्देश्वरी काजी का
अपहरण कर लिया
था। उसे बरामद
करने में विलम्ब
होने से आदिवासी
नाराज हो गये
। उसे दोपहर
22 जून 2013 को अपहरण
कर लिया गया।
उसे 24 जून 2013 को मृत
शरीर बरामद होने
की अफवाह फैलायी
गयी। अफवाह फैलाने
के बाद भी
चन्देश्वर काजी का
शव बरामद करने
के लिए पुलिस
पर दबाव बनाया
गया।
हालांकि,
मृत शरीर को
किसी अन्य व्यक्ति
के रूप में
पहचान की गयी।
उसे बरामद नहीं
होने पर पुलिस
का विरोध होने
लगा। पुलिस के
रवैये के विरोध
में ग्रामीणों ने
रोड जामकर आग
लगाये। इसके कारण
पुलिस बल और
आदिवासियों के बीच
झड़प हुई। आदिवासियों
ने पुलिस के
मार्ग अवरुद्ध कर
दिये। पुलिस का
कहना था कि
लोगों ने पुलिस
पर पत्थर फेंके।
तब जाकर पुलिस ने लाठी
चटकाई। तब भी
लोग शांत नहीं
हुए। लगातार पुलिस
पर पत्थर फेंके।
अंत में, पुलिस
को भीड़ पर
गोली चलाई, कुल
6 मौके पर और
2 लोग अस्पताल में
दम तोड़ दिये।
इस तरह कुल
8 की मौत हो
गयी। इनका नाम
सर्वश्री अनूप कुमार
चौरसिया, शिवमोहन कुमार, भूपेंद्र
कुमार ,तुलसी राय, अनिल
कुमार,धर्मजीत कटाई, ब्रह्मदेव
कटाई और भूखदेव
कुमार है। मौके
पर घायल होने
वालों में सर्वश्री
गणेश कुमार, श्री
मदन कुमार, श्री
कमलेश राय, श्री
चंद्रशेखर कुमार, हरिनारायण श्री
कुमार, श्री राजेश
कुमार, श्री मोहन
कुमार, श्री राजन
कुमार, श्री रंजन
कुमार, गया कुमार,
जवाहर काजी,भागीरथी
श्री कुमार, श्री
केशव राज , श्री
दिनेश राय, श्री
मुकेश कुमार, केदार
कुमार मिस्टर और
मिसेज लीलावती देवी.
उनमें से 12 को
गंभीरता से ग्रामीणों
घायल हो गए
हैं और बेतिया
एमजेके अस्पताल में भर्ती
कराया गया है।
झारखंड
ह्ममेन राइट मूवमेंट
के चेयरमैन सुनील
मिंज और महासचिव
सचिव ग्लैडसन डुंगडुंग
ने सीबीआई से
जांच करवाने, सभी
शामिल पुलिसकर्मियों पर
मडर का मामला
दर्ज करने, एससी/एसटी के
कानून के तहत
मामला दर्ज करने,
सभी मृतकों के
परिजनों को 25 लाख रूपए
और उनके एक
परिजन को सरकारी
नौकरी देने,शामिल
सभी पुलिसकर्मियों को
बरखास्त करने, गंभीर रूप
से घायलों को
5 लाख रूपए और
परिजनों को सरकारी
नौकरी देने, मामूली
घायलों को 1 लाख
रूपए देने की
मांग किया।
आलोक कुमार