6 माह में 10 निरक्षरों को साक्षर बनाने वाले पंचायत प्रेरकों को 14 माह से मानदेय नहीं
गया। आप सिर्फ 3 जिले पर ही ध्यान न दें। आपके पास 35 जिले भी हैं। सभी जिलों पर समान व्यवहार और समान न्याय करने की नसीहत पंचायत प्रेरक दे रहे हैं। इससे बौखलाकर पंचायत प्रेरक पटना उच्च न्यायालय में दस्तक देने का मन बना लिये। न्यू इयर में पंचायत से निकलकर पंचायत प्रेरक न्यायालय में चक्कर लगाते दिखेंगे।

सूबे साक्षर आबादी 3,16,75,607 है। साक्षर पुरूषों की संख्या 73.39 प्रतिशत और साक्षर महिलाओं की संख्या 53.33 प्रतिशत है। सर्वाधिक साक्षर जिला पटना 63.36 प्रतिशत है। इसके आलोक में 16 नवम्बर,2011 से जन शिक्षा विभाग के जन शिक्षा निदेशालय के द्वारा पहल की गयी। राज्य में 8463 पंचायत है। बढ़ती निरक्षरों की संख्या में कमी लाने और साक्षरता दर को बढ़ने के लिए एक पंचायत में दो पंचायत प्रेरक बहाल किये गये। इनको दो हजार रू.मानदेय मिलता है। इनको 6 माह के अंदर 10 लोगों को साक्षर करना है। दुर्भाग्य से इनको 14 माह से मानदेय नहीं मिल रहा है।
वहीं जन शिक्षा निदेशालय के द्वारा 8463 पंचायतों में लोक शिक्षा केन्द्र स्थापित किया गया है। इस केन्द्र में लाइब्रेरी स्थापित कर सामूहिक टी.वी. भी खरीदने के लिए 60 हजार रू. आंवटित करना था। इसमें भाग्यशाली केवल सूबे के 38 जिलों में भोजपुर,लखीसराय और खगड़िया ही है जिसे एकमुश्त 60 हजार रू.उपलब्ध करा दिया गया है। वहीं शेष 35 जिले पटना, नालंदा, रोहतास, भभुआ, बक्सर, गया, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद, नवादा, सारण, सिवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर,पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, किशंनगंज, कटिहार, भागलपुर, जमुई, बांका, शेखपुरा,मुंगेर और बेगूसराय को 16 हजार 153 रू. का लोलीपॉप थमा दिया गया है। शेष 43 हजार 847 रू.नहीं दिया गया है। इसके अलावे 2250 रू.का प्रावधान है। इससे केन्द्र की कागजात आदि क्रय करना है। उसे भी नहीं दिया गया है। साक्षर
भारतकर्मी संघ,नालंदा जिले के अध्यक्ष सरोज ठाकुर का कहना है कि नूतन वर्ष 2014 में पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका पेश की जाएगी।
आलोक कुमार