Thursday 26 December 2013

एक नहीं पांच बच्चियों की गाड़ी खिंच रही हैं ममता


इस बार बेटी बचाओं मुहिम में ममतामयी मां ममता देवी

दानापुर। आप खुद ही अनुमान लगा लें। जिसके घर में 5 लड़कियां हैं। उनके घर में कुछ-कुछ और क्या कुछ होने लगता है। गया जिले में एक निर्दयी पिता ने अपनी 5 लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया। वहीं पटना जिले की  एक अबला नारी मां बेचारी ने अपनी 5 लड़कियों की जिंदगी बचाने की मुहिम में जूट गयी हैं। इस विधवा को सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से मदद मिल है। गोद में दूधमुंही नन्हीं बच्ची को लेकर तुफान से लड़ना शुरू कर दी हैं।
अभी हाल में गया जिले के खिजरसराय थाने के सोनास गांव के दुल्ला बिगहा टोले में अपराधियों ने घर में घुसकर पांच नाबालिग बहनों की हत्या गोली मारकर दी है। इस पर पुलिस का कहना है कि संपत्ति विवाद को लेकर इस सामूहिक नरसंहार को अंजाम दिया गया। पर फिर वो सच भी सामने गया। बेटियां बड़ी होकर बोझ ना बन जाएं बस इसलिए उन्हें उनके अपनों ने ही मार डाला। मृतकों में शशिभूषण सिंह की बेटी जुली (15 वर्ष), भरत भूषण सिंह की बेटी स्वीटी(15 वर्ष) रेशमा (11 वर्ष) के अलावा विपिन सिंह की दो बेटियां अमीषा (14 वर्ष) और मनीषा (8 वर्ष) शामिल है। वैसे मामले में दिलचस्प यह है कि जिस वक्त पांचों बच्चियों की हत्या की गयी, बगल के कमरे में परिवार के पांच लड़के भी सोये थे। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर संपत्ति के लिए ही बच्चियों की जान ली गयी फ़िर उन्हें ही निशाना क्यों बनाया गया। पुलिस की मानें तो विपिन ने ऐसा कर एक साथ दो मकसद पूरा करना चाहा। अव्वल तो दुश्मनों को सबक सिखाना और दूसरा दुश्मनों के बहाने धीरे-धीरे जवान हो रही बेटियों से छुटकारा पाना। अभी पुलिस विपिन से कायदे से पूछताछ कर पाती, वो श्मशान घाट से ही बेहद रहस्यमयी तरीके से कहीं गायब हो गया। विपिन पर ही 5 लड़कियों को मारने का आरोप है।
दानापुर प्रखंडान्तर्गत रूपसपुर नहर के बगल में अभिमन्यु नगर में राजकुमार मांझी रहते थे। वे असंगठित मजदूर थे। मजदूरी करके जीवन व्यापन करते थे। अपना वंष बढ़ाने की चाहत में राजकुमार मांझी को लगातार पांच लड़कियां हो गयीं। इस गरीब मुसहर ने आर्थिक तंगी के कारण किसी तरह की जांच ही नहीं करवाएं। भगवान की मर्जी समझकर ग्रहण करते चले गये। इस बीच पीलिया नामक बीमार की चपेट में पड़ गये। अर्थाभाव के कारण पीलिया रोग का समुचित इलाज करा सका। और सरकार के द्वारा घोषित महादलितों के द्वार पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराएंगे, इसकी सुविधा मिल सकी। अन्ततः पीलिया रोग जानलेवा साबित हुआ। इस धरा को छोड़कर राजकुमार मांझी चले गये। उनको अंतिम संस्कार करने के लिए 15 सौ रू. की राशि कबीर अत्येष्ठि योजना से नहीं मिली। फिर भी उनको बांसघाट, पटना में ले जाकर पंचतत्व में विलिन कर दिया गया। वे मात्रः35 साल के थे। अपने पीछे विधवा ममता देवी और 5 बच्चियों को छोड़ गये।
अपने पति राजकुमार मांझी की मौत के बाद वीरांगना की तरह ममता देवी ने पांच बेटियों की जिम्मेवारी उठा ली हैं। वह यहां पर निर्मित इंदिरा आवास योजना के मकान में रहती हैं। इनका पति राजकुमार मांझी की मौत हो गयी है। अपने पीछे पांच बच्चिया और विधवा को छोड़ गये। ममता देवी के पास दूधमुंही बच्ची है। अब इन बच्चियां की मां और पिता का दायित्व ममता देवी ही उठा रही हैं। तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो की भूमिका में मां शामिल हो जाती हैं। अभी इसी भूमिका में ममता गयी हैं। अपने पांच बच्चियां गुलाबपरि,राजपरि,रूमझूम,अनिशा और वर्षा की बेहतर जिंदगी बनाने में जुट गयी हैं। सभी आठ साल से नीचे हैं। सबसे बड़की बच्ची गुलाब परि पढ़ती हैं। मगर प्राथमिक विघालय, अभिमन्यु नगर की गुरूजी पोशाक की राशि देने में आनाकानी कर रहे हैं। प्रखंड विकास पदाधिकारी, दानापुर के समक्ष फरियाद दर्ज करने के लिए आवेदन लिखी हैं।
आलोक कुमार