भोजपुर। इस जिले
के सहार प्रखंड
के देवनारायण नगर
में रहने वाली
महिलाएं मिलकर ‘लाल धरती
पर लाल टमाटर’
ऊपजाने लगी हैं।
समय के अन्तराल
में परिवर्तन देखा
जा रहा है।
एक समय था
जहां पर राह
भटक जाने वाले
लोगों ने लगातार
धरती मां के
दामन को ‘लाल’
करने पर ही
उतारू थे। अब
समय बदल गया
है। जहां की
धरती लाल होती
थी अब वहां
की धरती हरियाली बन
गयी है।

सत्ता परिवर्तन के साथ
ही लोगों की
सोच में परिवर्तन
आ गया। उसी
समय से बदलाव
आने लगा। राह
से भटक गये
लोग रक्त के
बदले पसीना बहाना
शुरू कर दिया।
उन लोगों ने
खुद से हथियार
उठाने से तौबा
करने लगे। प्रशासन
के सामने हथियार
डाल दिये। इसके
बाद मेहनत मशक्कत
करने लगे। विरान
पड़े और जंगल
बन गए खेत
को आबाद करने
की दिशा में
कदम उठाने लगे।
इसके लिए मेरे
देश की धरती
सोना उगले-उगले
हीरे मोती मेरे
देश की धरती
से सबक सीखकर
कृषि में अपनाएं
जाने वाले यंत्र
हाथ में उठा
लिये।
देखते ही देखते
खून से लाल
होने वाली धरती
पसीना के बल
पर धरती हरियाली
चादर में तब्दील
हो गयी। जहां
भी जमीन दिखी।
वहां पर हरी
चादर फैंलाने का
प्रयास होने लगा।
अगर खुद के
पास खेती योग्य
जमीन न हो
तो पट्टा पर
खेत लेकर खेती
करने लगे। इसके
लिए स्वय सहायता
समूह बनाया गया।
बूंद-बूंद से
सागर बनता है
कहावत सच होने
लगा। हर हाथ
सहायक हाथ बन
गया। मिलजुलकर राशि
संग्रह करके पट्टा
पर खेत लेकर
अनाज ऊपजाने लगें।
अपने घर के
आंगन में भी
गृहवाटिका में सब्जी
ऊपजाने लगे हैं।
अपने हाथ में
टमाटर लेकर लालझरो
देवी फूले नहीं
समा रही है।
इस बीच जन
संगठन एकता परिषद
के जल,जंगल,जमीन का
नारा जोर पकड़ने
लगा। देश-विदेश-प्रदेश में नारा
बुलंद होने लगा।
गांधी,विनोबा,जयप्रकाश
के बताये मार्ग
पर चलने वाले
कार्यकर्ता पहुंचने लगे। अहिंसक
आंदोलन का बयार
बहने लगा। कलतक
खून की होली
खेलने वाले अहिंसक
आंदोलन से रिश्ता
साधने लगे। इसका
परिणाम निकला कि खून
बहाने वाले नक्सली
अब पसीना बहाने
लगे। वक्त की
बात है,जब
निहित स्वार्थी लोग
अपने वर्चस्व स्थापित
करने के लिए
भोलेभाले लोगों को मौत
के घाट उतार
दिये। सदैव मध्य
बिहार के क्षेत्र
में खूनी संघर्ष
का तांडव रच
दिया जाता था।
इसके कारण भोजपुर
जिले में हमेशा
सामूहिक नरसंहार होने से
धरती लाल हो
उठता था। अब
समय बदल गया
है। भोजपुर की
ही धरती है।
मगर समय के
बदलाव के कारण
धरती लाल होने
के बदले हरियाली
होने लगी है।
इसका श्रेय बदलती
समय के कारण
ही हो रहा
है।
आलोक कुमार