Saturday, 14 December 2013

दलित मुद्दों को लेकर विधायकों के साथ किया विचार-विमर्श


            
              
पटना। बिहार औद्योगिक संघ, पटना के सभागार में दलितों का जन संगठन दलित अधिकार मंच एवं एक्शन एड, पटना के संयुक्त तत्वावधान में बिहारी दलितों की बुनियादी समस्याओं को लेकर माननीय लोगों के साथ विचार-विमर्श किया गया। आयोजित विचार-विमर्श का उद्घाटन उदय नारायण चौधरी,अध्यक्ष, बिहार विधान सभा,मनीष कुमार, विधायक, जदयू, दिनकर राम, विधायक, भाजपा, विनय ओहदार, एक्शन एड, वसंत कुमार, वरीय अधिवक्ता, कपिलेश्वर राम ने किया।
 इस आयोजन में आये हुए अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत कपिलेश्वर राम, अध्यक्ष, दलित अधिकार मंच, बिहार ने किया। अतिथियों एवं सहभागियों के स्वागतोपरांत, अनुसूचित जाति/जनजाति उपयोजना के तहत आवधिक सूचनापत्र बिहार बजट वॉच (समावेशन के लिए) का विमोचन उदय नारायण चौधरी एवं उपरोक्त अतिथियों के द्वारा किया किया गया। इस विमोचन के बाद पत्रिका के बारे में रोबिन रवि एवं रमेश कुमार, जिला समन्वयक ने कहा कि यह पत्रिका सीधे वंचित समुदायों तथा सरकारी तंत्रों के बीच संवादों तथा विचारों एवं खाईयों को पाटने का एक सशक्त माध्यम है। साथ ही यह पत्रिका अनुसूचित जाति/जनजाति उपयोजना के बारे में सीधे संवाद, विचारों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को बढ़ावा देगी।
विमोचन करने के बाद कपिलेश्वर राम ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आज दलित अधिकार मंच जो दलितों के अधिकार के लिए संघर्षरत एक शक्तिशाली जन संगठन के रूप में मैदान--जंग में है जो अपने समुदायों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं राजनैतिक विकास की दिशा में प्रमुखता से कार्य करता रहा है। हालांकि वर्तमान में भूमि अधिकार, अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम एवं विशेष अंगीभूत उप-योजना की स्थिति एवं उसके क्रियान्वयन में अस्पष्टता है। हम बिहार विधान सभा के माननीय सदस्यों से अपेक्षा करते हैं कि अपने अनुभव और दूरगामी प्रभाव वाले नीति निर्धारण में करने में अपना अमूल्य सुझाव देंगे।
 विनय ओहदार, क्षेत्रीय प्रबंधक, एक्शन एड, पटना ने अपने पावर प्वाईट प्रजेंटेशन के द्वारा भूमि  अधिकार से संबंधित तमाम अधिनियमों, बिल, केस अध्ययनों आदि के बारे में प्रस्तुति की। प्रस्तुति के तहत कहा कि अभिवंचित वर्गों की स्थिति पूर्व की अपेक्षा आज बहुत ही दयनीय, खराब है। यदि हम भूमि अधिकार की बात करें तो भूमि के क्षेत्र में हमारी हकमारी हुई है और आज भी जारी है। इसके अलावे चाहे वह आई0सी0डी0एस0, मनरेगा, इंदिरा आवास योजना या सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं ही क्यों हो। सरकार ने दलित बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था की थी ताकि दलित बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास हो सके परंतु हमारे ही बीच के लोगों ने 80 प्रतिशत धनों का बंदरबाट कर दिया जिसमें हम, जन प्रतिनिधि, अधिकारी आदि शामिल हो गये हैं। वही स्थिति मनरेगा एवं इंदिरा आवास योजना की है। उन्होंने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में आवासीय एवं जोत भूमि के तहत दलितों के लिए विशेष नीति बनाने एवं उसके बेहतर क्रियान्वयन की अति आवश्यकता है।
  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मनीष कुमार,विधायक,जदयू ने कहा कि आज डा0 भीमराव अंबेडकर के विचारधारा काफी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा था कि हमें सबसे पहले स्वयं एवं लोगों को शिक्षित करना होगा ताकि वे तमाम अपने अधिकारों की लड़ाई खुद लड़ सकें। उन्होंने भूमि के अधिकारों के तहत कहा कि सरकार के तरफ से महादलितों के लिए तीन डिसमिल जमीन देने का प्रावधान किया गया है तो धरातल पर क्रियान्वित है। हालांकि कही-कहीं थोड़ी परेशानियां/रूकावटे रही हैं। जिसे हमें ठीक करना होगा। आज महादलित आयोग का गठन किया गया है, अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग का भी गठन किया गया है जो दलितों के अधिकारों एवं उन पर होने वाले अत्याचारों के लिए कार्य कर रहा है।
 वसंत कुमार वरीय अधिवक्ता ने कहा कि आज भूमि का मुद्दा कानूनी मुद्दा नहीं है बल्कि यह मुद्दा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। भूमि मुद्दें पर आज कानून बन जाने के बाद भी राजनीति दांव-पेंच के भंवर में फंसा हुआ है। कितनी सरकारें आई और चली गईं परंतु सभी सरकारों में इच्छा शक्ति की कमी रही है। वे कभी भूमि के तहत दलितों को मिलने वाले फायदों के लिए कार्य नहीं किया। अभी 3 डिसमिल जमीन देने की बात कही गई है। परंतु यह कितने दलितों को लाभ पहुंचाया है हम सभी जानते हैं। सरकार के लोग भूमि सुधार लाएंगे हम गलत फहमी में जी रहे हैं। चीन, जर्मनी आदि देशों में पूंजीपतियों एवं सरकारों की मदद से भूमि सुधार किया गया है क्योंकि भूमि सुधार से व्यक्ति, समाज और देश का विकास शामिल है। आप हमें मध्याहन भोजन दे रहे हैं, हमें जमीन दे दीजिए हम खुद अपने स्तर से फसल उगायेंगे और अपना टीफिन बना कर स्कूल जायेंगे। हमें भीख नहीं हमें हमारे अधिकार चाहिए जो हमारे संविधान में दिये गये हैं। वर्तमान के माननीय मुख्य मंत्री ने थोड़ी भूमि के मुद्दंे पर हिम्मत दिखाई है परंतु उनके नौकरशाहों ने उनका बेड़ागर्क कर दिया। अतः भूमि जैसे मुद्दे पर विशेष ध्यान देने कार्य करने की जरूरत है।
कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता एवं मुख्य अतिथि उदय नारायण चौधरी ने कहा कि मैं दलित अधिकार मंच के तमाम साथियों का बधाई देना चाहता हूं कि आपने भूमि के मुद्दों पर परिचर्चा के लिए आपने तीन मुद्दों-भूमि अधिकार, अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम एवं विशेष अंगीभूत उप-योजना को शामिल किया है जो काबिले तारीफ है। समय बदला है, हम बदल रहे हैं। एक समय था जब दलित सिर में तेल लगाकर बाल झाड़कर चलता था उसे थप्पड़ मारा जाता था परंतु अब ऐसा नहीं है। समय बदला है, परिस्थितियां बदली है। हमें भी बदला होगा। बाबा के विचारधारा के अनुरूप कार्य करना होगा। उनके सिद्धांतों पर चलना होगा तब जाकर दलितों का विकास हो पायेगा। हम समाज के सताये हुए परिवार से निकलकर आये हैं। हमें अपनी ताकत को पहचाना होगा। 65 वर्षों के आजादी के बाद भी हम अपने अधिकारों से वंचित है उसके जड़ मे पूंजीपति हैं। ये बातें हमें समझनी होगी। भूमि के जड़ में कौन है, हमें क्यों वंचित रखा गया हमें इन बातों पर भी विचार करना होगा। मैं चाहता हूं कि हमारे दलित समाज से ज्यादा से ज्यादा जन प्रतिनिधि चुन कर आये, और सरकार में भागीदार बन कर अपनी स्थितियों के बारे मे चिंता करें, कार्य करें तभी हमारे लोगों का विकास हो पायेगा या नीति निर्धारण में परिवर्तन हो पायेगा। हमें आज ग्रामीण क्षेत्रों में नेतृत्वकर्ता के रूप में युवाओं को पहचाना होगा, उन्हें नेतृत्व क्षमता विकसित करनी होगी। अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि आप अपनी ताकत को पहचानिये, संगठित होकर सामूहिकता के आधार पर कार्य करिये तब जाकर हमें अधिकार अवश्य मिलने लगेंगे।
   अंत में दलित मुद्दों पर विधायकों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। इनके अलावे सर्वश्री संजय पाण्डेय, कन्वेनर, बीआजीए सत्येन्द्र कुमार, अरविंदों बनर्जी, प्राक्सिस, रमेश कुमार एवं रोबिन रवि, बजट वॉच, बिहार आदि ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के अंत में मांग पत्र प्रस्तुत किया गया। तदोपरांत श्री दीपचंद दास द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया

आलोक कुमार