Monday 31 March 2014

आरएसबीवाई लागू करने वालों की नीयत में खोट



मसौढ़ी। पटना - गया रेलखंड पर तारेगना स्टेशन है। मसौढ़ी में ही तारेगना नामक गांव है। जो खगौलीय अध्ययन के लिए उपयुक्त जगह है। यहां पर खगौलशास्त्री अध्ययन करने के लिए आए थे। वहीं आजकल नेताओं का चुनावी मौसम में जमावाड़ा लग रहा है। सभी नेतागण अपने प्रत्याशी के पक्ष में अल्पसंख्यक बहुसंख्यकों के वोट हथियाने में लगे हैं। बीड़ी मजदूरों के आशियाना रहमतनगर में जाकर वोट मांग रहे हैं। वोट लेने की अभिलाषी मगर उनकी समस्याओं की ओर ध्यान ही दिए। केवल वादा के सहारे वैतरणी पार करने की कोशिश में लगे हैं। इसके कारण बीड़ी मजदूर हाशिए पर की जिदंगी बीताने को बाध्य हैं।
बिहार में आबादी के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय में मुस्लिम समुदाय की संख्या अव्वल है। इस समुदाय के बाद आबादी में द्वितीय पायदान पर ईसाई समुदाय आते हैं। सरकार की उदासीनता के कारण ही अल्लाह और खुदा के प्यारे मुसलमानों की हालत खराब है। इसका अवलोकन आप जरूर ही पटना जिले के मसौढ़ी प्रखंड के रहमतनगर में जाकर कर सकते है। यहां पर अल्लाह की रहमत वंदों पर के बराबर है। इन लोगों की माली हालत खराब होने के कारण यहां पर घर - घर बीड़ी बनाने का धंधा किया जाता है। इन लोगों की काफी मेहनत करने के कारण मसौढ़ी की बीड़ी का नाम है। बीड़ी पीने के शौकिन मसौढ़ी की ही ब्रांडेड बीड़ी पीते हैं और मांग भी करते हैं। रहमतनगर में एक मुसलमान परिवार है। इनके परिवार में 11 सदस्य हैं। सभी मिलकर बीड़ी बनाते हैं। काफी मेहनत करने के बाद भी बीड़ी बनाने वाले परिवार की सीढ़ी विकास की ओर नहीं चढ़ सकी है।
जो बीड़ी बनाकर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। घर के काम पूरा करने के बाद ही पैर पसार कर बैठ जाते हैं। उनके सूप में पत्ता , सूखा , धांगा , नाखून और चाकू रहता है। इसी के सहारे बीड़ी बनाते हैं। बीड़ी बनाकर तीन सहेली बहनों ने उर्दू से बी . . पास कर लिए हैं। पैरवी और रिश्वत की मांग की जाती है। गरीबी और लाचारी के कारण पैरवी और रिश्वत की ख्वाहिश पूर्ण नहीं कर पाते हैं। चाहकर भी बीड़ी बनाने वाले परिवार में विकास की सीढ़ी अवरूद्ध है।
सरकार से उपेक्षित बीड़ी बनाने का धंधा करने वालेः केन्द्रीय सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना ( आरएसबीवाई ) के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन बीताने वालों को ही स्मार्ट कार्ड निर्गत किया जाता है। हरदम आश्वासन दिया जाता है कि बीड़ी मजदूरों , मनरेगाकर्मी , वेंडर आदि को भी योजना के दायरे में लाया जाएगा। ऐसे लोग आरएसबीवाई लागू करने वालों की नीयत में खोट रहने के कारण ही योजना से महरूम हैं।
  Alok Kumar


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