
लोक
आस्था है कि
शैतान से सताने
के बाद शिष्यों
के गुरू प्रभु
येसु ख्रीस्त अंतिम
भोजन करने बैठे
थे। भोजन के
पूर्व प्रभुवर गुरू
होकर अपने 12 शिष्यों
के पैर धोएं
और तौलिये से
पोछकर चुम्बन लिए।
इसके पहले यूदस
नामक शिष्य ने
कहा कि गुरूवर
केवल पैर ही
नहीं वरण संपूर्ण
शरीर को ही
धो डाले। इस
पर प्रभु कहते
हैं कि जो
स्नान कर चुके
हैं उनको केवल
पैर ही धोया
जाता है। यह
भी कहें कि
तू ही में
से एक चांदी
के मामूली सिक्कों
के लोभ में
फंसकर मुझे राजाओं
के हवाले कर
दोंगे। इस बात
को लेकर शिष्यों
में कहासूनी हो
गयी। इसपर येसु
ने कहा कि
मौत को गले
लगाने के तीन
दिनों के बाद
पूर्ण सार्मथ्य के
साथ मृतकों में
से जी उठेंगे।
इसे पुनरूत्थान पर्व
कहते हैं। इंगलिश
में ईस्टर और
हिन्दी में पास्का
पर्व भी कहते
हैं।
येसु
ख्रीस्त के पुनरूत्थान
पर्व के अवसर
पर अपने संदेश
में आर्क बिशप
विलियम डिसूजा ने कहा
कि येसु ख्रीस्त
के अधूरे कार्य
को पूर्ण करने
की जरूरत है।
मार्ग में व्यवधान
डालने वालों से
घबड़ाना नहीं चाहिए।
बल्कि जमकर अहिंसात्मक
ढंग से सामना
करना चाहिए। गया
चर्च के पुरोहित
और सामाजिक कार्यकर्ता
फादर जोस ने
कहा कि येसु
ख्रीस्त उपदेश देते थे।
तब हमलोगों ने
स्कूल खोल रखे
हैं। वे रोगियों
की सेवा करते
थे। तब हमलोगों
ने अस्पताल और
स्वास्थ्य केन्द्र खोल रखे
हैं। इसके अलावे
समाज के वहिष्कृत
समुदाय के बीच
में जाकर सेवा
करते हैं। उनके
शासकीय अधिकार प्राप्त करने
योग्य बनाते हैं।
आगे कहा कि
ईस्टर पर्व के
अवसर पर सभी
लोग मिलकर भाईचारे
के साथ त्योहार
मनाएं।
आलोक
कुमार
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