पटना।गया।
पांच मार्च से
ही ईसाई समुदाय
लगातार मातम में
डूबे रहे। पवित्र
धर्मग्रंथ बाइबिल के अनुसार
येसु ख्रीस्त मृतकों
में से तीसरे
दिन पुनर्जीवित हो
जाएंगे। इसको लेकर
श्रद्धालुओं में उत्साह
चरम पर है।
अव्वल येसु पवित्र
शुक्रवार के दिन
सलीब पर चढ़ाकर
मार डाले जाते
हैं। द्वितीय दिन
पवित्र शनिवार को कब्र
में रहते हैं
और तीसरे दिन
पूर्ण सार्म्थय के
साथ रविवार को
तड़के पुनजीर्वित हो
जाते हैं। इस
तरह ईसाई समुदाय
के मसीहा पुनर्जीवित
हो जाते हैं
आल्लेलूइया.... आल्लेलूइया। इस ऐतिहासिक
क्षणों को ईसाई
समुदाय जश्न में
तब्दील करने की
तैयारी कर ली
है। चर्च को
सुरूचि ढंग से
सजाया गया है।
वहीं बच्चों और
युवाओं में काफी
उत्साह है। सूबे
के चर्च में
अर्द्धरात्रि और प्रातःकालीन
धार्मिक अनुष्ठान करने की
व्यवस्था की गयी
है।
लोक
आस्था है कि
शैतान से सताने
के बाद शिष्यों
के गुरू प्रभु
येसु ख्रीस्त अंतिम
भोजन करने बैठे
थे। भोजन के
पूर्व प्रभुवर गुरू
होकर अपने 12 शिष्यों
के पैर धोएं
और तौलिये से
पोछकर चुम्बन लिए।
इसके पहले यूदस
नामक शिष्य ने
कहा कि गुरूवर
केवल पैर ही
नहीं वरण संपूर्ण
शरीर को ही
धो डाले। इस
पर प्रभु कहते
हैं कि जो
स्नान कर चुके
हैं उनको केवल
पैर ही धोया
जाता है। यह
भी कहें कि
तू ही में
से एक चांदी
के मामूली सिक्कों
के लोभ में
फंसकर मुझे राजाओं
के हवाले कर
दोंगे। इस बात
को लेकर शिष्यों
में कहासूनी हो
गयी। इसपर येसु
ने कहा कि
मौत को गले
लगाने के तीन
दिनों के बाद
पूर्ण सार्मथ्य के
साथ मृतकों में
से जी उठेंगे।
इसे पुनरूत्थान पर्व
कहते हैं। इंगलिश
में ईस्टर और
हिन्दी में पास्का
पर्व भी कहते
हैं।
येसु
ख्रीस्त के पुनरूत्थान
पर्व के अवसर
पर अपने संदेश
में आर्क बिशप
विलियम डिसूजा ने कहा
कि येसु ख्रीस्त
के अधूरे कार्य
को पूर्ण करने
की जरूरत है।
मार्ग में व्यवधान
डालने वालों से
घबड़ाना नहीं चाहिए।
बल्कि जमकर अहिंसात्मक
ढंग से सामना
करना चाहिए। गया
चर्च के पुरोहित
और सामाजिक कार्यकर्ता
फादर जोस ने
कहा कि येसु
ख्रीस्त उपदेश देते थे।
तब हमलोगों ने
स्कूल खोल रखे
हैं। वे रोगियों
की सेवा करते
थे। तब हमलोगों
ने अस्पताल और
स्वास्थ्य केन्द्र खोल रखे
हैं। इसके अलावे
समाज के वहिष्कृत
समुदाय के बीच
में जाकर सेवा
करते हैं। उनके
शासकीय अधिकार प्राप्त करने
योग्य बनाते हैं।
आगे कहा कि
ईस्टर पर्व के
अवसर पर सभी
लोग मिलकर भाईचारे
के साथ त्योहार
मनाएं।
आलोक
कुमार
No comments:
Post a Comment