पटना। पटना रेलवे
जंक्शन परिसर में शीत
शव गृह का
निर्माण हो चुका
है। जब निर्माण
नहीं हुआ था तक
रेलवे बॉगी से
प्राप्त लावारिश शवों को
पटना रेलवे टिकटघर
के सामने ही
अमानवीय ढंग से
रख दिया जाता
था। यहां पर
शव रखकर ही
कानूनी प्रक्रिया पूरी की
जाती थी। उसके
बाद मृतक व्यक्ति
के शिनाख्त होने
तक रखा जाता
था। तब जाकर
शव का पोस्टमार्टम
किया जाता था।
उसके बाद ही
शव को गंगा
में प्रवाहित कर
दिया जाता था।
तब
शव से उठते
दुर्गंध से परेशानीः
इस राह से
आवाजाही करने वाले
लोग नाक पर
रूमाल रखकर जाने
को मजबूर हो
जाते थे। पब्लिक
डिमांड पर झुक
गया आसमान की
तरह पूर्व मध्य
रेवले ने शव
को सुरक्षित रखने
की व्यवस्था न
करके जमीन देने
पर सहमति जता
दी। पूर्व मध्य
रेलवे के दानापुर
अनुमंडल के द्वारा
जमीन देने पर
लॉयन्स सेवा मिशन
ट्रस्ट ने शीत
शव गृह निर्माण
कर दिया है।
इसके साथ ही
शव को बाहर
रखना बंद कर
दिया गया है।
लॉयन्स
सेवा मिशन ट्रस्टः
ऐतिहासिक दिन लॉयन्स
सेवा मिशन ट्रस्ट
का। इसके द्वारा
पटना जंक्शन परिसर
में नवनिर्मित शीत
शव गृह को
1 जुलाई , 2013 को लोकार्पण
कर दिया। मौके
पर माननीय सभापति , बिहार विधा परिषद
के कर कमलों
से संपन्न हुआ।
इस अवसर पर
अन्तर्राष्ट्रीय निदेशक लायन वी . के . लूथरा ,
मंडल रेल प्रबंधक ,
दानापुर एल . एम . झा , वरीय
वाणिज्य पदाधिकारी , दानापुर ए . के . रजक ,
वरीर आरक्षी अधीक्षक
, रेल यू . के .
सिन्हा के साथ
अन्तर्राष्ट्रीय सचिव लायन
अशोक गर्ग , अन्तर्राष्ट्रीय
कोषाध्यक्ष लायन राजकुमार
अग्रवाल और सेलटर
ट्रस्टी लायन डा . डी . राम
उपस्थित थे।
दरदर
भटकने वाले इंसान
को फायदाः रेलवे
परिसर और रेलगाड़ी
में जीवन बिताने
वालों को फायदा
होगा। जिदंगी में
गर्मी खाते रहे
और मर जाने
के बाद ठंडक
खाएंगे। अगर ऐसे
लोगों की मौत
हो जाती है।
तो उन शव
को पटना रेलवे
जंक्शन लाया जाएगा।
यहां पर लाने
के बाद शव
को शीत शव
गृह में रखा
जाएगा। लॉयन्स सेवा मिशन
ट्रस्ट ने दो
शीत बॉक्स उपलब्ध
कराएं हैं। दोनों
में दो खंड
है। इसका मतलब
एक साथ 4 शव
को शीत बॉक्स
में रखा जा
सकता है। इनको
कफन भी दिया
जाता है। 10 माह
से सफलतापूर्वक शीत
शव गृह कार्यशील
है। अगर किसी
की मौत रेलगाड़ी
अथवा रेल परिसर
में हो जाए
तो सीधे शीत
शव गृह आ
जाए और पता
लगा लें।
Alok
Kumar
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