Friday 27 June 2014

‘भूमिहीन महिला किसानों के लिए आवासीय भूमि तथा कृषि भूमि के वर्तमान नीतियों पर’ एक दिवसीय राज्य स्तरीय परिसंवाद



पटना। आज ऑक्सफैम इंडिया के सहयोग से और प्रगति ग्रामीण विकास समिति के तत्तावधान में ' भूमिहीन महिला किसानों के लिए आवासीय भूमि तथा कृषि भूमि के वर्तमान नीतियों पर ' एक दिवसीय राज्य स्तरीय परिसंवाद किया गया। 
 इस अवसर पर . एन . सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान के निदेशक डी . एम . दिवाकर ने कहा कि सर्वाधिक जरूरी संसाधन में जमीन ही है। इसके आलोक में बिहार सरकार ने भूमि सुधार कानून बनाकर अव्वल स्थान हासिल कर पायी थी। मगर भूमि सुधार कानून को बेहतर ढंग से लागू नहीं किया गया। भूमि सुधार कानून कोर्ट में , सड़क पर और तो और सरकारी की इच्छाशक्ति के अभाव पर लटक गया है। एक बार वर्तमान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भूमि सुधार कानून को सख्ती से लागू करने पर बल दिये हैं। इसके साथ आवासीय भूमिहीनों के पक्ष में महत्वपूर्ण निर्णय लिए है कि किसी भी हाल में आवासहीनों को 3 डिसमिल जमीन देंगे। अगर पंचायत में जमीन अनुपलब्ध हो तो बाजार भाव में जमीन खरीदकर देंगे। इसकी कीमत 5 हजार अथवा 5 लाख रू . क्यों ने हो। अगर ऐसा भी नहीं हो पा रहा है तो जमीन अधिग्रहण करके भी आवासहीनों को जमीन देंगे। जो स्वागत योग्य है। हमलोग सरकार को हरसंभव सहयोग करेंगे। आगे कहा कि भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष के द्वारा अनुशंसा दी गयी। उसे लागू नहीं की गयी। यह कोई क्रांतिकारी अनुशंसा नहीं था। केवल किसान को जमीन बेचने के पहले बटाईदार की सहमति को अनिवार्य कर दिया गया। जो लोग नहीं समझे और इसको लेकर अफवाहों का दौर चला दिया गया।

किसान सभा के अध्यक्ष सी . पी . सिन्हा ने कहा कि आज किसान और मजदूर अलग - अलग राह पर चल रहे हैं। मजदूर हक अधिकार को लेकर सक्रिय हो गए हैं। यही किसानों के मन में भ्रम पैदा कर दिए है। जबकि बात यह नहीं है। आज भी दोनों एक ही है। एक के बिना दूसरे का काम चलने वाले नहीं है। विख्यात समाजसेवी स्वामी सहजदा नन्द सरस्वती जी कहा करते थे कि अगर मजदूर बेहतर ढंग से कार्य करेंगे तो किसान भी मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने में संकोच नहीं करेंगे। ऐसा नहीं होने पर मजदूरी को लेकर मध्य बिहार में हिंसा का दौर भी चला। आगे अध्यक्ष सिन्हा ने कहा कि किसान सभा की ओर से 35 तरह की अनुशंसा सरकार को पेश की गयी है। इसमें खेत में काम करने के लिए मजदूरों को नहीं मिलने का रोना रोने वाले किसानों को मनरेगाकर्मी और सरकार कुछ राशि किसान को देंगे ताकि किसान भी खेत में कार्य करने वाले मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दे सकें। आगे कहा कि खेत में कार्य करने वाले किसानों की संख्या बढ़ी है। पहले हलधारी किसान होते थे। अब बंगलाधारी किसान , छाताधारी किसान और योजनाधारी किसान हो गए हैं। ये तीन तरह के किसान हलधारी किसानों के हक अधिकारियों को हड़पने में लगा रहता है।उन्होंने विश्वास दिलाया कि आपलोगों की मांग और दिक्कत को कृषि कैबिनेट में रखेंगे।
 बिहार सरकार के कृषि विशेषज्ञ अनिल कुमार झा ने कहा कि कृषि रोड मैंप में साफ तोर पर कहा गया है कि कौन किसान हैं। मगर किसान को जमीन वालों को ही समझ लिया जाता है। वास्तव में भूमिहीन एवं घुमंतू भी किसान हो सकते हैं। ऐसे लोग मछली पालन , मधुमक्खी पालन , दुध पालन , फल उत्पादक आदि हो सकते हैं। जैविक खेती करने पर बल दिया। आगे कहा कि हमलोग 46 तरह के मुआवजा आदि देते हैं। जिसमें सिर्फ दो तरह के ही मुआवजा प्राप्त करने के लिए जमीन की कागजात जरूरी है। वह है 15 से 25 लाख रू . की मश्ीन खरीदने के समय और गोदाम निर्माण करने के लिए। मगर लॉन और मुआवजा देने के लिए अनावश्यक ढंग से रसीद और पर्चा की मांग करते हैं। अगर आपको डीजल पर सब्जिडी लेना है। तो नाम और पता लिखकर देने की जरूरत है। बगल  वाले किसान का नाम और पटवन की तारीख लिखनी है। अगर व्यवधान पड़े तो तुरंत ही बीडीओ से मिलना चाहिए।
पद्मश्री सुधा वर्गीज ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि आज भी महिलाएं भूमिहीन हैं। इनके पास भूमि भी नहीं है। जिसके कारण परेशानी से दो - दो हाथ होने को बाध्य हैं।

प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि सरकार को जन वितरण प्रणाली की दुकानदारों से दिक्कत होती है। इसका एकमात्र उपाय है कि भूमिहीनों को एक एकड़ जमीन उपलब्ध करवा दें। भूमिहीन लोग एक एकड़ जमीन से खुद का भाग्य बना लेंगे। आजीविका का साधन उत्पन्न कर लेंगे। आगे कहा कि आवासहीनों को 10 डिसमिल जमीन उपलब्ध कराएं। इसी जमीन में लोग किचन गार्डेन बनाकर सब्जी उत्पन्न कर लेंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सभी पंचायतों एवं प्रखंडों में महिला किसान भवन बनाया जाए। 
इस असवर पर संजय कुमार प्रसाद , मंजू डंुगडुंग , उमेश कुमार , सिंधु सिन्हा , रंजीत राय , गणेश दास , प्यारे लाल आदि ने विचार व्यक्त किए। मधेपुरा से ध्रुव श्रीवास्तव , मुजफ्फरपुर से लखेन्द्र सिंह , पूर्वी चम्पारण से ष्श्यामनंदन सिंह , जमुई हजारी प्रसाद वर्मा आदि लोग शामिल थे। 
Alok Kumar

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