पटना। 2012 में यूपीए सरकार ने इन्दिरा आवास योजना की राशि में बढ़ोतरी की थी। उसने मिलने वाले 45 हजार रू . में 30 हजार रू . का इजाफा करके 75 हजार रू . कर दी।इस कार्य में जन संगठन एकता परिषद की अहम भूमिका रही है। जन सत्याग्रह
2012 सत्याग्रह पदयात्रा के महानायक पी . व्ही . राजगोपाल और पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के बीच ऐतिहासिक समझौता के पश्चात केन्द्रीय मंत्री ने इन्दिरा आवास योजना की राशि में बढ़ोतरी करने का ऐलान किया था। इसे करतल ध्वनि से स्वागत किया गया।
एक बार भी स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस बार सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने महादलितों को जमीन देने वाली नीति में बदलाव किया है। अब सरकार महादलित परिवारों को न्यूनतम बाजार मूल्य पर जमीन खरीद कर वास की भूमि उपलब्ध करायेगी। इस तरह की मांग गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा की जाती रही है। यह देखा जा रहा था कि सरकार आवासीय भूमिहीनों को 3 डिसमिल जमीन खरीदकर दे रही थी। मगर 20 हजार रू . से 3 डिसमिल जमीन खरीदी नहीं जा सक रही थी। इतने कम दाम पर वास लायक सरकारी या अन्य जमीन नहीं मिल पा रहीं थी राज्य की सभी पंचायतों में वास की जमीन की कीमत लाख रूपये से कम नहीं इसके कारण महादलितों की इन्दिरा आवास योजना के तहत मकान निर्माण होने में दिक्कत होने लगी थी।
महादलितों को जमीन देने वाली नीति को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बदल दी है। महादलित परिवारों को तीन डिसमिल वास की भूमि उपलब्ध कराने की पुरानी नीति में बदलाव किया है। अब सरकार महादलित परिवारों को न्यूनतम बाजार मूल्य पर जमीन खरीद कर वास की भूमि उपलब्ध करायेगी। इसको लेकर कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है और सभी जिलाधिकारियों को जमीन खोजने का निर्देश दिया गया है ताकि बेघर परिवारों को वास भूमि उपलब्ध कराया जा सके।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने महादलित विकास योजना की अवधि दो साल बढ़ा दी है। अब यह योजना विर्त्तीय वर्ष
2015 -16 तक लागू रहेगी। इसके तहत सर्वेक्षित महादलित परिवारों को जिनके पास वास की भूमि नहीं थी उन्हें तीन डिसमिल सरकारी भूमि या भूमि खरीदने के लिए 20 हजार रूपये उपलब्ध कराने का प्रावधान था। एक तो वास लायक सरकारी जमीन मिल नहीं रही थी जबकि दूसरी तरफ 20 हजार रूपये में तीन डिसमिल वास की भूमि खरीदना संभव नहीं हो रहा था। राज्य की सभी पंचायतों में वास की जमीन की कीमत लाख रूपये से कम नहीं है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने महादलित विकास योजना की अवधि दो साल बढ़ा दी है। अब यह योजना विर्त्तीय वर्ष 2015 -16
तक लागू रहेगी। इसके तहत सर्वेक्षित महादलित परिवारों को जिनके पास वास की भूमि नहीं थी उन्हें तीन डिसमिल सरकारी भूमि या भूमि खरीदने के लिए 20 हजार रूपये उपलब्ध कराने का प्रावधान था। एक तो वास लायक सरकारी जमीन मिल नहीं रही थी जबकि दूसरी तरफ 20 हजार रूपये में तीन डिसमिल वास की भूमि खरीदना संभव नहीं हो रहा था। राज्य की सभी पंचायतों में वास की जमीन की कीमत लाख रूपये से कम नहीं है। कारण महादलित को जमीन नहीं मिल रहीं थी। जमीन नहीं मिलने के कारण इंदिरा आवास योजना सहित कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से महादलित वंचित हो रहे थे। इसी के मद्दे नजर राज्य सरकार ने अपने पुराने नियम में बदलाव किया है।
एकता परिषद का कहना है कि सरकार महादलितों को 10 डिसमिल जमीन उपलब्ध कराएं। इस जमीन पर महादलित आवास और आजीविका का साधन जुटा लेंगे। इसके अलावे मांझी सरकार महादलितों को एक साथ पैकेज उपलब्ध कराएं। अव्वल जमीन दी जाए। उसके बाद इन्दिरा आवास योजना से मकान निर्माण कर दिया जाए। शौचालय और पेयजल की व्यवस्था की जाए।
Alok Kumar
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