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यह हाल
दीघा
पुल
से
लेकर
एम्स
तक
है।
गरीब
लोग
नहर
और
सड़क
के
किनारे
रहते
हैं।
कोई
झोपड़ी
निर्माण
किए
हैं।
तो
कोई
ईंट
की
दीवार
और
खप्परैल
मकान
बनाए
हैं।
सबका
एक
ही
इलाज
हो
रहा
है।
इस
गरमी
के
दिनों
में
और
बरसात
के
मौसम
में
घर
से
बेदखल
किया
जा
रहा
है।
प्रशासन
के
द्वारा
ऐलान
कर
दिया
गया
है
कि
आप
निर्मित
घर
को
हटा
दें।
अगर
आप
खुद
ही
नहीं
हटाते
हैं
तो
जेसीबी
मशीन
से
घर
ढाह
दिया
जाएगा।
इस
ऐलान
के
आलोक
में
खुद
ही
घर
के
समान
हटाना
शुरू
कर
दिए
हैं।
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मगर सरकार
ने
निर्माण
कार्य
में
व्यवधान
पड़ने
वाले
लोगों
की
झोपड़ियों
को
जरूर
हटा
दिया
है।
मगर
व्यवधान
डालने
वाले
लोगों
को
विस्थापन
के
पहले
पुनर्वास
की
व्यवस्था
नहीं
की
है।
इसको
लेकर
लोगों
में
आक्रोश
व्याप्त
है।
सरकार
के
पास
योजना
है।
सरकार
को
कार्यशक्ति
का
प्रभाव
है।
मांझी
सरकार
को
चाहिए
कि
दीघा
पुल
से
लेकर
एम्स
तक
नहर
और
सड़क
के
किनारे
अधिकांश
मुसहर
समुदाय
के
लोग
ही
रहते
हैं।
जो
आवासीय
भूमिहीन
हैं।
अगर
सरकार
चाहे
तो
सभी
की
पहचान
आवासीय
भूमिहीनों
में
करके
10 डिसमिल
जमीन
दे
दें।
महादलित
मुख्यमंत्री
को
खुद
ही
संज्ञान
लेने
की
जरूरत
है।
नौकरशाहों
के
सहारे
चलने
में
मुसहर
समुदाय
का
अहित
निश्चित
है।
हुजूर , आपके
पास
तो
खुद
मुसहर
समुदाय
के
हित
करने
वाले
पुराने
साथी
लोग
हैं।
आप
पुराने
साथियों
से
मशविरा
करके
मुसहर
समुदाय
को
आगे
कल्याण
और
विकास
कार्य
से
जोड़ने
का
प्रयास
करना
ही
चाहिए।
Alok Kumar
alokkmr957@gmail.com
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