Friday 13 June 2014

ब्लैक फ्राइडे साबित


जमकर चला अतिक्रमण हटाओं अभियान, प्रशासन के कहर से हो गए सैकड़ों महादलित परिवार बेघर
दानापुर। आज महादलित मुसहर समुदाय के लिए शुक्रवार के दिनब्लैक फ्राइडेसाबित हुआ। तिनका जोड़-जोड़कर झोपड़ी बनाने वाले लोगों के आंख के सामने ही झोपड़ी को जेसीबी से ढांह दिया गया। देखते ही देखते सैकड़ों महादलित मुसहर रोड पर गए।
दानापुर अनुमंडल अन्तर्गत रूपसपुर थाना क्षेत्र में प्रशासन ने शुक्रवार को जमकर अतिक्रमण हटाओं अभियान चलाया। आज मुख्य तौर पर बेलीरोड से खगौल तक नहर किनारे बायीं ओर रहने वाले निशाने पर रहे। चर्चा है कि 15 जून को बेलीरोड से खगौल नहर की ओर जाने वाली सड़क के दाहिनी ओर रहने वालों को निशाने पर लेकर आशियानों को ढांह दिया जाएगा।
आज दोपहर में लोग झोपड़ी में आराम फरमा रहे थे। अचानक भारी संख्या में पुलिस बल बेलीरोड से खगौल जाने वाली सड़क पर धमक गयी। महिलाओं से निपटने के लिए महिला पुलिस को भी साथ लाया गया। इसके बाद जेसीबी मशीन से झोपड़ियों को ढांहने का सिलसिला शुरू कर दिया गया। किसी की फरियाद नहीं सुनी गयी। एक विधवा मुसहरनी गिड़गिड़ा रही थीं कि उसने प्रति करकट एक हजार रू. की दर से 20 करकट लायी है। उसे सुरक्षित निकालने दें। उसकी एक नहीं सुनी गयी। मतवाले पागल हाथी की तरह जेसीबी का इस्तेमाल करके करवट को बर्बाद कर दिया गया। हद तो उस वक्त हो गयी जब गर्मी के दिनों में प्यास बुझाने वाले चापाकल को भी बर्बाद कर दिया गया। कुल मिलाकर सैकड़ों मुसहर परिवार सड़क पर गए हैं। इनका पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की गयी।
सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी ने कहा कि यह मानवाधिकार का मामला बन जाता है। इस गर्मी में लोगों को बेघर कर दिया गया। चापाकल को बर्बाद कर दिया गया। अगर सरकार को विकास के नाम पर गरीबों को हटाना ही था, तो सरकार के पास पुनर्वास नीति है। उस नीति के आलोक में अव्वल पुनर्वास और बाद विस्थापन करना है। मगर यहां उक्त नीति को लागू नहीं किया गया। सभी मानवाधिकार संगठनों से आग्रह किया गया है कि इस समय गरीबों के पक्ष में खड़ा होकर गरीबों को न्याय दिलवाने में योगदान देकर गरीबों के हितेषी बनें।
यहां पर एम्स से लेकर दीघा तक फोरलाइन पुल निर्माण कार्य चल रहा है। इसके आलोक में नहर के गर्भ में  और उसके ऊपर सड़क पर रहने वालों को हटाया गया है। ऐसा करने से काम में व्यवधान नहीं पड़ेगा। अब कल्याणकारी सरकार का दायित्व बनता है कि इस ओर ठोस कदम उठाएं। आवसीय भूमिहीनों की श्रेणी में लाकर सभी सैकड़ों परिवारों को दस-दस डिसमिल जमीन उपलब्ध करा दें।
आलोक कुमार


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