एसडीओ कार्यालय के परिसर के बाहर ‘चूल्हा जलाओ और भूमि पाओ’ कार्यक्रम अक्तूबर माह के मध्य में
हिलसा।
पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार के गृह
क्षेत्र नालंदा जिले के
हिलसा प्रखंड परिसर
में कैडरों के
साथ बैठक की
गयी। इस महत्वपूर्ण
बैठक में भूमि
अधिकार को लेकर
चर्चा की गयी।
अंचल कार्यालय में
प्रेषित आवेदनों पर त्वरित
कार्रवाई, वासगीत पर्चा, आवासीय
भूमिहीनों को 3 डिसमिल
जमीन देने, दाखिल
खारिज, पर्चाधारियों को जमीन
पर कब्जा आदि
को लेकर चर्चा
की गयी।
विभिन्न गांव के कार्यशील लोगों का चयन करके प्रशिक्षण दियाः पैक्स के सहयोग
से प्रगति ग्रामीण
विकास समिति के
द्वारा हिलसा प्रखंड के
30 गांव के कार्यशील
लोगों का चयन
किया गया। इनको
19 और 20 मई को
दो दिनों का
प्रशिक्षण दिया गया।
इन लोगों को
गांव के कैडर
बनने का प्रशिक्षण
दिया गया। कैडर
के गुण, कैडर
के व्यक्ति और
कृतित्व को समझाया
गया। इनको भूमि
अधिकार और स्वास्थ्य
संबंधी जानकारी दी गयी।
सरकारी योजनाओं के साथ
बहुआंकाक्षी मनरेगा पर गहन
विचार विर्मश किया
गया।
मोर्चा से घबराएं अधिकारीः गैर सरकारी
संस्था प्रगति ग्रामीण विकास
समिति के जिला
समन्वयक चन्द्रशेखर सिंह ने
कहा कि गांव
में अनेक समस्याएं
है। जब गांव
के लोग कागज
पर आवेदन लिखकर
ले जाते थे।
तब सरकारी कार्यालय
के बाबू लोग
लिखित आवेदनों को
स्वीकार नहीं करते
थे। तब गांव
की बैठक में
निर्णय हुआ कि
गांव के लोग
चंदा संग्रह करेंगे।
चंदा संग्रह करने
के बाद मुहर
बनाएंगे। इस मुहर
में गांव का
नाम, मोर्चा का
नाम रहेगा। इसमें
मोर्चा के अध्यक्ष,
सचिव और कोषाध्यक्ष
का भी नामोल्लेख
रहेगा। अब लोग
मोर्चा के नाम
से ही ग्रामीण
समस्याओं को लिखकर
आवेदन तैयार करेंगे। उसपर मुहर
लगाएंगे। अध्यक्ष और सचिव
का हस्ताक्षर रहेगा।
ऐसा करने से
कार्यालय के बाबू
आवेदन लेना शुरू
कर दिए हैं।
इस नवाचार से
गांव स्तर के
जन आधारित संगठनों
को मजबूती प्रदान
कर दी है।
सरकारी कार्यालय में सीबीयू
की पहचान और
शक्ति का अहसास
होने लगा है।
इसके पहले जय
जगत,जय जगत
नामक गीत प्रस्तुत
की गयी। हमारा
अधिकार.हमारी आवाज पर
नारा बुलंद किया
गया।
गांवघर के सीबीओ को सशख्त बनाने पर जोरः कैडर बैठक
में 30 गांव के
कैडरों को आना
था। मगर 20 गांव के
ही कैडर आए।
आने वाले कैडर
भी अनुशासित नहीं
रहे। एक घंटा
भी बेहतर ढंग
से स्थिर नहीं
बैठे। इसके आलोक
में वक्ताओं ने
खरीखोटी सुनाएं। आप गांवघर
के कैडर हैं।
स्थिर होकर बैठ
नहीं पाते हैं।
अभी भी बापू
जी के तीन
बंदरों की ही
तरह भूमिका अदा
कर रहे हैं।
अब वक्त आ
गया है। आंख,कान और
मुंह खोलकर अपनी
आवाज को बुलंद
करने की। उठो
जागो और अपना
अधिकार प्राप्त करो।
यह निर्णय लिया गयाः यह
निर्णय लिया गया
कि ढाई साल
से सरकारी कार्यालय
में भूमि अधिकार
से संबंधित आवेदन
दिए गए है।
लगातार सीओ और
एसडीओ से संर्पक
साधा जा रहा
है। आरटीआई से
आवेदनों से संबंधित
जानकारी मांगी जा रही
है। परन्तु सीओ
और एसडीओ आश्वासन
की घुंटी ही
पिलाकर शांत कर
दे रहे हैं।
इसके आलोक में
गांधी,विनोबा,जयप्रकाश
के बताएं मार्ग
पर चलकर जनांदोलन
करना है। एसडीओ
साहब के कार्यालय
परिसर के बाहर
‘चूल्हा जलाओ और
भूमि पाओ’ कार्यक्रम
अक्तूबर माह के
मध्य में किया
जाए। इस बैठक
में उपस्थित कैडरों
ने मंजूरी दे दी
है। इसकी मंजूरी
देने वालों में
घोसी के बिरजू
रविदास, ओरीयामा के सुरेन्द्र
रविदास, मिर्जापुर के आलोक
कुमार, चमण्डीहा, अकबरपुर के
कपिल मांझी, इन्दौत
के कपिल पासवान,
कामता के फकीरा
पासवान, चमण्डीहा के मदन
रविदास आदि प्रमुख
हैं।
आलोक कुमार
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