तब यू
टर्न लेकर कहा गया कि बतौर गारंटी के तौर पर राशि सुरक्षित रखी जाएगी
पटना। टी.बी.बीमारी की चपेट में
मैदार मांझी आ गए हैं। कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं
ग्रामीण विकास केन्द्र में मैदार मांझी को 18 अगस्त 2014 को दिखाया गया। आवश्यक जांच कराने की सलाह दी गयी। कुछ
दिन की दवा भी दी गयी। जांच करवाने के बाद रिपोर्ट 6 अक्टूबर को चिकित्सक ने देखा। इस रिपोर्ट
के आलोक में वरीय चिकित्सक डा. जेड हक ने टी.बी.रोग करार दिया। इसके बाद ‘डॉट’ कार्यक्रम के तहत
प्रथम श्रेणी की दवा देने का आदेश दिया।
जब ‘डॉट’ कार्यक्रम
के तहत दवा देने वाले ने 1000 रू. की मांग कीः उत्तरी मैनपुरा
ग्राम पंचायत में महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। गंगा अपार्टमेंट के सामने
एल.सी.टी.घाट मुसहरी में मैदार मांझी (29 साल) रहते हैं। मालूम हो कि मैदार मांझी के श्वसुर तिलक
मांझी को टी.बी.बीमारी से मृत्यु हो गयी। इसके बाद स्व.तिलक मांझी की पुत्री राजमणि
देवी को भी टी.बी.बीमारी हो गयी। वह चार साल से बेहाल हैं। इनके परिवार में कुल
मिलाकर 5 लोगों को
टी.बी.बीमारी हो गयी।पांच बच्चों की मां राजमणि देवी का कहना है कि जांचोपरांत ‘डॉट’ कार्यक्रम के तहत
प्रथम श्रेणी की दवा देने वाले ने 1 हजार रू.की मांग की है। तब यू टर्न लेकर कहा गया कि
बतौर गारंटी के तौर पर राशि सुरक्षित रखी जाएगी। दवा की कोर्स खत्म होने के बाद
सुरक्षित राशि उपलब्ध करा दी जाएगी। महादलितों को टी.बी.की बीमारी हो जाती है। तो
उसे दवा दिलवाने के लिए केन्द्र में लाते हैं। कुछ दिन दवा खाने के बाद दवा को छोड़
दी जाती है। इसके कारण अनेक लोगों की मौत हो जाती है।
तब
रोगी को चेस्ट क्लिनिक में लिया गयाः एक हजार रू.की मांग के बाद राजमणि
देवी परेशान हो गयीं। यहां से उठाकर चेस्ट क्लिनिक में ले गयी। पाटलिपुत्र के बाद
कोठिया बस्ती में चेस्ट क्लिनिक को स्थानान्तरण कर दिया गया है। यहां पर 13 अक्टूबर को दिखाया
गया। यहां से दवा दी जानी लगी।
उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के
मुखिया सुधीर कुमार सिंह हैः उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के मुखिया
सुधीर कुमार सिंह के द्वारा महादलितों की सुधि नहीं ली जाती है। इसके कारण महादलित
टी.बी.बीमारी की चपेट में आकर परलोक सिधार जाते हैं। इनके द्वारा मृत्यु उपरांत
कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत 1500 रू.दाह संस्कार के लिए नहीं देते हैं। इसके कारण हिन्दू धर्म
स्वीकार करने वाले परिजनों के शव को गंगा किनारे दफनाने को मजबूर हो जाते हैं।
No comments:
Post a Comment