Friday 21 November 2014

जब अपराजिता अपार्टमेंट में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मी से पराजित हो गए



स्वास्थ्यकर्मी एक दिन नहीं दो दिन परेशान हो गए


पटना। आज भी बच्चों को पोलियो की खुराक देना आसान नहीं है। जबकि महानायक अभिताभ बच्चन भी पोलियो की खुराक दिलवाने की अपील करते रहते हैं। यह सही है कि आमलोगों के सहयोग से ही भारत से पोलियो को खदेड़ने में कामयाबी मिली है। फिर से पोलियो जड़ न जमा ले। इसके आलोक में पोलियो की खुराक देने का अभियान जारी है। साल 2014 का पोलियो की खुराक देने का अभियान समाप्त हो गयी। 

इस साल के अंतिम चरण का अभियान 16 से 21 नवम्बर तक चला। बच्चों को पोलियो की खुराक दी गयी। बच्चों को पोलियों की खुराक दिलवाने का अभियान 1995 से जारी है। इस बीच भारत से पोलियो उन्मूलन भी हो चुका है। इसके आलोक में अब परिजन बच्चों को पोलियो की खुराक दिलवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। जब स्वास्थ्य विभाग के कर्मी बच्चों को पोलियो की खुराक देने जाते हैं। तब उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। परिजन द्वार पर आने वालों को अतिथि का स्वागत करने के बजाए दरवाजा बंद कर देते हैं। बंद दरवाजे से बातचीत करते हैं। अंत में बच्चों को पोलियो की खुराक दिलवाते ही नहीं है। इस कृत्य को स्वास्थ्यकर्मी इंकारकहते हैं। तब दूसरे दिन इंकार तोड़वाने के चिकित्सक भी आते हैं। चिकित्सकों से भी मर्यादापूर्ण ढंग से बातचीत नहीं करते हैं।

राजवंशी नगर के कार्यक्षेत्र में अपराजिता अपार्टंमेट है। इसमें दर्जनों परिवार के लोग रहते हैं। दो परिवार के लोगों ने बच्चों को पोलियो की खुराक दिलवाने में बवाल खड़ा कर दिए। खुराक दिलवाने में इंकार करने पर चिकित्सक जाते हैं। परन्तु चिकित्सक की बातों का असर ही नहीं पड़ा। उनको कहना है कि पोलियो की खुराक तो गरीबों के बच्चों को दिया जाता है। आपलोग बेकार ही अपार्टमेंट के चक्कर लगाते हैं। हमलोगों के निजी चिकित्सक कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति से पोलियो की खुराक नहीं लेनी चाहिए। इसका विपरित असर पड़ता है। अब आपलोग जा सकते हैं। किसी ओर जगह में जाकर खुराक देने का प्रयास करें।

दूसरे दिन स्वास्थ्यकर्मी को देखते ही परिवार के सदस्य दौड़कर घर में आता है। फिर आप आ गए। उनको बताया जाता है कि एक भी बच्चा छुटता है तो पोलियो अभियान में विपरित असर पड़ता है। इसे हमलोग कहते हैं कि कोई मां रूठे नहीं और कोई बच्चा छूटे नहीं। इस लिए आपके घर आ रहे हैं। तब जाकर परिजन के मन परिवर्तन हुआ। उन्होंने कहा कि निजी चिकित्सक से परामर्श लिया गया। चिकित्सक ने कहा कि पोलियो वाइल के बैंच नम्बर और एक्सपाइरी डेथ लिख लें। इसके बाद नये वाइल से ही बच्चे को पोलियो की खुराक दिलवाए। इतना करने के बाद ही अपराजिता अपार्टमेंट के लोग स्वास्थ्यकर्मी से पराजित हो गए।

आलोक कुमार


No comments: