घर
के कूड़ों को
सड़क पर और
घर के पूजन
सामग्री को गंगा
नदी में फेंक
देते !

इन
गगनचुम्बी कूड़ों के ढेर
से इंसान और
जानवर को फायदा
होता है। इंसान
कूड़ों के ढेर
से रद्दी चुनकर
बेचते हैं। वहीं
जानवर खाने योग्य
चीजों को आहार
बना लेते हैं।
इंसान और जानवर
के बीच में
कभी - कभी जंग
भी हो जाता
है। चीजों को
पहले हम पहले
हम करने के
चलते इंसान पर
जानवर टूट भी
पड़ते हैं। इसी
अप्रत्याशित घटना को
जानवर अंजाम न
दें। इसी लिए
इंसान के हाथ
में डंडा रहता
है। इस डंडे
से इंसान जानवर
को दूर भगाने
में सफल हो
जाते हैं।

इसी
रूट में मूर्ति
मकान है। नेताओ
की मूर्ति है।
उसमें राष्ट्रपिता महात्मा
गांधी जी की
मूर्ति है। इस
मूर्ति मकान के
सामने कूड़ा फेंका
जा रहा है।
आखिर लोग कूड़ा
सड़क पर क्यों
न फेंके ! यह
सवाल है। एक
ईंच जमीन छोड़े
बिना मकान बनाया
जा रहा है।
घर में कूड़ादान
नहीं है। बस
प्लास्टिक में कूड़ा
रखते हैं। बस
प्लास्टिक उठाकर सड़क पर
कूड़ा फेंक देते
हैं। ऐसा करने
से कोई बोलने
वाला नहीं है।
पटना नगर निगम
को टेक्स देते
हैं। बस नगर
निगम का कार्य
हैं। इन कूड़ों
को उठाकर उचित
जगहों पर निष्पादन
करें। उसी तरह
घर में पूजा
सामग्री के समानों
को गंगा जी
डाल आते हैं।
इस तरह इंसान
गंदगी दूर करने
के बदले गंदगी
प्रसार में सफल
हो रहे हैं।
Alok
Kumar
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