‘द्यर का अधिकार
कानून 2014’का मसौदा धरा के धरा ही रह गया
गया।
बिहार सरकार के द्वारा राज्य महादलित आयोग बनाया गया। आरंभ में समाज के किनारे
रहने वाले समुदाय को ही शामिल किया। इसके बाद सरकार ने ‘पासवान’जाति को छोड़कर अन्य सभी जातियों को
शामिल कर लिया। इस तरह सरकार की नियत और नियति पर सवाल उठने लगा। ‘पासवान’ को हाशिए पर रखकर
राज्य सरकार ने महादलितों को 3 डिसमिल जमीन दी
देने लगी। अब सरकार ने महादलितों को मिलने वाली जमीन में भी हिस्सेदारी देने जा
रही है। अब महादलितों की तरह ही भूमिहीन पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के लोगों को भी 3 डिसमिल जमीन दी जाएगी। गैर मजरूआ जमीन नहीं रहने पर 20 हजार रूपए जमीन खरीदने के लिए दी जाएगी। गृहस्थल योजना के
रैयती भूमि क्रय नीति 2011 के तहत जमीन
खरीद कर उपलब्ध कराई जाएगी। शहर में रहने वालों को 5 डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को 3 डिसमिल जमीन दी जाएगी। महादलितों के अलावे अन्य जातियों को जमीन देने पर
ए.एन.ओ. को धन देने वाले डोनर भी आंख-मुंह बिचलाने लगे हैं। सरकार हमाम में नंगे
है।
जी हां,
आजादी के बाद भूमि सुधार कानून बनाने वाला प्रथम राज्य
बिहार ही है। बिहार प्रिविलेज्ड परसन्स होमस्टीड टिनेन्सी रूल्स 1948 ,बिहार में भूमि सुधार कार्यक्रम 1950 में भूमि सुधार(जमींदारी उन्मूलन), भूदान यज्ञ कानून 1954, 1961 में भूमि सुधार
(जमीन की हदबंदी) के तहत आगे चलकर बटाईदारी कानून, बासगीत कानून, चकबंदी कानून, सूदखोरी उन्मूलन कानून भी बने।
मजे की
बात है कि सरकार ने कानून बनाकर लागू कर दिए। मगर इस तरह की निर्मित कानूनों के
अंदर 77 छेद है। बंगाल में भूमि सुधार लागू करके
खासा अनुभव हासिल करने वाले डी0बंधोपाध्याय को
राज्य सरकार ने 2006 में बिहार भूमि सुधार आयोग का
अध्यक्ष बना दिया। आयोग ने अंतरिम रिपोर्ट 2007 में पेश किया। इससे लागू नहीं किया गया।इसमें कई तरह के क्रांतिकारी
अनुशंसा की गयी ।
केन्द्र
में सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य में मुख्यमंत्री बदल दिए गए। पूर्व मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया। ऐसा करके महादलित वोट
बैंक पर आइस जमाने का प्रयास किया। अबतक नौकरशाहों और सार्मथ्यवान लोगों के द्वारा
के भूमि सुधार संबंधी कानून को माखौल बना डाला था। उसको पटरी पर लाने का प्रयास 2014 में किया गया। खुद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी दिलचस्पी लेकर
भूमि सुधार कार्यक्रम को जोरशोर से चलाने का संकल्प लिए। इसके आलोक में नौकरशाह
सक्रिय हो गए।
सबसे पहले विदेशी धन से मन लगाकर भूमि अधिकार
संबंधी कार्य करने वाले ए.एन.जी.को नकेल कंसा गया। अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज
अध्ययन संस्थान के निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर के निर्देशन में कोर कमेटी का गठन किया
गया। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्याज जी अध्यक्ष है। कोर कमेटी
में समाजसेवियों को भी शामिल किया गया। जब से समाजसेवी कमेटी में आए हैं तब से
विदेशी धन से धरना-प्रदर्शन पर विराम लग गया।एन.जी.ओ.को बहुत फायदा हुआ। जनता के
बीच में प्रचार प्रचार करने लगे कि सरकारी अधिकारियों के साथ एडवोकेसी(जन वकालत)
करने के परिणाम से कोर कमेटी बना है। अब आपकी समस्या का अंत हो जाएग। गया जिले के
निवर्तमान जिलाधिकारी ने कहा डाला कि सभी सरकारी जमीन पर रहने वालों को 2 अक्टूबर 2014 को बासगीत पर्चा
निर्गत कर देंगे। उनके स्थानान्तरण होते ही बासगीत पर्चा पाने का सपना हकीकत में
नहीं बदला।
इस
समाजसेवियों के माध्यम से ही ऑपरेशन दखल दिहानी,ऑपरेशन बसेरा और दाखिल खारिज के लिए पंचायत स्तर पर कैंप का आयोजन किया जा
रहा है। गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा गांवघर में कार्य किया जाता है। इनके
माध्यम से बेदखली के शिकार पर्चाधारियों की तलाश की जाती है। सीमा से अधिक भूमि
रखने वाले लोगों से जमीन ली गयी। उस जमीन को भूमिहीनों के बीच में वितरित कर दी
गयी। सरकार के द्वारा जमीन का मालिका हक देने के बाद भी भूमिहीनों का जमीन पर
कब्जा नहीं है। आने वाले चुनाव को देखकर बेदखली के शिकार लोगों को जनवरी से ऑपरेशन
दखल दिहानी के तहत जमीन पर कब्जा दिलाया जायेगा। इस बीच राजस्व एवं भूमि सुधार
विभाग के प्रधान सचिव व्याज जी ने राज्य के आवासहीन नागरिकों को ‘द्यर का अधिकार कानून 2014’ का मसौदा तैयार कर लिया।मुख्यमंत्री ने मसौदा को तवज्जों दिया ही नहीं है।
अगर ‘द्यर का अधिकार कानून 2014’ के प्रति संवेदनशील होते तब मंत्रीमंडल से मसौदा को स्वीकृत
करके बिहार विधान सभा और बिहार विधान परिषद से कानून बना डालते। इतना तो तय है कि 2014 में ‘द्यर का अधिकार
कानून 2014’का मसौदा धरा के धरा ही रह गया।
सरकार के सूर्यास्त समय में भूमि संबंधी निर्णय लेने पर लोग आश्चर्यचकित हो रहे
हैं।
राज्य
महादलित आयोग के प्रथम निवर्तमान अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि ने महादलितों को 15 डिसमिल जमीन देने की अनुशंसा सरकार से की थी। इसी तरह बिहार भूमि सुधार आयोग के
निवर्तमान अध्यक्ष डी0बंधोपाध्याय ने 10 डिसमिल जमीन देने की अनुशंसा की थी। इसी के आलोक में जन
संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी0व्ही0राजगोपाल ने भी 10 डिसमिल
जमीन देने की मांग की है।
आलोक
कुमार
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