Tuesday 16 December 2014

नारी गुंजन के द्वारा संचालित आवासीय विद्यायल की बालिकाएं

शहरी और ग्रामीण मुसहरी के बीच में अन्तरों का करते अवलोकन

पटना। गैर सरकारी संस्था नारी गुंजन द्वारा संचालित आवासीय विद्यालय है गया और पटना में। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के सहजातीय लोगों को शिक्षित किया जाता है। यहां पर महादलित मुसहर समुदाय की लाडली बेटियों को ही पढ़ाया जाता है। सातवीं कक्षा तक पढ़ाई जाती है।इसके बाद आवासीय केन्द्र में ही रहकर बाहर में आकर आठवीं,नौवी और दसवीं कक्षा की पढ़ाई करती हैं। नोट्रेडम एकेडमी की पद्मश्री सिस्टर सुधा वर्गीज,एनडी के कुशल संरक्षण में आवासीय विद्यालय चल रहा है।

महादलितों की मुसहरी जमसौत में रहकर सिस्टर सुधा वर्गीज ने मिशनरी मनोरथ पूरा कर रही थीं। आधुनिक युग के वाहनों को टा-टा बाय-बाय कहकर आम आदमी की साइकिल का उपयोग की। इसके आलोक में सिस्टर सुधा वर्गीज को आमलोगों ने साइकिल वाली दीदी कहकर पुकारने लगें। पेशे से वकील बनकर सामाजिक कार्य करने वाली सिस्टर सुधा को केन्द्र सरकार की ओर से पद्मश्री अवार्ड प्राप्त हुआ। वहीं अभी बिहार सरकार के द्वारा बिहार राज्य अल्पसंख्यक एवं भाषाई आयोग की उपाध्यक्ष बनायी गयी हैं।

बहरहाल सामाजिक कार्यकत्री सिस्टर सुधा के प्रयास से महादलित मुसहर समुदाय की लाडली बेटियों को फायदा हो रहा है। बिहार सरकार के कल्याण विभाग से प्राप्त साधनों से सीधे लाभ कराया जाता है। यहां पर जूडो-कर्राटे भी सिखाया जाता है। आवासीय विद्यालय में प्रशिक्षित होकर विदेश में जाकर प्रतिभा को प्रदर्शित करती हैं। कई बार सामूहिक और व्यक्तिगत अवार्ड लेकर नाम रोशन करती हैं। समाज के किनारे रहने वाली बालाओं ने कहा कि हमलोगों को मौका मिले तो शिखर पर पहुंच जाएंगे। अर्मेनिया,जापान, अमेरिका आदि देशों में जाकर डंका बजा चुकी हैं।

आजकल आवासीय विद्यालय की छात्राएं टोली बनाकर मुसहरी में अभ्यागमन करने जा रही हैं। इन टोलियों में गया,जहानाबाद, नालंदा, पटना आदि जिले की बच्चियां हैं। ग्रामीण और शहरी मुसहरी के बीच में अन्तर देख रही हैं। शहरी मुसहरी में गंदगी का अम्बार है। शहरी मुसहरी के मासूम बच्चे रद्दी कागज आदि चुनने में मस्त हैं। वहीं सयाने महुआ और मिठ्ठा से शराब बनाने में व्यस्त हैं। दूसरी ओर ग्रामीण मुसहरी में गंदगी नहीं है। यहां से पलायन तेज है। पलायन करके बंधुआ मजदूर बनने को बाध्य हैं।

गया जिले के मेडिकल कॉलेज के समीप वीर कुवंर सिंह गली में रहने वाली सिम्पल कुमारी ने कहा कि हमलोग शहरी मुसहरी को देखकर हैरान-परेशान हो गए हैं। सभी लोग स्नान ही नहीं करते हैं। बाल भी संवारते नहीं हैं। नारी गुंजन के द्वारा बच्चों को पढ़ाने के लिए केन्द्र खोला गया है। यहां के बच्चों को बुलाने के बाद भी पढ़ने नहीं जाते हैं। हमलोग 15 दिनों के अंदर वातावरण तैयार करने का प्रयास करेंगे ताकि बच्चे और सयाने चल सके। इन बच्चियों को उस समय आश्चर्य लगा कि जब शहरी मुसहरी के लोग जन वितरण प्रणाली की दुकान से खाद्य सुरक्षा अधिकार के तहत मिलने वाले अरवा चावल को बेच दे रहे हैं। उसके बाद उसना चावल खरीद रहे हैं। ऐसा करने से मुसहर समुदाय के लोगों को ठगा जा रहा है।

आलोक कुमार

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