Saturday 3 January 2015

दीघा बिन्दटोली के सैकड़ों परिवार वाले लोगों को पुनर्वास करे सरकार

                                         समय रहते लिए गए निर्णय को अमल कर दे सरकार 


 पटना। पटना नगर निगम के नूतन राजधानी अंचल अन्तर्गत वार्ड नम्बर 1 के बगल में है दीघा बिन्दटोली। यहां पर सैकड़ों की संख्या में परिवार वाले लोग आवासीय भूमिहीन हैं। इसके साथ खेतिहर भूमिहीन भी हैं। गंगा और सोननदी के किनारे रहते हैं। आजादी के 67 साल तक बिन्द जाति के लोग जन प्रतिनिधियों की तकदीर ही बनाते रहे। मगर बिन्द जाति के लोगों की तकदीर नहीं सुधरी। झोपड़पट्टी में रहते हैं। मोटा अनाज खाते हैं। गर्मी के दिनों में दोपहर में चूल्हा नहीं जलाते है। इन लोगों पर अगलगी से झोपड़ी स्वाहा हो जाने का भूत चढ़ा रहता है। बिजली लाइन नहीं दौड़ाया गया है। खेतिहर भूमिहीन होने के कारण बटाईदारी पर खेत लेकर खेती करते हैं। पटना और छपरा दिराया में जाकर खेती करते हैं।
पूर्व मध्य रेल के द्वारा दीघा से सोनपुर तक रेल-सह-सड़क पुल निर्माण हो रहा है। इसके आलोक में अब दीघा बिन्दटोली के लोगों के बीच में बेचैनी बढ़ने लगा है। हालांकि, सरकार ने निर्णय ले लिया है कि पिछड़ी जाति के लोगों को विस्थापन के पूर्व पुनर्वास कर दिया जाएगा। इस आशय का निर्णय मंत्री परिषद की बैठक में ली गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बैठक की गयी थी। निर्णयानुसार कदम नहीं उठने से लोग परेशान होने लगे हैं।  
बिन्दटोली के बारे में है पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जानकारीः कई दशक से दीघा बिन्दटोली में बिन्द जाति के लोग रहते हैं। गंगा और सोन नदी ने बिन्दटोली को कटाव करके बौना कर दिया है। जो कुछ बचा था उसका कसर ईट मालिकों के द्वारा कर दिया जाता था। हरेक साल भट्टा चलाने के लिए मिट्टी कटाई करके बिन्दटोली में रहने वालों को मौत के मुंह में ढकेल दिया जाता था। यहां के लोग सरकार के प्रति शुक्रगुजार हैं कि गंगा और सोन के किनारे ईट भट्टे चलाने के लिए प्रतिबद्ध लगा दिया। तबतक खुश होते तबतक रेल-सह-सड़क पुल निर्माण करने का मसला आ गया। बिन्दटोली में तटबंध बनाकर रोड बनाया जाएगा। 
अब तो निश्चित है कि यहां के लोग उजड़ जाएंगेः अब तो निश्चित है कि यहां के लोग उजड़ जाएंगे। बारम्बार पूर्व मध्य रेल के द्वारा बिन्दटोली छोड़कर हट जाने का पैगाम दे रहे हैं। यहां के लोग डटे हैं कि जबतक सरकार विस्थापन के पहले पुनर्वास नहीं किया जाता है। तबतक अन्यत्र नहीं जाएंगे। इनको राजनीति संरक्षण प्राप्त है। कारण कि यहां के लोग राजनीति दलों और त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों की तकदीर बनाने वाले हैं। थोकभाव में मिलकर वोट डालते हैं। हां, नकटा दिराया ग्राम पंचायत के चुनाव में बिन्दटोली के लोगों के बीच में दरार पर गया था। दो फाड़ होने से लोगों ने फिफ्टी-फिफ्टी होकर पंचायत चुनाव में वोट डाल दिए। इतना होने के बाद भी बिन्दटोली के लोगों के बीच में मतभेद नहीं है। 
प्राथमिक मध्य विघालय में पढ़ते हैं बच्चेः प्रारंभ में कोई समाज सेवक आकर बच्चों को पढ़ाते थे। पढ़ाने वाले को रहने के लिए झोपड़ी और खाने के लिए रोटी मिल जाता था। रामधीरज महतो कहते हैं कि काफी मेहनत करने के बाद प्राथमिक मध्य विघालय, उप स्वास्थ्य केन्द्र और आंगनबाड़ी केन्द्र खोला जा सका है। इसके पहले किसी विदेशी संस्था के द्वारा विघालय चलाया जाता था। उसका प्रयास था कि सभी लोगों को धर्म परिवर्तन करा दें। मगर कामयाबी नहीं मिलने के कारण रूखसत हो गया। अभी कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल की प्रशिक्षु नर्सेंज आती हैं। इनका फिल्ड वर्क होता है। पूर्व मध्य रेल के द्वारा विस्थापित कर देने से हमलोगों को मुश्किल होना लाजिमी है। 
आलोक कुमार


No comments: