Thursday 5 February 2015

चार दिवसीय जन सत्याग्रह पदयात्रा 20 फरवरी से हरियाणा के पलवल से



बिहार से भूमि अधिकार चेतावनी सत्याग्रह में जाएंगे सैकड़ों की संख्या में किसान-मजदूर 
गया। आज भी देश में भूमि लूट जारी है। ऐसे सफेदपोश भ्रष्टाचारियों के कारण़ं ग्रामीणांचल के करोड़ों परिवार भूमिहीन और आवासहीन हो गए हैं। इसमें सरकार भी पीछे नहीं है। उनके द्वारा विकास और परियोजनाओं के नाम पर करोड़ो़ आदिवासी परिवार भूमि अधिकार से ही बेदखल कर दिए गए हैं। दुर्भाग्य से लाखों दलित परिवारों को भूमि अधिकारों को सुनिश्चित नहीं किया जा सका है। 

इस बीच लाखों हेक्टेयर कृषि और वनभूमि गैर कृषिवनीय कार्यों के लिए उघोगों को स्थानांतरित हुई है और गरीबों, मजदूरों, आदिवासी व दलितों के लिए भूमि न होने के सरकारी बहाने बनाये जाते हैं। इसके उदाहरण उत्तरप्रदेश में गंगा एक्सप्रेस-वे, यमुना एक्सप्रेस-वे और हरियाणा का गुड़़गाँव जैसे इलाके हैं जहाँ पर किसानों की जमीनों को सरकार ने अधिग्रहित कर निजी कम्पनियों को बेचा है। जिन लोगों की निर्भरता खेती और खेती से जुड़ी आजीविका पर है वे सरकार की इन नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं। 
इन विषम परिस्थितियों से छुटकारा पाने के लिए एकता परिषद और साथी संगठनों के द्वारा किये गये जन सत्याग्रह 2012 जन आंदोलन के परिणाम स्वरूप 11 अक्टूबर, 2012 को आगरा में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और जन सत्याग्रह के नेतृत्वकर्ता  राजगोपाल पी.व्ही. के बीच में भूमि सुधार के लिए 10 सूत्रीय समझौता हुआ। जिसके आधार पर भूमि और कृषि सुधार का कार्य प्रारंभ हुआ और राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति तथा आवासीय भूमि का अधिकार कानून का मसौदा तो तैयार किया गया किन्तु उसको संसद से पारित नहीं कराया जा सका। उम्मीद थी कि वर्तमान केन्द्र सरकार आगरा समझौते के अनुरूप कार्य करेगी किन्तु ठीक इसके उलट भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में किसानों के हितों को ताक पर रखते हुए भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश 2014 लाया गया। एकता परिषद और साथी संगठन भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश का विरोध करते हैं।

इसलिए भारत सरकार को चेतावनी देने के लिए देश के तमाम संगठनों के द्वारा एकता परिषद के संस्थापक और राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. के नेतृत्व में जन सत्याग्रह पदयात्रा 20 फरवरी, 2015 को हरियाणा के पलवल से प्रारंभ होकर 24 फरवरी, 2015 की शाम तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुँचेगी और वहाँ पर धरना शुरू होगा। इस पदयात्रा और धरना में पूरे देश के हजारों किसान, आदिवासी, दलित और मजदूर भाग लेंगे। पदयात्रा की माँग है कि भारत सरकार-1, देश के सभी आवासहीन परिवारों को आवासीय भूमि का अधिकार देने के लिए ‘राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार गारंटी कानून’ घोषित कर उसको समय सीमा के अंतर्गत क्रियान्वित करें। 2, देश के सभी भूमिहीन परिवारों को खेती के लिए भूमि अधिकार के आबंटन के लिए ‘राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति कानून’ घोषित कर क्रियान्वित करें। 3, वन अधिकार मान्यता अधिनियम 2006 तथा पंचायत विस्तार विषेश उपबंध अधिनियम 1996 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विशेष कार्यबल का गठन करें। 4, किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ‘भूमि अधिग्रहण कानून’ के संशोधन अध्यादेश 2014 को रद्द करें।

एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीश ने बताया कि जन सत्याग्रह पदयात्रा 20 फरवरी, 2015 को पलवल से प्रारंभ होकर 24 फरवरी, 2015 की शाम तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुँचेगी और वहाँ पर धरना शुरू होगा। 20 फरवरी 2015 हुडा मैदान सेक्टर 12 पलवल से पृथला 09 कि.मी.। 21 फरवरी 2015 पृथला से जे.सी.बी 10 कि.मी.। 22 फरवरी 2015 जे.सी.बी से बड़कल 14 कि.मी.। 23 फरवरी 2015 बड़खल से मदनपुर खादर 09 कि.मी.।24 फरवरी 2015 मदनपुर खादर से जंतर मंतर 20 कि.मी.है। इसके बाद जंतर मंतर धरना 
शुरू हो जाएगा। 

आलोक कुमार

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