Wednesday 6 February 2013

मनरेगा की शुरूआत आज के ही दिन किया गया

 मनरेगा की शुरूआत आज के ही दिन किया गया

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम नरेगा की शुरूआत 6 फरवरी 2006 को किया गया। इसे केन्द्र सरकार ने मजबूती से लागू करने का वादा और मन बनाया है। बाद में नरेगा के नाम परिवर्तन करके महात्मा गांधी नरेगा कर दिया गया है। आसानी से मनरेगा भी कहा जाता है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दानापुर प्रखंड के जमसौत पंचायत में स्थित जमसौत मुसहरी के बगल में महादलितों को जॉब कार्ड थमा कर उद्घाटन किया था। आज यह हाल है कि जहां से मनरेगा शुरू हुआ वहीं पर थम गया है।
 मनरेगा के तहत गांव में रहने वाले श्रमिकों को 100 दिनों का काम मांग कर काम करने अधिकार  दिया है। 18 से 60 साल के ग्रामीण मनरेगा से काम करने हेतु जॉब कार्ड बनवाते हैं जो शासक के द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है। आवेदन देने के 15 दिनों के अंदर जॉब कार्ड उपलब्ध करा देना है। एक परिवार में एक ही जॉब कार्ड वितरण किया जाता है। एक परिवार के लोग मिलकर 100 दिन काम कर सकते हैं। काम करने के लिए भी आवेदन दिया जाता है। दो प्रति में आवेदन मुखिया,रोजगार सेवक,कार्यक्रम पदाधिकारी को देते हैं। कानून के अनुसार एक प्रति ग्रहण करके दूसरी प्रति पर हस्ताक्षर करके आवेदक को देना है। आवेदन प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर आवेदक को काम उपलब्ध कराना है। ऐसा नहीं करने पर आवेदक के द्वारा मांग किया गया कार्य दिवस के अनुसार बेरोजगारी भत्ता देना है।
  जहां पर काम होना है वहां पर कुछ मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य है। धूप से बचाव के लिए व्यवस्था करनी है। स्तनपान करवाने वाले और छोटे बच्चों को रखने के लिए पालनाघर बनाना है। प्राथमिक उपचार के लिए किट रखना है। सभी लोगों को पानी पीलाने वाले को रखना है। मस्टर रौल रखने के लिए थैला रखना है।
  

                                    अन्य योजनाओं की तरह ही मनरेगा में भी धांधली

 मनरेगा में जमकर धांधली जारी है। निःशुल्क मिलने वाले जॉब कार्ड देने के एवज में 30 से 40 रूपये ऐंठ लिया जाता है। मौखिक रूप से ही काम दे दिया जाता है। जॉब कार्ड मुखिया अथवा अन्य दलाल किस्म के लोगों के पास रहता है। जो मनमर्जी से जॉब कार्ड में काम करने की अवधि को भरकर मजदूरी में लूटपाट करने लगते हैं। आज काम करो तो पता नहीं मजदूरी कब मिल पायेगा। यह भी गारंटी नहीं है कि किये गये कार्य की मजदूरी मिल ही जाये। कानून की किताब में ही धूप से बचाव के लिए व्यवस्था करनी है। स्तनपान करवाने वाले और छोटे बच्चों को रखने के लिए पालनाघर बनाना है। प्राथमिक उपचार के लिए किट रखना है। सभी लोगों को पानी पीलाने वाले को रखना है। मस्टर रौल रखने के लिए थैला रखना रह जाती है।


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