Thursday 26 May 2016

कुर्जी पल्ली के प्रधान पल्ली पुरोहित ने सख्त कदम उठा लिये


धर्मशिक्षा की कक्षाओं में अनुपस्थित रहने वालों को अनुशंसा पत्र नहीं देंगे

पटना। क्या ईसाई धर्मावलम्बी भी साम्प्रदायिक विशेष की भूमिका अदा करते है? इस संदर्भ में अल्पसंख्यक समुदाय खुलेआम बीजेपी को ही साम्प्रदायिक दल मानते और पहचानते हैं। खुद का पाक साफ समझते और बोलते हैं। इस बार खुद फंसते नजर आ रहे हैं। 

हुआ यह कि कुर्जी पल्ली के प्रधान पल्ली पुरोहित ने सख्त कदम उठा लिये हैं। जोश में होश खो दिये हैं। प्रेरितों की रानी ईश मंदिर की सूचना पट पर सूचना प्रचारित कर दिये हैं। और तो और रविवार मिस्सा के दौरान सार्वजनिक घोषणा भी करवा दिये हैं।‘जो बच्चे पिछले वर्ष (सत्र 2015-2016) में धर्मशिक्षा की कक्षाओं में अनुपस्थित थे,उन्हें पल्ली से किसी प्रकार का अनुशंसा पत्र नहीं दिया जाएगा। अतः इसके लिए व्यर्थ में परेशान न करें’। 

कुर्जी पल्ली में रहने वालों में काफी आक्रोश व्याप्त है। यहां के लोगों ने बतौर प्रतिक्रियाओं में कहने लगे हैं कि आजकल के पुरोहित भी मुखियागिरी करने पर उतर गये हैं। अब तो खुलेआम ईसाई धर्मगुरू पंचायत के मुखिया की भूमिका में आ गये हैं। अपनी बातों को सही पैगाम देने तथा उसे मनवाने की दिशा में कठोर और गैर वाजिब कदम उठाने लगे हैं। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय में अमुख पंचायत के मुखिया के पक्ष में मतदान नहीं करने के एवज में मतदाताओं को प्रताड़ित करने लगते हैं। चुनावी फतह के बाद (विपक्षी) को सबक सीखाने लगते हैं। विपक्षी लोगों के कल्याण और विकास का कार्य ही नहीं करते हैं। उस अवस्था में ईसाई धर्मगुरू आवाज बुलंद करते हैं। अब ईसाई धर्मगुरू के द्वारा उठाया गया कदम के विरूद्ध आवाज कौन कदम उठाएंगा? खुद को ईसाइयों के सेवक कहने वाले धर्मगुरू मालिक बन गये हैं। इनके गैर वाजिब कदमांे का विरोध करने वालों को मिशनरी विरोधी करार  देते हैं। यहां तक विरोध करने वाले लोगों को नौकरी से बाहर निकाल देने और अपने पालतू कुकुरों से धुलाई भी करवा देते हैं। 

पल्ली से किसी प्रकार का अनुशंसा पत्र नहींः कुर्जी पल्ली में पहली बार कहा गया कि सत्र 2015-2016 में धर्मशिक्षा की कक्षाओं में अनुपस्थित थे,उन्हें पल्ली से किसी प्रकार का अनुशंसा पत्र नहीं दिया जाएगा। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा संस्था का पंजीयन करते समय भी अल्पसंख्यक और ईसाई समुदाय का उल्लेख किया जाता है।हां, पंजीकृत मिशनरी संस्थाओं में नामांकन एवं नौकरी का आवेदन देते समय पल्ली पुरोहित अनुशंसा पत्र देते हैं। अनुशंसा पत्र में लिखा जाता है कि अमुख परिजन और उसके बच्चे पल्ली के निवासी हैं। पेशेवर क्रिश्चियन हैं। स्कूल के द्वारा नामांकन के समय मांग की गयी जरूरी दस्तावेज पेश करने के बाद ही नामांकन संभव है। यह जरूरी नहीं है कि नामांकन ले लिया जाएगा। उसी तरह नौकरी में भी किया जाता है। यह अतिशोक्ति नहीं है कि हरदम बच्चों को स्कूलों में परिजनों को नौकरी वाले स्थान पर तलवार लटकती रहती है। कम दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल बाहर न कर दिया जाये।

प्रभु येसु ख्रीस्त ने शिष्यों को आदेश दें रखा है कि आप जिसका पाप क्षमा करते हो,उसका पाप क्षम्य हो जाएगा। इसके आलोक में पापस्वीकार संस्कार का उद्गम हुआ है। धर्मावलम्बी पुरोहित के पास जाकर पापस्वीकार करते हैं। कृत पाप को क्षमा करते समय पुरोहित कहते हैं , जा फिर से पाप न करना। मगर धर्मशिक्षा की कक्षाओं में अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को पापस्वीकार करने का मौका ही नहीं दिया गया। एक ही झटके में अनुशंसा पत्र देना ही बंद कर दिया गया है। जबकि पवित्र बाइबिल में उल्लेख है कि पाप करने वाले लगातार पाप करेंगे और उसे क्षमा देते जाना है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना। 

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