Wednesday 11 February 2015

भूमि अधिग्रहण कानून 2013 और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 आमने-सामने

यूपीए सरकार ने भू-धारकों के हितोधिकार का ख्याल

एन.डी.ए.सरकार ने भूमि मालिकों को सर्वनाश कर दिया

गया। राजनीतिक दलों और जन संगठनों के द्वारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 को लेकर आक्रोशित। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक सिसिल साह ने कहा है कि यूपीए सरकार ने भू-धारकों के हितोधिकार का ख्याल भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में किया था। भूमि अधिग्रहण कानून की आत्मा को ही एनडीए सरकार ने मार डाली है। उन्होंने कहा कि पी.एम. नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भूमि मालिकों को सर्वनाश करने और औघोगिक घराने को लाभ पहुंचाने के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लाया है। इस हर्गिज कानून नहीं बनने देंगे।दिल्ली विधान सभा की जीत वाले ऑक्सीजन लेकर जनता के अदालत में जा रहे हैं। लोगों को जागरूक करके व्यापक जन आवाज तैयार करेंगे। जो बिहार विधान सभा के चुनाव को प्रभावित करेंगे। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में आवश्यक सुधार लाने की मांग की है।

यूपीए और एनडीए सरकार आमने-सामनेः यूपीए सरकार ने किसानों के पक्ष में भूमि अधिग्रहण कानून 2013निर्माण करने में सफल रही। स्पष्ट तौर पर रेखांकित कर दिया गया कि किसी भी हाल में बहुफसली खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। इसके इतर अगर भूमि अधिग्रहण करना है तो निश्चित तौर पर ग्राम पंचायत के लोगों को विश्वास में लेना ही लेना है।ग्राम पंचायत के 70 प्रतिशत लोगों की मंजूरी पर ही भूमि अधिग्रहण किया जा सकता। काशाी संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल करके आने वाले पी़.एम. मोदी ने भू माफियाओं की कठपुतली बनकर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 ला दिया। इसके आलोक में बहुफसली खेती योग्य जमीन को हथियाने का मार्ग खोल दिए हैं।गौरतलब है कि सरकारी प्रयास में नौकरशाह भी योगदान करने में पीछे नहीं रहेंगे। अधिनियम का उल्लंघन होने पर सरकारी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगा। और तो और किसानों को मिलने वाले सभी लाभ समाप्त कर दिये गये है। ऐसा करने से खेत को हरियाली करने वाले किसानों के चेहरा पीला पड़ने लगा है।

क्या है भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में: बहुफसली खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। निजी कम्पनियों के लिए सरकार केवल 20 प्रतिशत जमीन अधिग्रहित कर सकती है।पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के लिए सरकार 30 प्रतिशत जमीन अधिग्रहित कर सकती है। निजी शिक्षण संस्थानों व निजी अस्पतालों के लिए अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।निजी उद्देश्यों हेतु अधिग्रहण केवल कम्पनी एक्ट में रजिस्टर्ड कम्पनियों तक सीमित था।गांव के इन्फ्राइस्ट्रैक्चर यानी सरकारी परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित नहीं की जा सकती। केवल रक्षा कार्य के लिए अधिग्रहण किया जा सकता है। अधिग्रहित भूमि का पांच वर्ष तक उपयोग न होने पर मूल मालिक को लौटाने का प्रावधान है। अधिनियम का उल्लंघन होने पर सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही। अधिग्रहण की प्रक्रिया में देर लगने पर किसानों को मुआवजे का प्रावधान है।
इस भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 में क्या है?: बहुफसली खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता है। निजी कम्पनियों के लिए सरकार पूर्ण जमीन को अधिग्रहित कर सकती है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के लिए पूर्ण जमीन अधिग्रहित कर सकती है। निजी शिक्षण संस्थानों व निजी अस्पतालों के लिए भी अधिग्रहण किया जा सकता। अब अधिग्रहण किसी भी निजी संस्था के लिए किया जा सकता है। गांव के इन्फ्राइस्ट्रैक्चर यानी सरकारी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहित की जा सकती। अब रक्षा के अन्तर्गत उत्पादन भी शामिल कर लिया गया है। जिसमें समस्त बुनियादी ढांचा आ जाता है। अधिग्रहित भूमि का उपयोग न होने पर मूल मालिक को लौटाने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। अधिनियम का उल्लंघन होने पर सरकारी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं। किसानों को मिलने वाले सभी लाभ समाप्त कर दिये गये है।


आलोक कुमार

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