Sunday 1 February 2015

महादलितों का मान-सम्मान करने वालों ने महादलित को कर दिया अपमानित



गया।मुजफ्फरपुर विकास मंडल और मुसहर विकास मंच के द्वारा सीवान, पश्चिमी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय,गया और जहानाबाद जिले में मनरेगा, भूमि अधिकार,मान-सम्मान एवं शिक्षा के अधिकार पर कार्य किया जाता है। इन संस्थाओं के द्वारा महादलितों को मान-सम्मान दिलवाया जाता है। इनके द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय चेतना सम्मेलन में महादलितों को अपमानित होना पड़ा। महादलितों को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से रू-ब-रू होकर आवेदन नहीं देने दिया गया। वहीं दरभंगा जिले से आने वाले महादलित को मुख्यमंत्री तक जाकर लाल-लाल गुलाबों के गुच्छे नहीं देने दिया गया। इसके कारण वंदे का चेहरा तनमना कर लाल हो गया।

जी हां, सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी महादलित मुसहर समुदाय से हैं। समाज के किनारे रहने वाले महादलित मुसहर समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री को समस्याओं को निजात दिलवाने के लिए आवेदन देने लगे। मुख्यमंत्री की सुरक्षा में शामिल होने वाले पुलिसकर्मियों ने महादलितों को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पास जाकर आवेदन नहीं देने दिये। समझा जाता है कि यह सब मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल के दायरे में आता है। तब उपाय किया गया कि आवेदनों को संग्रहित करने मुख्यमंत्री सचिवालय को दिया जाएगा। आवेदनों पर त्वरित कार्रवाई की जानकारी दी जाएगी। वर्तमान सरकार ने व्यवस्था कर रखी है कि प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी, अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल पदाधिकारी, जिला स्तर पर जिलाधिकारी और उप समहर्त्ता भूमि सुधार , प्रमंडल स्तर पर प्रमंडलीय आयुक्त् और राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री जनता दरबार लगाते हैं। जनता दरबार में जनता की समस्याओं का निराकरण किया जाता है? जिस पर चर्चा की जा सकती है।

दरभंगा से सफेद पोशाक पहनकर महादलित मनोज सदा आए थे। लाल रंग का गुलाब का गुच्छा लेकर आए थे। मंच के सामने आकर बैठ गए। कई बार प्रयास किया कि मुख्यमंत्री जी से मिलकर रेड रोज को दे सके। वह बारम्बार जाकर रोज देने का प्रयास करने लगा। कभी सुरक्षाकर्मी तो कभी मुजफ्फरपुर विकास मंडल और मुसहर विकास मंच के सदस्य बाधक बन जाते थे। ऐसा प्रतीक हो रहा था कि केवल आयोजकों का अधिकार है कि वे ही मुख्यमंत्री का स्वागत -सत्कार करें। आखिकार आयोजकों ने सवाल दाग ही दिया कि आपको रेड रोज लाने को कौन बोला है?हमलोगों ने मुख्यमंत्री जी को बुलाया हैं। तो हमारा ही एकाधिकार है कि उनका स्वागत करना। अंत तक संस्थाओं के द्वारा महादलितों का मान-सम्मान करने की बात करने वालों ने रेड रोज को मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंचा दिए। इसे कहा जा सकता है तथाकथित संस्थाओं महादलित प्रेम की कहनी और करनी में अन्तर।

बिहार सरकार के विजय प्रकाश नामक अधिकारी हैं। अभी कृषि विभाग के प्रधान सचिव हैं। जो महादलित मुसहर समुदाय के सभा और सम्मेलनों में मुसहर समुदाय को चूहा पालन करने का सुझाव देने से चूकते नहीं है। दिल खोलकर मुख्यमंत्री के सामने छोटे जानवरों के रोजगार करने की दिशा में कदम उठाने का आग्रह तक कर डाला। मौके पर बिहार अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति के लोगों को अवसर प्रदान करेंगी। ऐसा करने से विष भंडार,चूहा पालन आदि व्यवसाय नहीं करना पड़ेगा।


आलोक कुमार

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