Tuesday 3 February 2015

विकास मित्र के बारे में सरकार ठोस निर्णय नहीं लेती


तो गांवघर में उल्टी हवा चलाने को बाध्य हो जाएंगे?

गया। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महादलित आयोग के प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि ने 116 सूत्री अनुशंसा सौंपा था। इसके आलोक में बेरोजगार महादलितों को पूर्व मुख्यमंत्री ने रोजगार दिए। प्राथमिकता के तौर पर मुसहर समुदाय को ही चयन करना था। पांचवी कक्षा न्यूनतम शिक्षा ग्रहण करने वालों को भी विकास मित्र बनाया गया। सरकार ने टोला सेवकों को 10 साल तक संविदा पर बहाल करने का रास्ता सुलभ कर रखा है। वहीं विकास मित्र को उपक्षित छोड़ दिया गया है।
इसके कारण सरकार और जनता के बीच में सेतु बनने वाले विकास मित्र उदासीन हैं। अगर सरकार के द्वारा विकास मित्र के बारे में ठोस निर्णय नहीं लिए तो गांवघर में उल्टी हवा चलाने को बाध्य हो जाएंगे। प्रखंड के अधिकारियों के द्वारा विकास मित्रों से सरकारी कार्य निपटारा भी करवाने लगे हैं। ऐसा करने से गांवघर में अधिक समय नहीं दे पा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी सरकारी अधिकारियों के व्यवहार से परेशान हैं।

वहीं सरकार ने 10 हजार विकास मित्र भी बहाल किए हैं। इनको 10 हजार रू.मानदेय दिया जाता है। दुर्भाग्य से सरकार ने विकास मित्र के भविष्य के बारे में संवेदनशील नहीं है। इसके आलोक में विकास मित्र खिन्न हैं। इसका फायदा विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा उठाना शुरू कर दिया गया है। लगातार विकास मित्र के नेताओं से संर्पक साध रहे हैं। सरकार बनने के बाद स्थायी नौकरी कर देने का आश्वासन देने लगे हैं।

सरकार और जनता के बीच में विकास मित्र को सेतु का कार्य करते हैं। सरकारी योजनाओं के बारे में आम जनता को जानकारी देने और योजनाओं से लाभान्वित करवाने का प्रयास किया जाता है। गांव के अंदर सर्वें भी करते हैं। माननीय सांसदों के द्वारा पंचायत को गोद लेने वाले पंचायत में सर्वे कर रहे हैं। दो साल में सांसदों को 75 लाख रू. व्यय करना है। अभी तक माननीय सांसद महोदय गोद लेने वाले पंचायत में पांव भी नहीं रखे हैं। दो-तीन झोपड़ी वाले घर है। मुसहरी भी नहीं है। जो महादलितों के कल्याण और विकास में व्यय कर सके।

इसके पहले सरकार ने बहुसंख्यकों के मोहल्ले मेें 30 हजार और अल्पसंख्यकों के मोहल्ले में 10 हजार  टोला सेवक बहाल किया है। कुल 40 हजार टोला सेवकों के द्वारा टोला के बच्चों को 2 घंटे तक पढ़ाया जाता है। इनको मासिक 7 हजार रू.मानदेय दिया जाता है। 10 साल का संविदा पर बहाल होते हैं। अल्लाह जाने 10 साल के बाद क्या होगा?
अब बिहार में 43 हजार सफाई मित्र बहाल होंगे। इसमें अनुसूचित जाति के लोगों को शामिल किया जाएगा। अव्वल बिहार के 43 हजार गांवों में सामुदायिक शौचालय निर्माण करवाया जाएगा। बहाल होने वाले सफाई मित्र निर्मित सामुदायिक शौचालय की देखरेख और सफाई करेंगे। इनको सरकार मानदेय देगी। इस ओर अभी तक खुलासा नहीं किया गया है। इस तरह विकास मित्र और टोला सेवकों के बाद सफाई मित्र की सोच विकसित की गयी है। तब बिहार में कुल 93 हजार की संख्या हो जाएंगे। में आगामी बिहार विधान सभा के चुनाव समय में अहम किरदार निभा सकेंगेग। इस शक्ति का उपयोग राजनीतिक दल वाले करना चाहेंगे। 

आलोक कुमार

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