पुराना और
नया विधान खंगालने लगे
ईसा मसीह
के 12 मर्द शिष्य ही मिले
पटना। रोम
में बैठे पोप के द्वारा महिलाओं को पुरोहित बनाने, पुरोहितों को विवाह करने आदि मांगों को अनसूना कर रखा है। पवित्र बाइबिल
के पुराना और नया विधान के अनुसार ईसा मसीह के 12 शिष्य हैं। जो पुरूष थे। ईसा मसीह ने 12 शिष्यों का ही पैर धोया और उनके साथ भोजन किया। अब 2015 वर्ष के इतिहास को बौना करके 12 शिष्यों में 6 मर्द और 6 महिला शिष्या को शामिल किया जा रहा है।
पुराना और
नया विधान में 12 मर्द ही शिष्यों का ही उल्लेख हैः
ईसा ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं को निकालने
तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने का अधिकार प्रदान किया। बारह प्रेरितों
का नाम है। पहला सिमोन, जो पेत्रुस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रेयस, जेबेदी का पुत्र याकूब और उसका भाई योहन, फिलिप और बरथोलोमी, थोमस और नाकेदार
मत्ती, अलफाई का पुत्र याकूब और थद्देयुस,सिमोन कनानी और यूदस इसकारियोती जिसने ईसा को पकड़वाया था।
इसमें महिला शिष्यों का उल्लेख नहीं है।
रोम में
बैठे पोप के द्वारा महिलाओं को पुरोहिताभिषेक करने पर रोकः ईसाई समुदाय के वाटिकन
सिटी के द्वारा महिलाओं को पुरोहित बनाने का और पुरोहितों को विवाह करने का भी
आदेश निर्गत नहीं किया जाता है। इसको लेकर वाटिकन बेहद ही सख्त है। जब कुर्जी में
स्थित प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर में पवित्र वृहस्पतिवार 2 अप्रैल 2015 को 6 सिस्टरों का पैर धुलाई करने की खबर आयी। तब जंगल में आग की
तरह प्रसार हो गयी। इस पर जोरदार ढंग से प्रतिक्रिया होने लगी। इसको लेकर ईसाई
धर्मावलम्बियों में आक्रोश व्याप्त है। पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष
विलियम डिसूजा भी मौन धारण किए हुए हैं। इस संदर्भ में कहा जाता है कि अगर
महाधर्माध्यक्ष की ओर से आदेश निर्गत किया जाता है, तो महिलाओं का पैर नहीं धोया जाएगा।
पवित्र
वृहस्पतिवार 2 अप्रैल को 6 मर्द और 6 महिलाओं का पैर धोया जाएगाःपुराना
और नया विधान खंगालने वाले लोगों का कहना है कि विधान में केवल 12 मर्द शिष्य हैं। उनको ही ईसा मसीह अधिकार दिए हैं। उनके साथ
ही बैठकर ईसा मसीह मृत्यु लोक में जाने के पूर्व संध्या पर भोजन किया था। इस साल
कुर्जी में स्थित प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर में ईसा मसीह के प्रतिनिधित्व
करने वाले शिष्य जेवियर लूईस, जय प्रकाश,
राज कुमार, क्लारेंस हेनरी,
रोबिन जोसेफ और रंजित बेनेडिक्ट को पैर धोया
जाएगा।इन्हीं लोग के साथ सिस्टर वीणा,सिस्टर सोनिया,सिस्टर रेनेटा,सिस्टर अर्पणा,सिस्टर कैथरिन और सिस्टर सुरभि का पैर धोया जाएगा। इन शिष्यों
के साथ भोजन किया। इसे ही ईसाई समुदाय परमप्रसाद की स्थापना कहते हैं।
इतिहास को
पलटने पर अमादा क्यों? ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रेरितों
की महारानी ईश मंदिर में समानता लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके आलोक में
पवित्र वृहस्पतिवार के दिन 6 पुरूष और 6 महिलाआंे का पैर धोया जा रहा है। ईसा मसीह के प्रतिनिधि
पुरोहित बर्तन में पानी लेकर 12 शिष्यों का पैर
धुलाई करेंगे। धुले पैर को तोलिया से पोछकर चुम्बन करेंगे। इसी तरह संसार के लोगों
करने को कहेंगे। ऐसा करते ही पहली बार आधी आबादी महिलाओं का पैर धुलाई का रस्म
अदायगी कर दी जाएगी। इसके बाद एस.वी.पी. कॉलोनी,अखाड़ा रोड, यदुवंशी नगर में रहने वाले डेनिस
सान्तनु के घर पर जाकर भोजन करेंगे। इसे अंतिम व्यालू भी कहा जाता है।
आलोक
कुमार
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