गया। आज समस्त संसार में परम्परागत
ढंग से ईसाई समुदाय ने खजूर इतवार मनाया। इसके साथ ही दुःखभोग अवधि की काउंट डाउन
शुरू हो गयी।पवित्र सोमवार से ईसाई समुदाय का पवित्र सप्ताह शुरू हो गया। इस दौरान
कई महत्वपूर्ण घटनाओं को स्मरण किया जाएगा। पवित्र वृहस्पतिवार को परमप्रसाद की
स्थापना की रस्म अदायगी की जाएगी। पवित्र शुक्रवार को ईसा मसीह का शहादत दिवस है।
इस दिन ईसा को सलीब पर चढ़ाकर मार डाला गया था।इससे विचलित होकर ईसाई समुदाय उपवास
और परहेज रखेंगे। गिरजाघर में जाकर क्रूस रास्ता में शामिल होंगे। इस दिन
सार्वजनिक अवकाश है।
क्या है खजूर इतवारः अतीत की बात है।
जब ईसा मसीह येरूसालेम में प्रवेश किए थे। तब अपने 12 शिष्यों से कहा कि आपलोग सामने वाले गांव
में जाओं। वहां पर एक गदही मिलेगी। उसे खोलकर गांव से लेकर आ जाओं। अगर कोई कुछ
बोलते हैं तब कहना कि प्रभु को जरूरत है। गांव से शिष्य गदही को लेकर आ गए।
शिष्यों ने गदही पर अपने कपड़े बिछा दिये।तब जाकर ईसा मसीह सवार हो गए। वहां पर
मौजूद लोगों में से बहुत से लोगों ने अपने-अपने कपड़े रास्ते में बिछा दिए। वहीं
कुछ लोगों ने पेड़ों की डालियां काट कर रास्ते में फैला दी। ईसा मसीह के आगे-आगे
जाते हुए और पीछे-पीछे आते हुए लोग नारा लगा रहे थे। ‘दाऊद के पुत्र को
होसन्ना! धन्य है वह, जो प्रभु
के नाम पर आते हैं! सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना!
पुरोहित फादर जॉनसन केलकत ने कहाः इस
अवसर पुरोहित जॉनसन केलकत ने कहा कि ईसा मसीह विनम्रता प्रदर्शित किए। उन्होंने
मिसाल पेश किए। मगर आज तो क्या हो रहा है? नेताओं और मंत्रियों को शाही सवारी और तोरण द्वार की
जरूरत पड़ती है। जिस पर लाखों रूपए व्यय कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हमलोग आज
भी परम्परा निभा रहे हैं। खजूर की डालियों पर आशीष देकर पवित्र कर देते हैं। खजूर
इतवार के धार्मिक समारोह में उपस्थित लोग खजूर की डालियां को हाथ में रखकर ईसा
मसीह के जय-जयकार करते हैं।
ईसाई धर्मावलम्बी घर से सुबह में ही
निकलेः अपने निकटवर्ती गिरजाघर की ओर चल पड़े। गिरजाघर की घंटी बजने लगी। अपने वेदी सेवकों के साथ लाल रंग के
परिधान पहने पुरोहित आए। तब पुरोहित ने दूरदराज से लाए खजूर पेड़ की कोमल वाली
डालियों पर पवित्र जल का छिड़काव किया। इसके बाद लोगों के बीच में वितरण किया गया।
खजूर की डालियां को हाथ में पकड़कर जुलूस के शक्ल में धर्मावलम्बी गिरजाघर में गए।
इसके बाद पवित्र मिस्सा किया गया। मौके पर धर्मावलम्बियों के बीच में परमप्रसाद
वितरण किया गया।
ईसाई समुदाय 17 फरवरी को गोस्त और
भूजा का पर्व मनाया। 18 फरवरी को
राख बुधवार मनाया। इस दिन ईसाई धर्मावलम्बी क्रूस का रास्ता तय किए। उपवास और
परहेज रखे। समूचे दुःखभोग अवधि चालीसा में भूख और बीमारी अभियान चलाने के लिए राशि
संग्रह किया गया। अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के द्वारा ईसा मसीह के दुःख-तकलीफ पर
आधारित भजन गाया गया। ईसाई समुदाय के घरों में भजन गाया गया। गायकों में
एस.के.लौरेंस,क्लारेंस
हेनरी,जोसेफ
फ्रांसिस आदि हैं। इनलोगों का अंतिम गायन 3 मार्च को होगा।
आलोक कुमार
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