Wednesday 22 April 2015

राजधानी में स्थित जू प्रत्येक सोमवार को बंद रहता है

कोई 50 हजार  की संख्या में लोग जू में बैठे हैं
गैर सरकारी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं की तरह बना दिए बहाना
पटना। राजधानी में स्थित जू प्रत्येक सोमवार को बंद रहता है। जब पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से पूछा गया कि गरीब स्वाभिमान रैली में कितने लोग शिरकत लिए? तब पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच लाख लोग शामिल हैं। कोई 50 हजार की संख्या में लोग जू में बैठे हैं। वहां के अधिकारी कह रहे हैं कि यहां से 50 हजार लोगों को ले जाए। इस तरह पूर्व मुख्यमंत्री ने गैर सरकारी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं की तरह बहाना बना दिए। जो हमाम में नंगा साबित हुआ।

सोमवार को हिन्दुस्तानी आवाम  मोर्चा (हम) के द्वारा गरीब स्वाभिमान रैली आयोजित की गयी। 38 जिले के लोग शामिल हुए। मगर उपस्थिति 5 लाख से बहुत ही कम रही। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कहा करते थे कि अगर गरीब स्वाभिमान रैली में 5 लाख लोगों की जनसंख्या नहीं रहेगी, तो राजनीति से सन्यास ले लेंगे। अब तो स्पष्ट हो ही गया है कि उपस्थिति बहुत कम थी। जदयू ने कहा कि कोई 10 हजार की संख्या में लोग उपस्थित थे। अब उनको सन्यास ले ही लेना चाहिए।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि आसन्न चुनाव के समय तक एकला चलो की रणनीति के तहत बढ़ते चले जाएंगे। बिहार चुनाव के बाद ही निर्णय लेंगे कि अब आगे क्या करना है?सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर गरजे। अधिकारियों पर भी बरसे। उन्होंने कहा कि आखिरकार नीतीश कुमार कबतक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। अबर सत्ता में आए तो अधिकारियों को समझ लेंगे। उसी तरह मीडिया को भी नहीं छोड़ा। यहां तक  कह दिए कि जो टी.वी.वाले गरीबों की खबर नहीं दिखाते हैं। तो उसको छोड़कर अन्य चैनल देखें जो गरीबों की खबर दिखाता है।

इसके पहले विधायकी गवां देने वाले राहुल कुमार,सुमीत सिंह, अजय प्रताप सिंह,सुरेश चंचल,पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा आदि ने जमकर नीतीश कुमार पर भड़ास निकाले। मंत्री वृशिण पटेल, नरेन्द्र सिंह आदि ने भी खुब बोले। उन नेताओं से पीछे गरीब लोग भी नहीं रहे। महादलित मुसहर समुदाय के मुख्यमंत्री को जलील करके कुर्सी छीनने वाले मुख्यमंत्री नीतीश को लेकर चेहरा लाल कर देते थे। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को 15 माह तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना था। जब मिट्टी का माधव बनकर नहीं बैठे तो जीतन राम सदृश्य विवेकशील मुख्यमंत्री बनकर कार्य करने लगे तो नीतीश कुमार को खराब लगने लगा। यह सोचने लगे कि यह तो मुझसे भी बड़ा लकीर खींचने लगा है तो दूध में पड़े मक्खी तरह निकाल दिए।

गांवघर के आने वाले हर-हर मांझी घर-घर में मांझी नारा भी लगाने लगे। गैर सरकारी संस्थाओं के कार्यक्रमों में हर दम आए हैं तेरे लिए आज  आए हैं अपने लिए नारा लगाते थे। मगर आज नारा लगाने वाले ही ठगा गए। अपना कार्यक्रम में ही जमकर नहीं सके। राजधानी के आसपास के मुसहरी से लोग आए थे। परन्तु इतनी संख्या नहीं थी कि एक आवाज राजनीतिज्ञों तक पहुंचा सके।
यह यक्ष सवाल है कि आने वाले लोगों को पूर्व मुख्यमंत्री से कोई लाभ नहीं मिला। अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर मुसहर समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में रखने वाला कार्य भी नहीं कर सके। आज भी महादलित झोपड़ियों में रहने को बाध्य हैं। इंदिरा आवास योजना के तहत अर्द्धनिर्मित मकान पर रहते हैं। अन्य योजनाओं से निर्मित मकान ध्वस्त हो गया है। उन मकानों का जीर्णीद्धार भी नहीं किया गया।

आलोक कुमार

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