उमाशंकर आर्य |
निषाद
महाकुंभ महारैली में 12 अप्रैल को गांधी मैदान में भड़ास
निकालेंगे नेता
पटना।आप
मुझे खून दें और मैं आपको आजादी दूंगा। इसी तर्ज पर ‘सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी‘ कहते हैं कि
हमलोगों ने अपना बहुमूल्य 68 साल दे दिये
हैं।जिस शख्स को नहीं देना था फिर भी वंदे को दे दिये।देर आए मगर दुरूस्त आए,यह सोझकर अब आपलोगों से अनुरोध है कि समाज के बेहतरी के लिए 68 साल नहीं बल्कि एक साल ही मुझे देकर देखिए कि मैं अपने निषाद
समाज के लिए बेहतर से बेहतर मार्ग ढूंढ़ लूंगा।
सर्वश्री
जय मंगल महतो,धीरेन्द्र कुमार निषाद,उमाशंकर आर्य, जीबोधन निषाद,जीतन बाबा,शैलेश निषाद,अजीत सिंह ललित, पप्पु निषाद,
विजय कुमार सहनी आदि नेताओं का कहना है कि केन्द्र और
राज्य सरकारों की निषाद विरोधी नीति के कारण ही निषादों की दुर्गति हो रही है।
अपने ही प्रदेश में निषाद समुदाय जीविकाविहीन और गृहविहीन बनकर रह गए हैं। भूखमरी
एवं कंगाली से बचने के लिए रोजगार की खोज में दूसरे राज्यों में भटक रहे हैं।
वेदव्यास
परिषद बिहार निषाद संघ के सरंक्षक राम भजन सिंह निषाद ने कहा कि बिहार सरकार के
मत्स्य विभाग के अधिकारी मछली छोड़ अब मछुओं की खेती कर रहे हैं। ‘राज्य सरकार निषादों को कई उपजातियों में बांट रखा है।
केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के हठधर्मी के कारण बिहार के निषादों को अनुसूचित
जाति का दर्जा घोषित नहीं हो रहा है। मत्स्य विभाग में निषादों का आरक्षण समाप्त
कर दिया गया है। यहां तक मछुआ के पद को भी समाप्त कर दिया है। मछुआरा आयोग का गठन
भी अधूरा किया गया है। आये दिन निषादों की हत्याएं हो रही है। जिसका ज्वलंत उदाहरण
है मुगिला हत्याकांड जहां चार निर्दोष निषादों की नृशंस हत्या कर दी गई। निषादों
को सभी दलों द्वारा राजनीतिक पहचान से वंचित किया जा रहा है।ऐसा प्रतीक हो रहा है
कि निषादों के प्रति सरकार बहरी होती है उस तक अपनी आवाज पहुंचाने का मात्र केवल
एक ही रास्ता है, आंदोलन करना एवं अधिकार मान सम्मान
के लिए संघर्ष करना,जिस दिन सरकार निषादों की एकता बल को
पहचानेगी, तब सारे अधिकार स्वतः देगी।
निषाद
महाकुंभ महारैली ने अपनी सात सूत्री मांगों के समर्थन में 12 अप्रैल 2012 को 11 बजे से ऐतिहासिक गांधी मैदान में पहुंचने का आग्रह किया है। इन लोगों की
मांग है कि निषादों को सभी उपजातियों को निषाद शीर्ष में दर्शाते हुए अनुसूचित
जाति में शामिल किया जाय। जलकर,घाट बालू मिट्टी
एवं जल से निकली भूमि की बन्दोबस्ती
निषादों को मिले तथा इनको रंगदारों एवं अपराधियों से मुक्त किया जाय। राज्य सरकार
द्वारा 10 जुलाई 2014 को मछुआरा दिवस पर की गई घोषणाओं को जैसे 1. एक रूपया टोकन मनी पर जलकरों की वंदोबस्ती, 2. मत्स्यजीवी सहयोग समितियों में से गैर मछुओं को निष्कासित कर केवल
परंपरागत मछुआरों को ही सदस्य बनना।मत्स्य विभाग एवं नाविक गोताखोर पुलिस में
निषाद युवकों की नियुक्ति , संख्या बल के
अनुसार राजनीतिक दल एवं सत्ता में हिस्सेदारी , निषादों की हत्या पर रोक एवं सुरक्षा एवं मुआवजा दिया जाय। फरक्का वैराज
में फिश गेट का प्रावधान एवं राज्य सरकार द्वारा निषादों के लिए घोषित अनेक
कल्याणकारी योजनाओं की स्वीकृति शीघ्र की जाय। मुजफ्फरपुर आजीजपुर कांड की जांच
सीबीआई से करायी जाय तथा निर्दोष मछुआरों पर झूठा मुकदमा वापस किया जाय और
राष्ट्रीय मछुआरा आयोग का गठन किया जाय तथा निषाद मूल के व्यक्ति को अध्यक्ष
मनोनीत किया जाय एवं राज्य मछुआरा आयोग की अनुशंसाओं को लागू किया जाय।
आलोक
कुमार
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