Tuesday 14 April 2015

अखंड भारत को खंड-खंड में विभाजित करने का प्रयास


संवैधानिक प्रावधान के अनुसार लोक सभा और विधान सभा में 
एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों को प्रतिनिधित्व मिले

पटना। आज डाक्टर भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयंती है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश  के महू नामक स्थान में हुआ था। 1924 से 1935 तक हिन्दु धर्म में सुधार लाने के लिए सक्रिय हुए। इस बीच 1927 में छुआछुत के खिलाफ मैदान में कूदे। 1935 में हिन्दु धर्म से मोहभंग करने की घोषणा किए। अन्त में 14 अक्टूबर 1956 में हिन्दू धर्म से नाता तोड़कर बोध धर्म को अंगीकार कर लिए। भारतीय संविधान के निर्माता डाक्टर भीम अम्बेडकर को देश के प्रथम कानून मंत्री बनने को गौरव प्राप्त है। 

आज देशभर में डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी की 125 वीं जयंती मनायी जा रही है। उनके पद चिन्हों पर चलने का संकल्प ले रहे हैं। इसमें राजनीतिक दल और गैर सरकारी संस्था पीछे नहीं रहे। खोजबीन से पता चलता है कि देश और प्रदेश में छुआछुत बरकरार है। भारतीय संविधान को किनारे रखकर अखंड भारत को खंड-खंड में विभाजित करने का प्रयास चल रहा है। केन्द्र में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही अल्पसंख्यकों पर प्रहार होने लगा है। लव जिहाद,घर वापसी,अधिक बच्चों को पैदा करने, गौ हत्या पर प्रतिबंध, स्वयं को असुरक्षित महसूस करते ईसाई समुदाय के लोग कांपते नजर आ रहे हैं। संविधान को सामने रखकर शपथ ग्रहण करने वाले मंत्री से संतरी अनर्गल बयान देने से बाज नहीं आ रहे हैं। अब तो संवैधानिक अधिकार को भी छीनने की कोशिश की जा रही है। बहक गए नेताओं के द्वारा व्यक्तिगत हमला भी होने लगा है। माननीय पोप के द्वारा ईसाई समुदाय की मदर टेरेसा को ‘धन्य’घोषित किया गया है। इनके द्वारा किए गए सेवाकार्य को महत्वहीन करने का प्रयास किया गया। इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर अभद्र टिप्पणी की गयी। 

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के पूर्व संयोजक सिसिल साह ने कहा कि आज जरूरत है कि बाबा साहब के पद चिन्हों पर चला जाए। भारतीय संविधान में दिए गए अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए। धर्म परिवर्तन के नाम पर ईसाई समुदाय को जलील करना बंद किया जाए। धर्म परिवर्तन तो दिल से उत्पन्न होता है। वह किसी को लालच देकर धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। श्री साह ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों में जनसंख्या की हिसाब से द्वितीय स्थान पर ईसाई समुदाय हैं। इनके साथ दोयम दर्जें का व्यवहार किया जाता है। लोक सभा और विधान सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों को प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान है। इसे अमल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सर्वें करके देखना चाहिए कि जिस विधान सभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों को मनोनीत नहीं किया गया है। उसे मनोनीत करना चाहिए ताकि संविधान में किए प्रावधानों की रक्षा हो सके।

आलोक कुमार

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