Thursday 23 March 2017

प्रसिद्ध गांधीवादी डा.राजगोपाल पी.व्ही.पदयात्रा में शिरकत करेंगे


एकता परिषद,बिहार के कार्यक्रम के सिलसिले में हैं बिहार में
पटना। अभी-अभी प्रसिद्ध गांधीवादी पी.व्ही.राजगोल जी को ग्रामीण विकास, अहिंसा व शांति, बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास, भूमि सुधार आंदोलन के प्रति निस्वार्थ समर्पण रूपी कार्य को देखते हुए अवधेष प्रताप सिंह विष्वविद्यालय, रीवा तथा श्री गुरू गोविंद सिंह त्रिकोणमितीय विष्वविद्यालय गुरूग्राम के द्वारा डी.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। 

इन दिनों डा.राजगोपाल हैं बिहार में। पटना जिले जिले के विक्रम प्रखण्ड मुख्यालय पर तीन दिवसीय युवा नेतृत्व षिविर 19 से 21 मार्च  तक आयोजित किया गया। इस षिविर में सूबे के 13 जिलों, झारखण्ड, मध्यप्रदेष व केरल के कोई 200 नवयुवक-नवयुवतियांे ने हिस्सा लिये। एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष  डा. राजगोपाल पी.व्ही. ने षिविर का नेतृत्व किया। मौके पर उन्होंने सामाजिक न्याय, समता व शांति स्थापित करने के लिए अहिंसात्मक आंदोलन के माध्यम से सामाजिक बदलाव में युवाओं की भूमिका और नेतृत्व के लिए प्रषिक्षित किया। षिविर में श्रमदान, समूह परिचर्चा व प्रस्तुति, बौद्विक सत्र, सामूहिक खेलकूद, सामूहिक गान और रैली के लिए अलग-अलग सत्र आयोजित किये गये। बिहार में वंचित समुदाय दलित, महादलित और अनुसूचित जनजाति की भूमि संबध्ंाी समस्याओं और उसके समाधान पर व्यापक चर्चा हुई। 
बुधवार 22 मार्च को सत्याग्रहियों का एक दल चम्पारण गया। दल का नेतृत्व डा. राजगोपाल जी ने किया। आज 23 मार्च को सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान देषभर से आये वरिष्ठ गांधीजनों के द्वारा राजगोपाल जी को सत्याग्रह की पवित्र मिट्टी सौंपा गया। इस सत्याग्रह की पवित्र मिट्टी को लेकर सत्याग्रहियों का दल पूर्वी चम्पारण से लौटकर पटना जिले के नौबतपुर आयेगा। इस पवित्र मिट्टी को लेकर 24 मार्च को सत्याग्रही पटना के लिए कूच करेंगे। इस पदयात्रा में बिहार के अलग-अलग हिस्सों से आये लगभग एक हजार सत्याग्रही भाग लेगें। इस आंदोलन में बिहार सहित अन्य राज्यों के भी भूमि अधिकार पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्विजीवी, संगठन और पत्रकार भाग लेंगे। सत्याग्रह पदयात्रा का नेतृत्व डा. राजगोपाल जी करेंगे। नौबतपुर बाजार, होते हुए चिरौरा के पास पहला पड़ाव डालेंगे। 25 मार्च को वहां से खगौल, फुलवारी होते हुए हड़ताली स्थल गर्दनीबाग पटना में पहुंचेंगे। यहां पर विषाल जनसभा होगी।

सत्याग्रह पदयात्रा के नेतृत्वकर्ता डा. राजगोपाल जी का संक्षिप्त परिचय
डा. राजगोपाल पी.व्ही (राजा जी और राजू भाई के नाम से लोकप्रिय) का जन्म 6 जून 1948 को केरल प्रांत के कन्नूर जिले के तिलेंकरी नामक गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। कृषि इंजिनियरिंग की षिक्षा और नृत्य व संगीत की कला सीखने के बाद वर्ष 1969 में गांधी जी के जन्म शताब्दी समारोह के दौरान गांधी दर्षन रेल यात्रा में भाग लिया और उसके बाद हिंसाग्रस्त व दस्यु समस्या से प्रभावित मध्यप्रदेष के चम्बल घाटी में महात्मा गांधी सेवा आश्रम से जुड़कर 6 वर्षों तक बागी आत्मसमर्पण, ग्रामीण विकास और युवाओं को रचनात्मक कार्य से जोड़ने का कार्य किये। चम्बल घाटी में आत्मसमर्पित 654 बागीयों के समर्पण और उनके पूनर्वास का कार्य प्रमुख था। इसके बाद 15 वर्षो तक देष के विभिन्न भागों में ग्रामीण युवाओं के क्षमता विकास के लिए प्रषिक्षण षिविर आयोजित कर ग्रामीण विकास और भूमि सुधार के लिए नवजवानों को प्रेरित किया। कालांतर में उनको सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा बंधुआ मजदुरों की मुक्ति के लिए कमिष्नर नियुक्त किया गया तो मध्यप्रदेष, उत्तरप्रदेष, राजस्थान, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेष और छत्तीसगढ़ के लगभग 10 हजार मजदूरों को विभिन्न क्षेत्रों से मुक्त कराकर उनका पुनर्वास किये।

वर्ष 1990 में एकता परिषद संगठन की नींव रखी और समाज के वंचित समुदाय के अधिकारों के लिए ग्रामीण नवजवानों को संगठित किया। वर्ष 1993 में गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव बने और उसके बाद उपाध्यक्ष भी। एकता परिषद को देष के 14 राज्यों में विस्तार करते हुए कई पदयात्राएं की। मध्यप्रदेष, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार राज्य में भी पदयात्राएं कर वंचितों की भूमि समस्याओं को सरकार के सामने लाये। वर्ष 2007 में 25 हजार भूमिहीन दलित व आदिवासियों के साथ जनादेष पदयात्रा ग्वालियर से दिल्ली की और वंचित वर्ग की भूमि समस्या को केन्द्र सरकार के सामने उठाया। वर्ष 2012 में ग्वालियर से दिल्ली की ओर 65 हजार आदिवासियों के साथ जनसत्याग्रह आंदोलन के दौरान भारत सरकार के साथ भूमि सुधार के 10 बिंदुओं पर आगरा में समझौता हुआ।

राजा जी लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप, जार्जिया, अरमेनिया, बेल्जियम, स्वीटजरलैण्ड, जर्मनी और फ्रांस इत्यादि देषों का भ्रमण कर युवाओं को शांति और अंहिसा के मुद्दे पर प्रषिक्षण के माध्यम से अभिप्रेरित कर रहे हैं। इनके द्वारा भिन्न-भिन्न सामाजिक मुद्दों पर लिखी गयी 8 पुस्तकें और लगभग 200 से अधिक आलेख विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाषित हुई हैं। उनके विचारों तथा कार्यो को व्यापक स्तर पर देष व दुनिया में स्वीकार किया गया है और उनको कई पुरस्कार भी मिले हैं।

ग्रामीण विकास, अहिंसा व शांति, बंधुआ मजदुरों के पुनर्वास, भूमि सुधार आंदोलन के प्रति निस्वार्थ समर्पण और कार्य को देखते हुए अवधेष प्रताप सिंह विष्वविद्यालय, रीवा तथा श्री गुरू गोविंद सिंह त्रिकोणमितीय विष्वविद्यालय गुरूग्राम के द्वारा डी.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

आलोक कुमार

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