Wednesday, 10 June 2015

‘हैलो, हैलो...मैं गया जेल से बोल रहा हूँ’

गया। सूबे की जेल हमेशा ही संवेदनशील और असुरक्षित रहती है। यहाँ पर नेता से अभिनेता टाइप के लोग रहते हैं। इनके द्वारा किए गए अपराधों के आधार पर वार्डों में रखा जाता है।अपने प्रभाव के बल पर जेल में मोबाइल रखने में कामयाब हो जाते हैं। जो जेल प्रशासन के लिए सर दर्द साबित होता है।इसके आलोक में जेल प्रशासन और जिला पुलिस प्रशासन के सहयोग से जेल में छापामारी की जाती है। वरीय आरक्षी अधीक्षक मनु महाराज ने गया जेल में छापेमारी कर 10 मोबाइल बरामद किए। 

हैलो, हैलो...मैं गया जेल से बोल रहा हूँ। अभी तक जमानत नहीं हो सकी है, आखिरकार विलम्ब होने का क्या कारण है?वकील साहब से कहकर जोरदार पैरवी कराके जमानत करा दें।यह तो एक बानगी है। मोबाइल महाराज का सीधे प्रवेश जेलों में हो जाती है। जेल में बैठकर मोबाइल महाराज के सहयोग से बाहरी दुनिया में रहने वाले अपराधियों के साथ सांठगांठ करके में अपराध को अंजाम देने की रणनीति तय करते रहते हैं। यह यक्ष सवाल है कि आखिरकार जेल में मोबाइल महाराज का आगमन कैसे हो जाता है? कारण कि किसी अपराध के आरोपित शख्स को थाने के अंदर गहन जाँच पड़ताल की जाती है। अगर आरोपित के पास कुछ समान मिलता है तो थाने में रख लिया जाता है। उसे लिपीबद्ध कर लिया जाता है। जेल से छुटने के बाद आरोपित को समान दे दिया जाता है। 

आखिर इतना पड़ताल करने के बाद भी जेल में मोबाइल महाराज किस तरह यमराज की तरह पहुँच जाती है। जबकि जेल की लम्बी-ऊंची दीवार होती है।फिर भी इसमें अहम किरदार जेल प्रहरी निभाते हैं। महज चन्द रकम हासिल करके मोबाइल महाराज को आरोपित तक पहुँचा देते हैं। मुर्गी के अंदर डालकर मोबाइल पहुँचा दिया जाता है। सब्जी के साथ मोबाइल को रखकर आरोपित के पास पहुँचा दिया जाता है। जेल में मोबाइल पहुँच जाने के बाद आरोपितों की जिम्मेवारी हो जाती है कि उसको सुरक्षित रखे। इस क्रम में भगवान की तस्वीर के पीछे रखते हैं। जमीन के अंदर और पंखे के ऊपर मोबाइल रखते हैं। 

यह विडम्बना है कि जेल प्रशासन और जिला पुलिस प्रशासन के द्वारा लाख प्रयास करने के बाद भी जेल से मोबाइल,सिम और बैटरी मिलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं रहा हैं। बेशक जेल प्रशासकों का प्रयास होता है कि जेल के अंदर कैदियों और आरोपियों की ओर से रिंग टोन नहीं बजे और न ही यहां से बैठकर रंगदारी की मांग कर सके। मगर इसमें सफलता नहीं मिलती है। फिर भी जेल प्रशासकों ने इस बाबत कई उपाय किए हैं। जोरदार ढंग से कैदियों की जेब की तलाशी ली गयी। सैकड़ों बार तलाशी लेने के बाद जेलों से मोबाइल बराबद करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इससे संपूर्ण सुरक्षा तंत्र ही सवालों के घेरे में आ गये हैं। जो सभी जगहों से तलाशी होते आने के बाद भी जेल के अंदर मोबाइल के खेल जारी है। सरकार ने तिहार जेल की तर्ज पर एक राही टेलीफोन की व्यवस्था सोच रही है। केवल कैदी फोन कर सकते हैं। इनकमिंग सुविधा नहीं रहेगी। केवल 4 बार ऑऊटगोईंग कॉल करेंगे। 


आलोक कुमार




      

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