Wednesday, 10 June 2015

तब कैसे लोग दाल-रोटी खाओं और प्रभु का गुनगान करेंगे?


इसका असर आंगनबाड़ी केन्द्रों में टेक होम राशन पर भी

कम मात्रा में ही गर्भवर्ती, प्रसूति,कुपोषित आदि को दाल उपलब्ध

पटना।अब देश-प्रदेश में यह हाल हो गया है, कि लोग फिल्मी गीत भी गा नहीं सक रहे हैं। दाल-रोटी खाओं और प्रभु का गुनगान गाओं। कारण कि रोटी के साथ दाल नहीं मिल पा रहा है। दाल की कीमत में प्रत्याशित बढ़ोत्तरी हो गयी है। 80 रू. किलोग्राम मसूर दाल मिल रहा था। इसमें 15 रू. का उछाल आ गया है। अभी 95 रू.प्रति किलोग्राम मिल रहा है। इसी तरह अन्य दालों की कीमतों में भी उछाल है। इसको लेकर पीएम मोदी भी चिंतित होने लगे हैं। सरकार दाल आयात करने की सोच रही है।वहीं केन्द्र और राज्य सरकार को चाहिए कि जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें।इस तरह की कार्रवाई जनहित में होगी।

बताते चले कि केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा कुपोषण मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। जब कुपोषित बच्चों को भोजन में प्रोटीन नहीं मिलेगा तो किस तरह से कुपोषण मुक्त अभियान सफल हो पाएगा। दाल में ही प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में टेक होम राशन में गर्भवर्ती, प्रसूति,कुपोषित आदि को चावल के साथ दाल वितरित किया जाता है। दाल में बढ़ती कीमत का असर टेक होम राशन पर भी पड़ रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों की सेविका के द्वारा टेक होम राशन पाने वाले लाभान्वितों को कम मात्रा में दाल उपलब्ध कराया जाता है। इसका मतलब हरेक क्षेत्र में बढ़ती दाल की कीमत का असर देखने को मिल रहा है।

आलोक कुमार


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