Tuesday, 9 June 2015

हुजूर के दरबार में जाकर फरियाद दर्ज कराएंगे अग्नि पीड़ित



मात्र 5.8 हजार रूपए और प्लास्टिक देकर मलहम लगा दिया

पटना। तिनका जोड़-जोड़कर आशियाना तैयार किए थे। दो जून की रोटी तलाशने वालों पर 6 जून को दोपहरियां में आर्फत आ गयी। एकाएक 12 सौ वोल्ट के बिजली तार गिरा। देखते ही देखते 50 से अधिक आशियाना धू-धूकर जल गया। एक साथ 105 परिवार रोड पर आ गये। इतना दर्द था कि 48 घंटे के बाद भी चूल्हा नहीं चलाएं।क्या बड़े और क्या छोटे चूड़ा और मिठ्ठा खाकर सो गए।तेज धूप से अग्नि पीड़ित बेहाल हैं। 45 डिग्री तपिस को सह रहे हैं। अग्नि पीड़ितों ने निर्णय किया है कि गुरूवार को पटना जिले के जिलाधिकारी अभय कुमार सिंह के जनता दरबार में फरियाद दर्ज कराएंगे।

हां, पाटलिपुत्र थानान्तर्गत इन्द्रपुरी मोहल्ले के रोड नम्बर -16 और दुर्गा चौक के पास झोपड़ी में रहते हैं अग्नि पीड़ित। ऐसे लोगों ने पटना-दीघा रेलखंड के किनारे ही झोपड़ी बना रखे हैं। शनिवार 6 जून को यहाँ रहने वाले अधिकांश दिहाड़ी मजदूरों के घरों में खिचड़ी बना था। खिचड़ी खाकर आराम कर रहे थे। इतना में हो हल्ला मचा कि बिजली तार गिर गया है। सभी लोग जान बचाकर बाहर निकले। मगर समान नहीं निकाल सके। यहाँ पर रहने वाले हरेक परिवार के लोगों के समान जलकर स्वाहा हो गया। कई बकरी और बत्तक जलकर मर गए। सभी तरह के प्रमाण-पत्र नष्ट हो गए। कई एलपीजी सिंलेडर फटकर उड़ गए।

मौके पर जाकर समाचार संकलन करते वक्त विनोद सहनी बताते हैं कि उनको आपदा प्रबंधन के द्वारा दी गयी राशि हासिल नहीं हो सकी। इसके कारण गुस्से से लाल हैं। इनके बगल में ही पत्नी मनिषा देवी है। जो भूख से विलविलाते बच्चों के साथ जले घर के पास बैठी है। ललिता, रूपेश,बिगरू,पूनम और 8 माह की सुमन कुमारी हैं। टेंट में हजारी साहनी सो रहे हैं। बीमार पड़ गए हैं। उनकी पत्नी सुनीता देवी कहती हैं कि निशा, अंजलि,नीतू और कुदंन कुमार बेहाल है। हमलोगों को भी किसी तरह की सहायता नहीं मिली है।अन्य सभी लोगों को 5 हजार 8 सौ रूपए और प्लास्टिक मिला है। चूड़ा और मिठ्ठा मिला है। एक व्यक्ति के द्वारा 750 ग्राम चालव दिया गया है।

इस बीच 40 से अधिक की संख्या में अग्नि पीड़ित आ गए। सभी ने वोटर पहचान पत्र, आधार कार्ड,जनधन खाता, बैंक खाता आदि जल गया। इसका मतलब नागरिकता घोषित करने वाले प्रमाण पत्र विहीन हो गए हैं। लोगों ने कहा कि 2012 में भी आग लग गयी थी। जिला प्रशासन ने आश्वासन दिए कि सभी को स्थायी तौर से बसा दिया जाएगा। मगर ऐसा नहीं हो सका। 3 साल के बाद पुनः अग्नि की चपेट में आ गए। यहाँ पर पिछड़ी जाति के लोग रहते हैं। दलित और महादलित लोग भी रहते हैं। चार डोम जाति के परिवार रहते हैं। रामईश्वर डोम हैं। यहाँ पर रहने वाले 1975 से रहते आ रहे हैं। सभी आवासहीन और भूमिहीन है। सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को स्थायी तौर पर बसा दें।

आलोक कुमार




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