Thursday, 30 July 2015

सामाजिक कार्यकर्ता अंशु को रेमन मैग्सेसे अवार्ड मिलने से गया में हर्ष व्याप्त

सामाजिक कार्यकर्ता अंशु गुप्ता को रेमन मैग्ससे अवार्ड
 गूंज के द्वारा भुखमरी के खिलाफ अभियानचलाया गया

गया। एकता परिषद के पूर्व प्रांतीय संयोजक शत्रुध्न कुमार का कहना है कि गूंजके संस्थापक निदेशक अंशु गुप्ता हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अंशु गुप्ता को रेमन  मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने वर्ष 2015 का मैग्सेसे अवार्ड से नवाजा है। उनको अवार्ड मिलने से गया के लोगों के बीच में हर्ष व्याप्त है।गूंजके द्वारा आफत आने पर इस जिले में भुखमरी के खिलाफ अभियानचलाया था। करीब 300 गांवों में रहने वाले परिवारों के बीच में अनाज वितरण किया था। इसके अलावे कुसहा से उत्पन्न बाढ़ के समय पीड़ितों के बीच में जाकर राहत सामग्री वितरण किए।अभी-अभी भूकंप और चक्रवात की समस्याओं से दो-दो हाथ होने वालों के बीच में जाकर राहत सामग्री वितरण किए।घर वापसीकरने के नाम पर पुश्तैनी धंधा वाले समानों को वितरण किए।

जी हां, गैर सरकारी संस्था गूंजके कार्यकर्ताओं के द्वारा महानगरों में रहने वालों से आग्रह करते हैं कि जो घरेलू समानों से जी भर जाता है। उसे गूंजको दान कर दें। इस तरह के किए गए निवेदनों का खासा असर पड़ता है। पुराने और नये कपड़े दान देते हैं। सयानों का अनुशरण कर बच्चे खिलौने दान कर देते हैं। स्कूली बच्चे कलम, पैंसिल,पुस्तक,टिफिन बॉक्स आदि देते हैं। इन समानों को बेहतर अंजाम देकर ग्रामीण अंचलों में भेज देते हैं। किसी का तुच्छ तो किसी का मूल्यवान वस्तु बन जाते हैं। 

बताते चले कि अंशु गुप्ता के क्रियाकलापों के चलते ही अंशु गुप्ता को वस्त्र पुरूषके रूप में जाना और पहचाना जाता है। आरंभ में वे एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कैरियर शुरू किए। फिर एक कंपनी के साथ जुड़कर कैरियर बनाना चाहा, मगर कंपनी वाले कैरियर को छोड़ दिए।वर्ष 1998 में गैर सरकारी संस्था गूंजका गठन किए। अपने मिशन के तहत महानगरों में रहने वाले लोगों के द्वारा त्यागें कपड़ों का संग्रह करना और ग्रामीणों के बीच में जाकर काम के बदले वस्त्रवितरण करना रहा। प्राप्त कपड़ों से ग्रामीण महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड भी बनवाकर महिलाओं के बीच में वितरण करते। इसके अलावे महिलाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से कपड़ों से सूजनीतैयार करवाते। दो सूजनीतैयार करने पर एक सूजनीबनाने वाले को दूसरे को गूंजको दे दिया जाता है। सूजनी जमीन पर बिछाया जाता है। इस तरह शहरी कपड़े ने ग्रामीण विकास में संसाधन के रूप में बदल गया।

इन 17 वर्षों में गूंजस्थापित संगठन बनकर चमकने लगा है। भारत के 21 राज्यों के दूरदराज के हिस्सों में एक नेटवर्क बनाया गया है। नेटवर्क जमीनी स्तर पर संगठन, अशोक अध्येताओं, भारतीय सेना, सीबीओ, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पंचायत आदि की तरह 250 से अधिक साथी समूहों की वृद्धि कर ली है। इसके आलोक में रेमन  मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने सामाजिक कार्यकर्ता अंशु गुप्ता को साल 2015 का मैग्सेसे अवार्ड से नवाजा है। इनके साथ एशिया के चार लोगों को भी मैग्सैसे अवार्ड देने की घोषणा की गयी है। इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी भी शामिल हैं।

रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने कहा कि अंशु को यह सम्मान उनके रचनात्मक  दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता के लिए दिया गया है। उनके नेतृत्व में शहरों में अनुपयोगी समझे जाने वाले सामानों, खासकर कपड़ों का इस्तेमाल जिस तरह वंचित वर्ग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है, वह प्रशंसनीय है।
बिहार में हाल ही में आए भूकंप और चक्रवात की वजह से भारी नुकसान और तबाही को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था। नेपाल के लिए काम करने के अलावा, गूंज लगातार बिहार के प्रभावित क्षेत्रों में काम कर रही है। पिछले एक में महीने के शुरू में सामग्री के 9 ट्रक लोड भेजे गए हैं। एक गूंज केंद्र बुरी तरह से प्रभावित पूर्णिया जिले में स्थापित किया गया है और राहत अभियान स्थानीय स्वयंसेवकों के साथ एक साथ शुरू किया गया था। अब तक हम 23 में 2000 से अधिक परिवारों के लिए बाहर तक पहुँच चुके हैं। गांवों की जरूरत है कंबल, कपड़े, तिरपाल, राशन, बर्तन, सेनेटरी पैड आदि।


आलोक कुमार

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