Tuesday, 4 August 2015

बिन्द टोली को 2 हफ्ते में खाली करवाने का आदेश


पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर जमीन का स्वामीत्व प्रदान

फिलवक्त किसी भी हाल में एक ओर गंगा तो दूसरी ओर 

सड़क के बीच में बसने नहीं जा रहे हैं लोग

पटना। दीघा थाना क्षेत्र में बिन्दटोली है। यहाँ के लोग परेशान हैं। पटना उच्च न्यायालय ने 2 हफ्ते में बिन्दटोली छोड़ देने आदेश निर्गत किया है। इस आदेश के विरूद्ध लोग खड़े हो गए हैं। यहाँ के लोग भी माननीय पटना उच्च न्यायालय में मामला दायर किया है। अबतक मामला एकल बेंच के अधीन है। इसे डबल बेंच में ले जाने की कार्रवाई जारी है। तमाम कागजात उपलब्ध करवाया जा रहा है।

पटना उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस एल.एन.रेड्डी के खंड पीठ ने माना कि सरकारी जमीन पर कब्जा करके बिन्द टोली आबाद है। बिन्द टोली को 2 हफ्ते में खाली करवाने का आदेश दिया।इस आदेश से बिन्द टोली के लोगों में खलबली बच गयी है। अपने छोटे बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं करा रहे हैं। इन लोगों को पता नहीं है कि किधर सरकार विस्थापन के पहले पुनर्वास करेगी?

वहीं नकटा दियारा ग्राम पंचायत के सदस्य यदु महतो कहते हैं कि हमलोगों ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर किए हैं। फिलवक्त एकल बेंच में याचिका दायर है। याचिका को डबल बेंच में भेजने की कार्रवाई जारी है। उनका कहना है कि खास महल में बिन्द टोली आबाद है। पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर जमीन का स्वामीत्व प्रदान किया गया है। इस स्वामीत्व जमीन का मालगुलजारी सरकारी खतियान में जमा किया जाता है। अगर स्वामीत्व प्रदान जमीन को सरकार अधिग्रहण करना चाहती हैं कि अव्वल सरकार को जमीन का मुआवजा देना पड़ेगा। हमलोग एकल बेंच से डबल बेंच में जाकर सरकार से स्वामीत्व प्रदान जमीन का मुआवजा देने की मांग करेंगे। इस समय प्रति कट्टा जमीन 65 लाख रू.की दर से बेची जा रही है। इसी के अनुसार सरकार मुआवजा दें।

दीघा थाना क्षेत्र में बिन्दटोली 
बिन्द टोली के निवासी रोहित महतो कहते हैं कि सरकार बड़ी चालाकी से हमलोगों को कुर्जी क्षेत्र में पुनर्वास करने जा रही है। एक ओर गंगा नदी है, तो दूसरी ओर सड़क है। इसके बीच में बसाया जा रहा है। हमलोगों को हमेंशा नाव पर ही चढ़कर आवाजाही करनी पड़ेगी। पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर गंगा नदी को राजधानी के करीब लायी गयी है। पुल का निर्माण नहीं किया गया है। अभी सामान्य लोग 10 रू.देकर गंगा नदी पार करते हैं। रोजाना सफर करने वालों से 5 रू.नाविक संग्रह करते हैं। इस तरह हमलोगों को सदैव पैसा फेंकने के बाद ही घर पहुंचना पड़ेगा। वह भी केवल 20 वर्षों तक ही पुनर्वास किया जाएगा।

वहीं उर्मिला देवी कहती हैं कि जान मारकर शव को गंगा दियारा में फेंक दिया जाता है। अगर हमलोग रहते हैं तो हमेंशा पुलिस के द्वारा तंग किया जाएगा कि आप लोग शव के बारे में क्या जानते हैं। वहीं गंगा नदी के किनारे बसने पर बच्चों के लिए खतरा है। कभी भी अप्रत्याशित हादसा हो सकता है। यहां के लोगों का कहना है कि कुर्जी पुल के पश्चिम की ओर बसाया जाए। फिलवक्त किसी भी हाल में एक ओर गंगा तो दूसरी ओर सड़क के बीच में बसने नहीं जा रहे हैं।


आलोक कुमार


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