अतिक्रमित
बहुमंजिला भवन भूमि को मुक्त करने के बदले झोपड़ीपट्टी को ही उजाड़ने की साजिश
आठ साल के
बाद भी वुडकों के द्वारा निर्माण कार्य शुरू नहीं
पटना
सिटी। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन, पटना सिटी कमिटी के मो0 नसीम अंसारी ने
सरकार से मांग की है कि पटना सिटी अनुमंडल के वार्ड संख्या- 56 एवं 57 सादिकपुर कूड़ा
तथा चैलीटांड़ नहर पर (स्लम घोषित) क्षेत्र के झोपड़पट्टीवासियों के लिए पक्का मकान
निर्माण कार्य यथाशीघ्र आरंभ किया जाए।
वर्ष 2007-08 में राशि उपलब्धः बेसिक सर्विस फोर अरबन पूअर(बीएसयूपी) के
अन्तर्गत पड़ता है सादिकपुर कूड़ा । यहां पर 608 शहरी गरीब रहते हैं। इनको 608
फ्लैटनुमा घर बनाना था। निर्माण कार्य बुडको को सौंपा गया। वुडको के द्वारा सादिकपुर
कूड़ा साईट सेलेक्शन किया गया। इस बीच पटना नगर निगम के द्वारा वर्ष 2007-08 में राशि उपलब्ध करा दी गयी । 608 कमरेनुमा मकान के लिए 12.62 करोड़ रूपए की
राशि निर्माण कार्य के लिए वुडको को दे गयी। तब निर्माण स्थल पर वुडको ने एक भव्य
बोर्ड लगा दिया। जो आज भी विराजमान है। पटना नगर निगम ने इस निर्माण कार्य का
डीपीआर भी स्वीकृत कर दिया है। अनापत्ति प्रमाण-पत्र भी निर्गत किये जा चुके है।
पटना के
जिलाधिकारी के मार्ग-दर्शनः पटना के जिलाधिकारी के मार्ग-दर्शन में अनुमंडल
पदाधिकारी, पटना सिटी के निगरानी में पटना सदर
अंचल कार्यालय द्वारा 622 लाभार्थियों की
सूची भी तैयार करायी जा चुकी है,। बावजूद,
इसके 8 साल से निर्माण
कार्य प्रगति पर नहीं है। निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हो सका। वर्ष 2007-08 से ही मामला लटका हुआ है।घोषित इस स्लम बस्ती में 80 प्रतिशत से अधिक महादलित ,दलित,शेष अति पिछड़े एवं पिछड़े जाति समुदाय
से हैं। बताते चले कि पटना नगर निगम को ही निर्माण कार्य संबंधी संपूर्ण
जिम्मेवारी सौंपी गयी है। विभागीय उपेक्षा भाव के कारण ही प्रगति कार्य पर ब्रेक
लगा हुआ है।
माननीय
उच्च न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाने में प्रशासनः एनएमसीएच के अधिग्रहित भूमि
से सटा गैर मजरूआ आम नाला, पईन भूखंड है,
जिसका प्लॉट संख्या 755,757,759 तथा 1310 है। माननीय पटना उच्च न्यायालय के
आदेश से एनएमसीएच द्वारा अधिग्रहित भूखंड को अतिक्रमण से मुक्त कराना है। जबकि
सच्चाई यह है कि एनएमसीएच द्वारा अधिग्रहित भूमि पर भू माफिया द्वारा भूखंड की
खरीद बिक्री की गयी है। एनएमसीएच के भूखंड
पर बहुमंजिला भवन बना हुआ है। इनको छूने के बदले गैर मजरूआ नाला, पईन भूखंड पर बसे स्लम बस्ती के लोगों की झोपड़ी उजाड़ने पर
प्रशासन अमादा है। शहरी गरीबों की झोपड़ी को उजाड़कर इस स्लम बस्ती से बेदखल कर
प्रशासन माननीय उच्च न्यायालय में साक्ष्य अतिक्रमण मुक्त कर दिखाना चाहती है।
वास्तव में जिला प्रशासन के द्वारा गैर मजरूआ आम भूमि एवं एनएमसीएच द्वारा
अधिग्रहित भूमि का डिमार्केशन नहीं किया गया है।इसके आलोक में अतिक्रमित बहुमंजिला
भवन भूमि को मुक्त करने के बदले झोपड़ीपट्टी को ही उजाड़ने पर है। इसी को माननीय
उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की योजना है। प्रशासनिक पदाधिकारी मात्र यही
कहते हैं कि सारा भूखंड एनएमसीएच का है,। क्या
सरकारी खतियान झूठ बोलते हैं? ये प्रशासनिक
पदाधिकारी न्याय के साथ विकास को झूठलाना चाहते हैं।
शहरी
गरीबों को पक्का मकान बनाकर देंः यदि सरकार हम शहरी गरीबों को पक्का मकान बनाकर दे
दें। जैसी सरकार की मंशा है, तो हमलोग
झोपड़पट्टी छोड़ देंगे, हमलोग कदापि विकास विरोधी नहीं हैं।
अंत में हमलोगों की मांग है कि पक्का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ किए जाए और
लाभार्थियों की तैयार सूची के अनुसार पक्क आवास दिया जाए। शहरी गरीबों को उजाड़ने
की प्रशासनिक साजिश की जांच कराई जाए और शहरी गरीबों को उजड़ने से बचाने का प्रयास
सरकार द्वारा शीघ्र तेज किया जाए।
आलोक
कुमार
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