Saturday 8 August 2015

Digha अब आप लोग पैदल नहीं चल सकते हैं, रेलगाड़ी पर चढ़कर चलें

पटना। रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने वीडियो लिंक द्वारा गंगा नदी रेल-सह-सड़क महासेतु, पटना पर ट्रायल इंजन को झंडी दिखाकर रवाना किया। वहीं पाटलिपुत्र स्टेशन का भी उद्घाटन किया गया। मौके पर सम्मानित अतिथिगण रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, कौशल विकास,उद्यमिता राज्य मंत्री और रामकृपाल यादव उपस्थित थे।

दुल्हन की ट्रायल इंजन को सजा दी गयी थी। इंजन पर ही रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, कौशल विकास,उद्यमिता राज्य मंत्री और रामकृपाल यादव चढ़े थे। इनके साथ एनडीए के समर्थक भी थे। मीडियाकर्मी भी साथ में थे। लोगों को हाथ हिलाकर स्वागत किए। वहीं इंजन पर चढ़े लोग पीएम नरेन्द्र जिन्दाबाद का नारा बुलंद कर रहे थे।

बताते चले कि 1997-98 के बजट में प्रस्ताव किया गया था। अनुमानित लागत 600 करोड़ था। 2002-2003 में निर्माण शुरू हुआ। सितम्बर 2006 में रेल से रोड को जुड़ा गया। तब संशोधित लागत बढ़कर 2921 करोड़ कर दिया गया। मार्च 2015 समय सीमा तय किया गया। अभी भी रिपिट कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। कुछ दिनों के बाद सवारी गाड़ी चलाने का प्रस्ताव है।

भारी संख्या में लोग ट्रायल इंजन को देखने पहुंचे। छोटे बच्चों में काफी उत्साह था। पुलिस और दरबान को तैनात कर दिया गया है। आगे बढ़ने पर रोक लगा रहे थे। इससे आगे नहीं जा सकते हैं। तैनात दरबान का कहना है कि अब आप लोग पैदल नहीं चल सकते हैं। कुछ दिनों के बाद रेलगाड़ी पर चढ़कर जाइएगा।

विस्थापन के दंश झेलने वाले बिन्द टोली के लोग भी आए थे। विस्थापन का दर्द दिल में हैं। मगर मजबूरी में चेहरे पर मुस्कान बिखेड़ रहे थे। इन लोगों का कहना है कि सरकार गंगा किनारे नहीं पुनर्वास करें। कुर्जी स्थित दियारा में पुनर्वास करने का मन सरकार बना ली है। यहां पर एक तरफ पानी, तो दूसरी ओर रोड है। इसके बीच में बिन्द टोली के लोगों को बसाया जा रहा है। इन लोगों का कहना है कि बेहतर जगह पर सरकार पुनर्वास करें। वहीं जलालपुर के लोगों में भी आक्रोश व्याप्त है। रोड और नाला निर्माण करने की मांग कर रहे हैं। अगर दोनों मांग को पूर्ण नहीं की जाती है तबतक रेलगाड़ी को बढ़ने नहीं देंगे। सबसे बुरा हाल टेसलाल वर्मा नगर के लोगों का है। इनको चहारदीवारी के अंदर ढकेलकर कैद कर दी गयी है। यहां के लोग सत्याग्रह किए और माननीय पटना उच्च न्यायालय में याचिका दर्ज किए। यहां के सुनील कुमार का कहना है कि पटना उच्च न्यायालय में महेन्द्र गुप्ता के माध्यम से याचिका दायर किया गया था। माननीय न्यायालय ने 6 माह के अंदर पुनर्वास कर देने का आदेश निर्गत किया था। इस बीच महेन्द्र गुप्ता का निधन हो गया। इसके कारण मामला रसातल में चल गया। इससे परेशानी बढ़ गयी है।


आलोक कुमार

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