जब दीघा थाने में तैनात पुलिसकर्मी गाली देने लगा
पटना दियारा में गए थे। अपने तीन दोस्तों के साथ चूहा मारने
पटना। करमा पूजा के दिन बसंती देवी की सुहाग लूट गयी। कुर्जी मोहल्ला के आसपास गंगा नदी में हेलकर रामलेख मांझी पटना दियारा में गए थे। अपने तीन दोस्तों के साथ चूहा मारने गए थे। पटना दियारा से दो साथी वापस आ गए। नाव पर बैठे नाविक ने रामलेख से कहा कि रस्सी को दूर जाकर बांध दें। खुद को बेहतर तैराक मानकर नाविक के कथनानुसार कार्य करने लगे। इस क्रम में गंगा नदी में रामलेख मांझी डूब गए। वह 40 साल
के
थे।
अपने
पीछे
विधवा
बसंती
देवी
और
4 बच्चे
छोड़
गए।
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बसंती देवी की सुहाग लूट गयी |
नौबतपुर प्रखंड के जीतूचक में रहने वाले बाबूचंद मांझी के पुत्र रामलेख मांझी हैं। पटना सदर प्रखंड के दीघा नहर के किनारे रहने वाली बसंती देवी के संग विवाह हुआ था। रामलेख मांझी और बसंती देवी के सहयोग से 5 बच्चे
हुए।
3 लड़के
और
2 लड़कियां।
इनमें
1 लड़का
की
मौत
हो
गयी
है।
अभी
2 लड़के
और
2 लड़कियां
हैं।
बसंती देवी (26 साल)
रोते
हुए
कहती
हैं
कि
मेरे
पतिदेव
रामलेख
मांझी
चूहा
मारने
गए
थे।
इसके
बाद
यह
हादसा
हो
गया।
शव
को
दीघा
नहर
पर
लाया
गया।
लोगों
के
दबाव
में
शव
को
पोस्टमार्टम
नहीं
हुआ।
गंगा
नदी
में
डूबकर
मारे
जाने
से
संबंधी
एफआईआर
लाने
दीघा
थाना
गए।
तो
वहां
पर
तैनात
पुलिसकर्मी
गाली
गल्लौज
करने
पर
उतारू
हो
गया।
इसका
विरोध
करने
पर
शांत
हुआ।
आगे
बसंती
देवी
कहती
हैं
कि
नगर
परिषद
दानापुर
निजामत
के
वार्ड
पार्षद
डॉ0 सुरेश
कुमार
भारती
द्वारा
अंतिम
संस्कार
करवाने
के
लिए
कबीर
अंत्येष्ठि
योजना
से
3 हजार
रू0 उपलब्ध
नहीं
कराने
से
हिन्दू
धर्म
मानने
वालों
ने
मजबूरी
में
शव
को
गंगा
नदी
के
किनारे
गाढ़
दिया।
वर्तमान समय में नेतागण बेढंगा बोली बोल रहे हैं। उसका प्रभाव पुलिसकर्मियों पर पड़ने लगा है। खैर, विधवा बसंती देवी के पास रामलेख मांझी की मृत्यु प्रमाण-पत्र नहीं हैं। एफआईआर नहीं हुआ। इसके आलोक में शव का पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ। इस पर बसंती देवी कहती हैं कि 2 पुलिसकर्मी
आए
थे।
सादा
पेपर
पर
अंगूठा
का
निशान
लगाकर
ले
गए।
इसी
के
आधार
पर
दीघा
थाना
गई
थीं।
दीघा
थाने
में
तैनात
विपिन
सिंह
नामक
पुलिसकर्मी
का
कहना
है
कि
कुर्जी
मोड़
के
पूरब
में
क्षेत्र
पाटलिपुत्र
थानान्तर्गत
है।
इसके
आलोक
में
पाटलिपुत्र
थाने
में
जाकर
सर्म्पक
करें।
जहां
तक
2 पुलिसकर्मी
आए
और
अंगूठा
निशान
लेकर
चले
गए।
अनुमान
लगाया
जा
सकता
है
कि
उसमें
लिखा
जाएगा
कि
पब्लिक
के
दबाव
में
पोस्टमार्टम
नहीं
किया
गया।
एफआईआर
भी
नहीं
किया
गया।
गंगा
नदी
में
डूब
जाने
के
बाद
संभावित
मुआवजा
की
मांग
नहीं
करेंगे।
किसी
तरह
का
मामला
नहीं
उछालेंगे।
लोगों का कहना है कि हमलोग पोस्टमार्टम नहीं कराए। पोस्टमार्टम कराने से शव का चीरफाड़ किया जाता है। इसके कारण हमलोग पोस्टमार्टम नहीं कराएं। इससे साफ जाहिर होता है कि अज्ञानता के कारण लोगों ने पोस्टमार्टम नहीं करने दिए। यहां के लोगों का कहना है कि एनजीओ कुर्जी होली फैमिली अस्तपाल के कार्यकर्ता आते हैं। इन कार्यकर्ताओं के द्वारा भी उचित परामर्श नहीं दिया गया। एनजीओ कुर्जी होली फैमिली अस्तपाल और कार्यकर्ता सवालों के घेरे में आ गए हैं। यहां किस तरह का कार्य किया जाता है कि लोगों को जागरूक नहीं बनाया जा सका?इस समय बसंती देवी महुआ और मिठ्ठा से महुआ दारू बनाकर बेचती है। बिक्री करके बच्चों को पाल रही है।
मृतक
रामलेख
मांझी
मजदूरी
और
ठेला
गाड़ी
भी
चलाते
थें।
आलोक कुमार
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