Wednesday 25 November 2015

अब विचार व्यक्त करने की आजादी खतरे में

सत्ता पर काबिज की सुगम रास्ता मजहबीं कार्ड 
सारे जहां से अच्छा है हिन्दुस्तान देश हमारा

पटना। सारे जहां से अच्छा है हिन्दुस्तान देश हमारा। इस देश के नेताओं और धर्मगुरूओं ने मजहबीं दीवार खड़ा कर दी है। सत्ता पर काबिज की सुगम रास्ता मजहबीं कार्ड खेलने लगे। साम्प्रदायिक और गैर साम्प्रदायिक खेल खेलने लगे। एक ने बहुसंख्यकों के सहारे और दूसरे ने अल्पसंख्यकों के वैशाखी के सहारे चलने लगे।

बहुसंख्यकों ने ‘राम’ नाम जपने लगे। अपने गांवघर में जीणशीर्ण मंदिरों को निर्माण न करवाकर अयोध्या में ही रामजी के जन्मभूमि पर मंदिर बनाने पर अडिग हो गए। इसी के बल पर भाजपा राजनीति करने लगी। भाजपा लोकसभा में 2 सीट जीत को 282 तक बढ़ाने में सफलता हासिल कर ली। विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिघंल को श्रद्धांजलि देने आए लोगों ने सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने के नाम पर रामजी के जन्मभूमि पर एक बार फिर से मंदिर निर्माण करने का फैसला कर लिया है। यह विश्वास किया गया कि लोकसभा में अप्रत्याशित संख्या बल से प्रवेश करने वाले भाजपा कानून बनाकर अयोध्या में मंदिर निर्माण करने की रास्ता तैयार कर देगी। 

वहीं कभी जनसंख्या वृद्धि, बीफ, लिखने और बोलने वालों को पाकिस्तान भेजने की सलाह देने लगे रामभक्त। आम नेताओं से लेकर संवैधानिक पद पर आसीन भी अल्पसंख्यकों पर निशाना कंसने लगे। समय-समय पर भाजपाई गोपनीय एजेंडा को लागू करने लगे। संविधान से मिले आरक्षण लाभ से भी दलितों को वंचित करने का प्रयास होने लगा। गोमाता को मसले उठाने लगे। बीफ खाने और बिक्री करने के नाम पर बवाल होने लगा। थाली में परोसने वाले भोजन को निहारने लगे। हवा बनाकर अल्पसंख्यक को मौत के घाट उतार दिए। हिन्दुओं को लगोट पहने की सलाह दी जाने लगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को महामंडित किया जाने लगा। 

ऐसी परिस्थिति देकर बुद्धिजीवी भी संगठित होकर अवार्ड लौटाने लगे। अल्पसंख्यक सिने कलाकार असहिष्णुता पर विचार व्यक्त करते हैं। तो उनको ही नौंचना शुरू कर दिया जाता है। यह जरूर है कि केन्द्र में सत्ता परिवर्तन करने के बाद पाकिस्तान का मनोबल बढ़ गया है। पाकिस्तानी आंतकवादी देश में प्रवेशकर उत्पात मचा रहे हैं। बोडर पर गोलीबारी तेज है। इसका यह मतलब नहीं है कि अल्पसंख्यक मुसलमान ही निशाने पर आ जाए। विभाजन के वक्त पाकिस्तान में मुसलमान रहे और भारत में मुसलनमान रह गये। यहां पर रहने वाले मुसलनमान भारतीय मुसलनमान हैं। अपने देश को सुन्दर बनाने में जुटे हैं। जो नफरत की राजनीति चला रहे हैं उनके खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। इस तरह की आवाज बुलंद करने वाले लोगों की आवाज सुनने की जरूरत है। आवाज सुनने के बाद बड़बोले नेताओं पर कार्रवाई करने की जरूरत है। तब जाकर हिन्दू, मुस्लिम,सिख,ईसाई के साथ अन्य धर्मावलम्बी साथ-साथ रह पाएंगे। वक्त की मांग है कि सभी कौम के लोग मिलकर 21 वीं सदी के भारत बनाने में जुट जाएं। आतंकवादी हो बर्बाद, नफरत प्रसार करने वाले को हो सत्यानाश.... हो सत्यानाश। अंधुरी रात की नयी सुबह लाने का प्रयास में हम भारतवासी..... हम भारतवासी...। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना। 

No comments: