Friday 11 December 2015

शीतलहर /पाला की स्थिति उत्पन्न होने पर शीतलहर /पाला से बचाव के उपाय


सभी प्रमंडलीय आयुक्तों को दी गयी सूचना

पटना। बिहार राज्य में सामान्यतः माह दिसम्बर से जनवरी के बीच ठंड की व्यापकता और तीक्ष्णता कभी-कभी प्रचंड एवं भयावह शीतलहर का रूप ले लेती है। इस वर्ष दिसम्बर माह के प्रारंभ हो गई है। संभावना है कि शीतलहर भी शीघ्र ही शुरू हो जाय। अवगत है कि प्रायः शहरी/अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में बसे गरीब,निःसहाय एवं आवासहीन व्यक्ति विशेष रूप से शीतलहर से प्रभावित होते हैं। लोक कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य सरकार का दायित्व है कि वह शीतलहर से प्रभावित होने वाले जन सामान्य विशेषकर गरीब एवं निःसहाय व्यक्तियों, के बचाव हेतु समुचित प्रबंध करें।

अवगत है कि गृह मंत्रालय भारत सरकार के पत्रांक- 32-2/2010-एनडीएम-1 दिनांक- 13.08.2012 द्वारा भारत सरकार ने शीतलहर/ पाला को राज्य आपदा रिस्पांस कोष/राष्ट्रीय आपदा रिस्पांस कोष के अंतर्गत साहाय्य मानदर के अनुरूप साहाय्य की देयता के लिए प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में शामिल किया है, जिसका संसूचन विभाग द्वारा पत्रांक-4285/0प्र0,दिनांक-18.10.2012 द्वारा किया गया है। साहाय्य मानदर से संबंधित पुस्तिका प्रकाशित की गयी है एवं साहाय्य मानदर को आपदा प्रबंधन विभाग के बेवसाइट पर भी अपलोड किया गया है। तदनसार राज्य आपदा रिस्पौंस कोष/राष्ट्रीय आपदा रिस्पौंस कोष के अंतर्गत शीतलहर/पाला की निम्नांकित परिस्थितियों में साहाय्य अनुमान्य होगा।

किसी क्षेत्र को शीतलहर से प्रभावित निम्न परिस्थितियों में माना जायेगा। वैसे क्षेत्र जहां का सामान्य न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेन्टीग्रेड या उससे अधिक हो वैसे क्षेत्र में यदि न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेन्टीग्रेड से कम हो जाय।  वैसे क्षेत्र जहां का सामान्य न्यूनतम तापमान 10 सेन्टीग्रेड से कम हो वैसे क्षेत्र में यदि न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेन्टीग्रेड से कम हो जाय। किसी क्षेत्र में यदि तापमान शून्य डिग्री सेन्टीग्रेड से कम हो जाय तथा यह रबी/खरीफ-फसल के मौसम में उस क्षेत्र विशेष के लिए  असामान्य स्थिति हो, तब क्षेत्र को पाला प्रभावित क्षेत्र माना जायगा।

राज्य में किसी जिले को शीतलहर/पाला से प्रभावित मानने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा निर्गत तापमान आकड़ों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। गरीब एवं निःसहाय व्यक्तियों की शीतलहर से रक्षा के निए निम्नांकित निदेशों का पालन सुनिश्चित कराया जाय।  रैन बसेरो/अस्थायी शरण स्थलों की व्यव्स्था- शहरी क्षेत्रों में रिक्शा चालकों, दैनिक मजदूरों, असहायों विहिनों एवं सदृश्य श्रेणी के ऐसे गरीब निःसहाय व्यक्तियों के रहने हेतु रैन बसेरों की समुचित व्यवस्था की जाय। जहां रैन बसेरे उपलब्ध हो तो वहां जिले में उपलब्ध पॉलिथिन शीट्स, टेंट, तारपोलीन शीट्स का उपयोग कर आवश्यकतानुसार अस्थायी शरण स्थली बनायी जाय। रैन बसेरों एवं अस्थाई शरण स्थलों में पर्याप्त संख्या में कम्बल रखे जाय। कम्बल किसी को आंवटित नहीं किया जाय, अपितु किन्हीं के उक्त रैन बसेरों में शरण लेते समय कम्बल उपयोग उनके द्वारा किया जायगा। शरण स्थली से संबंधित जानकारी का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाय ताकि जन सामान्य को इसकी पूर्ण जानकारी रहे तथा वे सरकार द्वारा एतद् संबंधी की गई व्यवस्था का पूरा लाभ उठा सकें तका इस व्यवस्था की मौनेटरिंग/निगरानी की जाय। रैन बसेरों की व्यवस्था एवं रख-रखाव स्थानीय नगर निकायों के माध्यम से होगी।

कम्बल वितरण: आवासहीन गरीबों, रिक्शा चालकों, दैनिक मजदूरों, निःसहाय व्यक्तियों एवं ऐसे सदृश्य श्रेणी के लोगों के बीच आवश्यकतानसार कम्बल का वितरण किया जाय। कम्बल की व्यवस्था समाज कल्याण विभाग द्वारा की जायेगी।

अलाव की व्यवस्था : जिला विशेष में ज्योंहि शीतलहर प्रारंभ हो जिला पदाधिकारी द्वारा अपने विवेक से गरीब एवं निःसहाय व्यक्तियों को शीतलहर के प्रकोप से बचाने हेतु आवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में अलाव की व्यवस्था जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड स्तर तक सभी शहरी एवं अर्द्धशहरी स्थानों में की जायेगी। अलाव की व्यवस्था करते समय जिला पदाधिकारी के द्वारा यह ध्यान रखा जाय कि अलाव ऐसे स्थानों पर जलाया जाय जहां अधिक से अधिक निर्धन एवं असहाय लोग निवास करते हैं या एकत्र होते हो यथा धर्मशालाएं, अस्पताल परिसर, रैन बसेरा, मुसाफिरखाना,रिक्शा एवं टमटम पड़ाव, चौराहा, रेल/बस स्टेशन आदि। साथ ही अन्य सार्वजनिक स्थानों में अलाव जलाया जाय जहां अधिक से अधिक प्रभावित लोगों को लाभ मिल सके। अलाव के लिए चिन्हित स्थानों की सूचना का व्यापक प्रचार-प्रसार मीडिया माध्यम से कराया जाय।

जिला स्तर के किसी वरीय पदाधिकारी यथा अपर समाहर्त्ता (आपदा प्रबंधन ) को जिला पदाधिकारी के नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण में अलाव व्यवस्था का प्रभारी नामित किया जाय। इनका दायित्व यह सुनिश्चित करना होगा कि चयनित स्थलों पर अलाव की व्यवस्था की जा रही है। यह सुनिश्चित किया जाय कि इस राहत का लाभ वास्तव में गरीबों एवं निःसहायों को मिले एवं किसी भी परिस्थिति में इसका दुरूपयोग हो, साथ ही मितव्ययिता बरती जाय। अलाव की व्यवस्था हेतु सभी जिलों को आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राशि आवंटित की जाएगी।

दरोगा राय पथ पर कपड़ों को 
जलाकर उर्जा प्राप्त 
करने की कवायद

निरीक्षण एवं अनुश्रवण: जिला पदाधिकारी रैन बसेरों, अन्य शरण स्थलों (यदि कोई हों) एवं अलाव जलाने वाले स्थलों का समय-समय पर निरीक्षण एवं सघन अनुश्रवण करेंगे। ऐसी आशा की जाती है कि जिला पदाधिकारी एवं जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी समय-समय पर घूम-घूम कर अलावों के जलने का निरीक्षण करेंगे। शीतलहर से संबंधित दैनिक प्रतिवेदन 25 दिसम्बर से राज्य नियंत्रण कक्ष के फैक्स संख्या 0612-2215734 एवं प्रधान सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग के ईमेल- secy-disastermgmt-bih@nic.in पर प्रतिदिन संध्या 4.00 बजे तक अवश्य भेजना सुनिश्चित करेंगे।

मीडिया के साथ समन्वयः जिला पदाधिकारी इस संबंध में अपने जिले में किए गए प्रबंधों की विस्तृत जानकारी स्थानीय मीडिया को देते रहेंगे। शीतलहर से बचाव के लिए किये जाने वाले उपाय से प्रचार माध्यमों से जनता को भी अवगत कराया जाय। शीतलहर से स्वयं के बचाव हेतु क्या-क्या उपाय किये जा सकते है, इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग, पम्पलेटों, समाचार-पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, हॉर्डिग एवं बैनर एवं अन्य समाचार माध्यमों से सामान्य से सामान्य जनता को अवगत कराने की व्यवस्था करेगा।यह देखा गया है कि समाचार पत्रों में यदा-कदा शीतलहर से मृत्यु की सूचना प्रकाशित होती है। ऐसी सूचना के तथ्यों की जांच कर जानकारी तुरंत ली जाय और यदि तथ्य निराधार पायें जाय तो उनका खंडन समाचार-पत्रों में शीघ्र प्रकाशित कराया जाय। परंतु यदि सूचना सही हो तो इसके आलोक में अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने जानकारी दी है।



आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा, दीघा घाट,पटना।


No comments: