मानव बल |
सरस्वती की कृपा है मानव बल को
अब लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए आंदोलनरत हैं
पटना।मतलब निकल जाता है तो लोग पहचानते नहीं! जी हां, कुछ ऐसा ही हुआ है मानव बल के साथ। सरकारी शिकंजा से निकल बिजली रानी आजाद हो गयी। उपभोक्ताओं को बेहतर से बेहतर सुविधा देने वास्ते तैयार हो गयी। साउथ बिहार बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी लिमिडेट और और नौर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी लिमिडेट बन गया। कम्पनी ने बिजली रानी को घरघर पहुंचाने की कोशिश करनी शुरू कर दी। इस क्रम में कम्पनी ने नये पैतरेबाजी में कम्पनी ने खुद लोगों की बहाली नहीं की। उसने ठेकेदारों के साथ हाथ मिला लिया। प्रति व्यक्ति के हिसाब से ठेकेदारों को ही राशि दिया। उसने ही व्यक्ति बहाल शुरू किया। ठेकेदारों ने कनीय अभियंता के सहयोग से लोगों को बहाल करने लगे। कनीय अभियंता के पास जाने से बहाल कर लिया जाता था। महीने में कनीय अभियंता को खुश कर दिया जाता था। ठेकेदार और कनीय अभियंता द्वारा बहाल व्यक्ति को ‘मानव बल’कहा गया। मानव बल में श्रेणी न बनाया गया। आई0टी0आई0से उर्त्तीण भी मानव बल बना। सभी को एक ही तरह की राशि दी गयी। मानव बलों की मजदूरी तलवार पर लटकनी शुरू हो गयी। एनजीओ की तरह बहाल किये और उनके मर्जी पर नौकरी निर्भर हो गया।
बिहार और झारखं ड में साढ़े साल हजार मानव बल कार्यरत हैं। कार्य के दरम्यान 32 मानव बलों की मौत हो गयी। कम्पनी द्वारा मुआवजा नहीं दिया गया। इसी तरह की समस्याओं को मिलाकर मानव बल के नेतृत्व करने वालों ने मांगों की सूची बनाकर कम्पनी को पेश किया। 11 फरवरी 2016 से बेमियादी हड़ताल पर मानव बल हैं। कम्पनी द्वारा मानव बलों की मांग को पूर्ण नहीं जा रही है। हाल यह हे कि मानव बल के बारे में जानकारी नहीं रहने की बात करने लगे। उर्जा मंत्री से निवेदन है कि इसमें हस्तक्षेप करके मानव बलों को वाजिब मांग पूर्ण करा दें।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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