Monday 22 February 2016

गुनगुनाती हूँ

गुनगुनाती हूँ
सुनती हूँ,
हर रोज चाय के प्याले के साथ 
गीत .........तेरे गीत।
गीत के शुरू होते ही 
गायब होने लगती हूँ मैं,
पाती हूँ 
खुद को एक अलग दुनिया में।
जहाँ गीत की हर पंक्ति,
हर शब्द ,
हर धुन 
सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए होते हैं।
तेरा लिया हर आलाप ,
सिर्फ मेरे लिए।
तेरे शब्दों की हर छुअन 
और प्यार की बारिश ,
जिसमे मैं ‘मैं’ नहीं रहती ।
बस तुम
सिर्फ और सिर्फ तुम ही होते हो
हर जगह
बस तुम ........

पूनम सिंह


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